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प्रणब के साक्षात्कार को लेकर स्वीडिश दैनिक से नाराज भारत

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मुंह से अनायास निकले शब्दों को मना करने के बावजूद साक्षात्कार में शामिल करने से भारत स्वीडिश दैनिक "डेजेंस नेहतर" से बेहद खफा है। इस संदर्भ में भारत ने बुधवार को "डेजेंस नेहतर" के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत ने अपने राजदूत के जरिये

By manoj yadavEdited By: Published: Wed, 27 May 2015 09:39 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2015 09:49 PM (IST)
प्रणब के साक्षात्कार को लेकर स्वीडिश दैनिक से नाराज भारत

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मुंह से अनायास निकले शब्दों को मना करने के बावजूद साक्षात्कार में शामिल करने से भारत स्वीडिश दैनिक "डेजेंस नेहतर" से बेहद खफा है। इस संदर्भ में भारत ने बुधवार को "डेजेंस नेहतर" के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत ने अपने राजदूत के जरिये उससे कहा कि यह सामने वाले को नीचा दिखाने के लिए की गई गैर पेशेवर और अनैतिक हरकत है।

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वहीं 'डेजेंस नेहतर' ने स्वीडन में भारतीय राजदूत बनश्री बोस हैरिसन की प्रतिक्रिया को खेदजनक करार दिया है। अखबार के एडिटर-इन-चीफ पीटर वोलोद्रस्की ने कहा, मैंने भारतीय राजदूत से कहा कि हम उनके दावे से सहमत नहीं है। बोफोर्स संबंधी सवाल पूछने पर राष्ट्रपति असहज हो गए थे...। हम आज के दौर में भ्रष्टाचार को कैसे स्वीकार कर सकते हैं। जाहिर है हमें अपने पाठकों को राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया को बताना था।"

बनश्री ने वोलोद्रस्की को लिखे पत्र में कहा कि जिस तरह साक्षात्कार पेश किया गया, उससे नई दिल्ली को निराशा हुई है। साक्षात्कार के दौरान राष्ट्रपति के मुंह से अनायास निकली बात को बाद में कराए गए ऑफ द रिकार्ड सुधार के बावजूद रिपोर्ट में शामिल करना गैर पेशेवर होने के साथ ही अनैतिक है।

राजदूत ने लिखा कि मुझे बताया गया कि उस समय आपने राष्ट्रपति के समक्ष सहानुभूति दर्शाई थी। आपने कहा था कि ऐसा किसी से भी हो सकता है। उसके बाद जिस तरीके से आपकी ओर से दूसरे को नीचा दिखाने की मंशा से उन शब्दों को रिपोर्ट में शामिल किया गया, उसकी एक उच्च मानदंडों वाले प्रमुख समाचार पत्र या पेशेवर पत्रकार से सामान्य तौर पर अपेक्षा नहीं की जाती। राष्ट्रपति के प्रति वैसा शिष्टाचार व सम्मान प्रदर्शित नहीं किया गया, जिसके एक राष्ट्राध्यक्ष के रूप में वह हकदार थे।

राजदूत ने रेखांकित किया कि बोफोर्स संबंधी सवाल तीसरे नंबर पर था, लेकिन इसे ऐसे दिखाया गया कि यह पहला सवाल था। अगर मैं स्पष्ट शब्दों में कहूं तो यह पत्रकार का लाइसेंस लेकर लोगों को गुमराह करने जैसी बात है।

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