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नदियों की निगरानी पर नेपाल के जवाब का इंतजार

उत्तर प्रदेश, बिहार के तराई क्षेत्रों में नेपाल से नदियों के रास्ते उतरे बाढ़ के कहर ने एक बार फिर इस सालाना तबाही की विकराल तस्वीर सामने रख दी है। पड़ोसी नेपाल को भारत नदियों के जलस्तर प्रबंधन पर अभी तक 200 करोड़ रुपये से अधिक की मदद दे चुका है, लेकिन हर साल बरसात में नेपाल से आने वाली बाढ़ की

By Edited By: Published: Mon, 18 Aug 2014 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 09:31 AM (IST)
नदियों की निगरानी पर नेपाल के जवाब का इंतजार

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। उत्तर प्रदेश, बिहार के तराई क्षेत्रों में नेपाल से नदियों के रास्ते उतरे बाढ़ के कहर ने एक बार फिर इस सालाना तबाही की विकराल तस्वीर सामने रख दी है। पड़ोसी नेपाल को भारत नदियों के जलस्तर प्रबंधन पर अभी तक 200 करोड़ रुपये से अधिक की मदद दे चुका है, लेकिन हर साल बरसात में नेपाल से आने वाली बाढ़ की मुसीबत कम करने का प्रभावी रास्ता नहीं निकल पाया है। लंबे समय से नेपाल की नदियों में जलस्तर की सेटेलाइट निगरानी का प्रस्ताव भी बातचीत की मेज पर है, लेकिन भारत की ओर से की गई इस पेशकश पर नेपाल के जवाब का अब तक इंतजार है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार-पांच अगस्त की हालिया नेपाल यात्रा के दौरान हुई द्विपक्षीय बातचीत भी नदी जल प्रबंधन एक अहम मुद्दा था। सूत्रों के मुताबिक, वार्ता के दौरान भारत ने एक बार फिर नदी जल स्तर के आंकड़ों की रियल टाइम साझेदारी व सेटेलाइट निगरानी के प्रस्ताव को दोहराया था। भारत ने नेपाल से उन स्थानों को चिह्नित करने का भी आग्रह किया है जहां के नदी जल स्तर के आंकड़े वह एकत्रित न कर पा रहा हो। सूत्र बताते हैं कि भारत की ओर नदी जल स्तर की सतत निगरानी और सूचनाओं की त्वरित साझेदारी के प्रस्ताव पर नेपाल की ओर से किसी ठोस जवाब का अब तक इंतजार है। भारतीय खेमा चाहता है कि नेपाल से उसे नेपाल से आने वाली महत्वपूर्ण नदियों के जल स्तर की रियल-टाइम सूचनाएं हासिल हो सकें ताकि समय रहते प्रबंधन व राहत-बचाव के उपाय किए जा सकें।

फरवरी 2014 को भारत-नेपाल संयुक्त बाढ़ प्रबंधन व प्लावन नियंत्रण आयोग की बैठक में मामला उठाते हुए भारतीय पक्ष ने प्रभावी नदी प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए सहायता बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया था। इसके अलावा नेपाल को नदी तटबंध बनाने के लिए भारत पिछले छह सालों से लगातार मदद दे रहा है। यह बात और है कि जमीनी स्तर पर काम के स्तर को लेकर दोनों खेमों के बीच कुछ मतभेद हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि नेपाल के साथ रिश्तों में बाढ़ नियंत्रण और नदी प्रबंधन एक अहम मुद्दा है। इस पर आपसी सहयोग के लिए दोनों देशों के बीच तीन स्तरीय व्यवस्था है। महत्वपूर्ण है कि भारत नेपाल की बागमती कमला, खांदो, लालबाकेया नदियों के तटबंध बनाने के लिए मदद दे रहा है।

वर्ष 2008 में नेपाल के रास्ते उत्तरी बिहार में कोसी नदी में आई बाढ़ की त्रसदी के बाद से भारत नदी तटबंध के लिए नेपाल को अब तक 291.76 करोड़ नेपाली रुपये की सहायता दे चुका है। उल्लेखनीय है कि नेपाल से बहने वाली करीब 250 छोटी-बड़ी नदियां भारत में आती हैं जो गंगा नदी बेसिन का का अहम हिस्सा हैं। एक ओर जहां नेपाल की ये नदियां उचित प्रबंधन से सिंचाई और जलविद्युत संपदा का बड़ा खजाना हैं। वहीं माकूल प्रबंधन के अभाव में इन नदियों के रास्ते नेपाल के तराई क्षेत्र के अलावा भारत के बिहार व उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में लगभग हर साल बाढ़ आती है। इस बाढ़ से बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में भारी तबाही होती है।

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