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भारत ने जी 20 देशों से नुकसानदायक गैसों के उत्सर्जन को कम करने का अनुरोध किया

भारत ने जी 20 देशों से नुकसानदायक गैसों के उत्सर्जन को कम करने का अनुरोध किया है। कहा है कि सही कदम उठाकर यह कार्य करने से पृथ्वी आने वाली पीढ़ियों के रहने के लिए बच पाएगी। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 12:57 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 12:57 AM (IST)
भारत ने जी 20 देशों से नुकसानदायक गैसों के उत्सर्जन को कम करने का अनुरोध किया
भारत ने जी 20 देशों से नुकसानदायक गैसों के उत्सर्जन को कम करने का अनुरोध किया

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत ने जी 20 देशों से नुकसानदायक गैसों के उत्सर्जन को कम करने का अनुरोध किया है। कहा है कि सही कदम उठाकर यह कार्य करने से पृथ्वी आने वाली पीढ़ियों के रहने के लिए बच पाएगी। इटली के नेपल्स शहर में आयोजित दो दिवसीय पर्यावरण मंत्रियों के सम्मेलन में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया।

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पर्यावरण में तेजी से बदलाव लाने के लिए उठाना होगा जल्दी कदम

सम्मेलन में यादव ने कहा, कुछ देशों ने 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का संकल्प लिया है लेकिन इससे समस्या का हल नहीं होना है। पर्यावरण में तेजी से आ रहे बदलावों को रोकने के लिए और जल्दी कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसलिए कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य 2030 तक निर्धारित किया जाना चाहिए। विकासशील देशों के लिहाज से यह मुश्किल काम है लेकिन जी 20 देशों को इस कार्य के लिए आगे आना चाहिए। यही देश सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन भी करते हैं।

सम्मेलन के संयुक्त बयान में विज्ञान आधारित कार्बन उत्सर्जन नीति बनाए जाने पर जोर दिया गया। कहा गया कि कोविड-19 महामारी ने हमें विज्ञान पर आधारित सोच विकसित करने का रास्ता दिखाया है। दुनिया की विज्ञानी बिरादरी पर्यावरण से जुड़े खतरों से राजनीतिक नेतृत्व को लगातार आगाह कर रही है। इसे सभी देशों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। पर्यावरण में हो रहा बदलाव जैव विविधता खत्म कर रहा है और मानव स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। ऐसे में हालात को बदलने की जिम्मेदारी मिलकर उठानी होगी।

सम्मेलन ने विकसित देशों द्वारा लिए गए उस संकल्प की याद दिलाई जिसमें उन्होंने पर्यावरण सुधार के लिए 2020 से 2025 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर (करीब 7,40,000 करोड़ रुपये) खर्च करने की घोषणा की थी। इस धन का इंतजाम वृहत रूप में होना है। सम्मेलन ने कुछ विकसित देशों के इस बाबत गंभीर रुख का स्वागत किया।


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