नए दौर में पहुंचा भारत और संयुक्त अरब अमीरात का रणनीतिक संबंध
दो साल से भी कम के समय में यह तीसरी उच्च स्तरीय बैठक है जब भारत और यूएई के उच्च पदस्थ नेता मिल रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन पर अबु धाबी के शहज़ादे और यूएई की फ़ौज के सर्वोच्च उप कमांडर शेख मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाह्यन मुख्य अतिथि होंगे। इस बात की घोषणा अक्टूबर की शुरूआत में ही उस वक्त हो गई थी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निमंत्रण स्वीकार करने के लिए शहज़ादे का धन्यवाद करते हुए ट्वीट किया था। इस बार ये घोषणा तीन महीने से भी पहले ही कर दी गई।
2006 में सउदी अरब के किंग थे मुख्य अतिथि
इससे पहले 2006 में गणतंत्र दिवस समारोह में खाड़ी देश सउदी अरब के किंग बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। वर्ष 2013 में भारत ने खाड़ी देश ओमान के सुल्तान को मुख्य अतिथि के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से ओमान के सुल्तान भारत नहीं आ सके थे।
दो साल में तीसरी उच्च स्तरीय बैठक
दरअसल, दो साल से भी कम के समय में यह तीसरी उच्च स्तरीय बैठक है जब भारत और यूएई के उच्च पदस्थ नेता मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगस्त 2015 में यूएई गए थे और शहज़ादे अल नाह्यान फ़रवरी 2016 में भारत आए थे। ये दूसरा अवसर होगा जब भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में कोई विदेश सैनिक दस्ता भाग लेगा। संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत नवदीप सिंह सूरी ने कहा था कि इससे ना केवल भारत-यूएई द्विपक्षीय सम्बन्धों की गहराई का पता चलता है बल्कि बढ़ते रक्षा सहयोग का भी खुलासा होता है।
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यूएई तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
बात अगर राजनैतिक, आर्थिक और रणनीतिक सम्बन्धों के क्षेत्र में करें तो भारत और यूएई के मज़बूत द्विपक्षीय सम्बन्ध हैं। चीन और अमरीका के बाद संयुक्त अरब अमीरात भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2015-16 में दोनों के बीच कुल 49.7 अरब अमरीकी डॉलर का व्यापार हुआ। खाड़ी देशों में तेल और गैस की प्रचुरता है इसलिए व्यापार में भी काफी प्रधानता है। लेकिन, भारत के साथ यूएई के व्यापार में कई तरह की चीजें शामिल हैं। अप्रैल 2000 से अगर अब तक का देखें तो वो भारत में सबसे बड़ा विदेश निवेशक है।
व्यापार और वाणिज्य भारत-UAE संबंधों की रीढ़ है और भारत के बहुत से कामगार वहां काम करते हैं। एक अनुमानों के मुताबिक, 25 से 30 लाख भारतीय अमीरात में रहते हैं और उसके आर्थिक विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।
हकीकत में, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी के अनुसार 1995 और 2015 के आंकड़े बताते हैं कि भारत और यूएई के बीच दुनिया का सबसे बड़ा आव्रजन गलियारा है। भारतीय वहां ना केवल सबसे बड़ा विदेशी समुदाय हैं बल्कि कड़ी मेहनत और कौशल के चलते उनका काफ़ी सम्मान भी वहां है। भारत को वहां से काफी विदेशी मुद्रा मिलती है और साल 2015 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 4 प्रतिशत का योगदान यूएई से ही हुआ।
यूएई के साथ रक्षा संबंध मजबूत
हाल के समय में भारत और यूएई के रक्षा संबंधों भी बढ़ें हैं। भारत के नौसैनिक पोतों को कई बार वहां आमंत्रित किया गया है और संगठित अपराध तथा आतंक से मुक़ाबला करने के बारे में दोनों देशों के बीच सहयोग जारी है। यूएई ने आतंकी गतिविधियों को धन संबंधी मदद देने वाले कई भारतीयों को प्रत्यावर्तित भी किया है। भारत खाड़ी तथा पश्चिम एशिया में यूएई का प्रमुख व्यापारिक साझेदार भी है और दोनों पक्ष गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान, साइबर सुरक्षा और कट्टरता निरोधक उपायों को लेकर भी सहयोग कर रहे हैं।
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अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान दोनों पक्ष रक्षा संबंध और मज़बूत करने, नियमित युद्धाभ्यास तथा जल, थल, वायु सेवाओं व विशेष सुरक्षा दस्तों के प्रशिक्षण पर भी तैयार हुए थे। इसके बाद मई 2016 में रक्षा क्षेत्र में नई संभावनाओं की तलाश में भारत के रक्षामंत्री पहली बार यूएई गए। दोनों पक्षों ने पश्चिम एशिया और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता को पैदा ख़तरे पर भी चिंता जताई। संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका की परोक्षत: निंदा भी की गई।
खाड़ी देशों के साथ प्रधानमंत्री मोदी का नियमित संपर्क यह बताता है कि आर्थिक विकास और आतंक से मुक़ाबले को लेकर वो कितना गंभीर है। संयुक्त अरब अमीरात पर भारत का फ़ोकस बताता है कि अपनी खाड़ी तथा पश्चिम एशिया की नीति में वो उसे कितना अधिक महत्व देता है। इसलिए, शेख मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाह्यान को आमंत्रण से पता चलता है कि भारत और यूएई के बीच सामरिक संबंध कितने गहरे हैं।
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