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अफगानिस्तान पर आयोजित होने वाले 'मास्को फार्मेट' बैठक में शामिल होगा भारत

वर्ष 2017 से अफगान मुद्दों पर रूस की ओर से मास्को फार्मेट का आयोजन होता रहा है। 2017 के बाद से मास्को में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। इस बार यह 20 अक्टूबर को हो रहा है जिसमें भारत भी शामिल होगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 12:57 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 01:25 AM (IST)
अफगानिस्तान पर आयोजित होने वाले 'मास्को फार्मेट' बैठक में शामिल होगा भारत
अफगानिस्तान पर होने वाले 'मास्को फार्मेट' बैठक में भाग लेगा भारत

नई दिल्ली, प्रेट्र।  विदेश मंत्रालय (EAM) ने गुरुवार को कहा कि भारत को अफगानिस्तान (Afghanistan) पर चर्चा के लिए 'मास्को फार्मेट (Moscow Format) ' बैठक में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। वह 20 अक्टूबर को होने वाली बातचीत में शामिल होगा। अगस्त में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद यह पहली 'मास्को फार्मेट' बैठक है।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'हमें अफगानिस्तान पर 20 अक्टूबर को होने वाली मास्को फार्मेट बैठक के लिए निमंत्रण मिला है। हम इसमें शामिल होंगे। मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता कि बैठक में कौन शामिल होगा, लेकिन इसकी संभावना है कि संयुक्त सचिव स्तर का कोई अधिकारी इसमें हिस्सा  लेगा।' अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान के काबिज होने के बाद से यह पहला मास्को फार्मेट डायलाग  है। पिछले माह तालिबान के अंतरिम सरकार के गठन के बाद से यह पहला मौका होगा जब भारत और तालिबान औपचारिक तौर पर आमने सामने होंगे। MEA के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने गुरुवार को अपने मीडिया ब्रीफिंग में यह जानकारी दी।

बागची ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने अफगानिस्तान के प्रति अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और वह अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा रहेगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि दूसरे देशों के लिए अफगानिस्तान आतंकवाद का स्रोत न बने।

अफगान मुद्दों पर रूस 2017 से मास्को फार्मेट का आयोजन करता रहा है। 2017 के बाद से मास्को में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। अफगानिस्तान के मुद्दों पर चर्चा करने और इसके समाधान के लिए रूस ने 2017 में इस डायलाग की शुरुआत की जिसमें 6 देश अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और भारत शामिल हैं। बता दें कि पहले मास्को फार्मेट डायलाग में अमेरिका ने भी हिस्सा लिया था।


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