भारत का बड़ा रणनीतिक कदम, श्रीलंका के पलाली एयरपोर्ट को करेगा विकसित
सरकारी कंपनी एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया अब प्राइवेट कंपनियों जीएमआर और जीवीके की तरह विदेश में हवाई अड्डों का निर्माण करेगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत ने बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है। सरकारी कंपनी एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) अब प्राइवेट कंपनियों जीएमआर और जीवीके की तरह विदेश में हवाई अड्डों का निर्माण करेगी। एएआइ श्रीलंका के पलाली एयरपोर्ट को विकसित करेगा। भारत के लिए सामरिक लिहाज से श्रीलंका एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
एएआइ के एक अधिकारी ने बताया, 'अथॉरिटी ने श्रीलंका में पलाली एयरपोर्ट के विकास के लिए विस्तृत प्रॉजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हवाई अड्डे के विकास और ऑपरेशन प्रबंधन में एएआइ की दक्षता और विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए अथॉरिटी अब ग्लोबल होना चाहती है।'
60 से ज्यादा एयरपोर्ट के निर्माण की विशेषज्ञता
अधिकारी ने आगे बताया कि एएआइ ने भारत में मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों में 60 से ज्यादा एयरपोर्ट का निर्माण किया है और अब वह अपनी विशेषज्ञता का लाभ बड़े पैमाने पर दूसरे देशों को देना चाहता है। पलाली के बारे में जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, 'पलाली श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्र में (जाफना) स्थित है जो तमिल क्षेत्र है। उत्तरी प्रांत की मांग पर भारत ने पहले पलाली एयरपोर्ट के विकास का वादा किया था। यह एयरपोर्ट उत्तर में श्रीलंका का पहला एयरपोर्ट होगा।'
सीधे दक्षिण भारत से जुड़ेगा तमिल समुदाय
सूत्र ने बताया कि यह एयरपोर्ट होने से उत्तरी क्षेत्र में रहने वाले तमिल समुदाय के लोग सीधे तौर पर दक्षिण भारत, मलेशिया और थाईलैंड से जुड़ जाएंगे। उन्होंने बताया कि भारत ने उत्तर में कनकेसंथुराई एयरपोर्ट और दक्षिण में मताला इंटरनेशनल एयरपोर्ट को विकसित करने का भी प्रस्ताव दिया है। मताला एयरपोर्ट चीन द्वारा विकसित हंबनटोटा पोर्ट के काफी करीब है।
चीन का बढ़ा है दखल
सूत्र ने बताया, '2009 में श्रीलंका में गृह युद्ध खत्म होने के बाद भारत उत्तरी प्रांत के पुनर्निर्माण और विकास में शामिल रहा है। हालांकि चीन श्रीलंका के महत्वपूर्ण ढांचागत प्रॉजेक्ट के बड़े डेवलेपर्स में से एक बनकर उभरा है और ऐसे में भारत को अपना सहयोग तेज करना पड़ा है।'
क्यों खास है पलाली
पलाली अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संवेदनशील तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में है जो पारंपरिक तौर पर भारत के करीब रहा है। यहां विकास कायरें के जरिये भारत श्रीलंका के इस हिस्से में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। पलाली के समझौते पर हाल में एएआइ के कार्यकारी निदेशक (लैंड मैनेजमेंट एंड बिजनेस मैनेजमेंट) अनिल गुप्ता और एमईए के संयुक्त सचिव संजय पांडा ने हस्ताक्षर किए थे।