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आठवीं बार यूएनएससी का अस्थाई सदस्य बनेगा भारत, एक जनवरी से दो वर्षों के लिए होगी भारत की सदस्यता

भारत इस शुक्रवार को दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष निर्णायक बॉडी यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थाई सदस्य बन जाएगा। भारत की सदस्यता एक जनवरी 2021 से दो वर्षों के लिए होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 10:43 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 10:43 PM (IST)
आठवीं बार यूएनएससी का अस्थाई सदस्य बनेगा भारत, एक जनवरी से दो वर्षों के लिए होगी भारत की सदस्यता
अगस्त में एक महीने के लिए भारत होगा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत इस शुक्रवार को दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष निर्णायक बॉडी यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थाई सदस्य बन जाएगा। भारत की सदस्यता एक जनवरी, 2021 से दो वर्षों के लिए होगी।

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अगस्त में एक महीने के लिए भारत होगा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष

भारत आठवीं बार यूएनएससी का अस्थाई सदस्य बनेगा और यूएन की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक अगस्त, 2021 में एक महीने के लिए परिषद का अध्यक्ष भी होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत इस कार्यकाल का उपयोग संयुक्त राष्ट्र में सुधार के अधूरे एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करेगा।

चीन छोड़कर चार स्थाई सदस्यों ने भारत के साथ काम करने की इच्छा जता चुके हैं

यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्यों में से चार (अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस) पहले ही भारत के चुनाव का स्वागत कर चुके हैं और साथ ही भारत के साथ काम करने की इच्छा भी जता चुके हैं। भारत के अलावा मैक्सिको, आयरलैंड और नार्वे भी दो वर्षों के लिए अस्थाई सदस्य बने हैं।

आतंकवाद के खिलाफ यूएनएससी को और मजबूत बनाना भारत की प्राथमिकता

सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक गठबंधन को और मजबूत बनाना भारत की प्राथमिकता रहेगी, लेकिन मौजूदा परिवेश को देखते हुए भारत कोरोना के खिलाफ वैश्विक सहयोग में और सकारात्मक भूमिका निभाएगा। अब जबकि भारत को कोरोना वैक्सीन के मैन्यूफैक्चरर्स के तौर पर पूरी दुनिया देख रही है तब भारत की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

भारत सबसे पहले 1950-51 में यूएनएससी का अस्थाई सदस्य बना था

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक भारत सबसे पहले 1950-51 में यूएनएससी का अस्थाई सदस्य बना था। उसके बाद 1967-68 में, फिर 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में भी अस्थाई सदस्य के तौर पर चयनित हुआ था। अपने हर कार्यकाल में भारत ने विकासशील देशों के हितों के लिए और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शांति स्थापित करने के लिए खास तौर पर काम किया है। पिछली बार (2011-12) में जब भारत अस्थाई सदस्य बना था तब यूएन में मौजूदा नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भारतीय दल का नेतृत्व किया था। बुधवार को उन्होंने यूएन में भारत के मौजूदा प्रतिनिधि पीआर यूएन त्रिमूर्ति को इस नई जिम्मेदारी के लिए बधाई भी दी है।

भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधार के अधूरे एजेंडे को पूरा करने के लिए करेगा काम

उधर, त्रिमूर्ति पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत इस कार्यकाल का उपयोग संयुक्त राष्ट्र में सुधार के अधूरे एजेंडे को पूरा करने के लिए भी करेगा। हाल के महीनों में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर यूएनएससी में सुधार का मुद्दा उठाया है। सितंबर, 2020 में संयुक्त राष्ट्र के अधिवेशन को संबोधित करते हुए भी पीएम मोदी ने यूएनएससी में सुधार की जोरदार पैरवी की थी। यूएनएससी के पांचों सदस्यों में सिर्फ चीन ही भारत को इसका स्थाई सदस्य बनाने का समर्थन नहीं करता। अन्य सभी देश इसके लिए तैयार हैं।


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