भारत की सबसे शक्तिशाली मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण
इस मिसाइल की पहुंच पूरे चीन तक होगी। इसके अलावा यह पूरे एशिया के साथ योरप, अफ्रीका के कुछ भागों में भी निशाना साध सकती है।
बालेश्वर-ओडिशा, प्रेट्र। सफलता की एक नई गाथा लिखते हुए भारत ने सोमवार को परमाणु क्षमता से युक्त अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेदने में सक्षम इस मिसाइल का ओडिशा तट से दूर अब्दुल कलाम द्वीप से परीक्षण किया गया। इस मिसाइल की पहुंच पूरे चीन तक होगी। इसके अलावा यह पूरे एशिया के साथ योरप, अफ्रीका के कुछ भागों में भी निशाना साध सकती है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सूत्रों ने बताया कि तीन चरणों वाले और सतह से सतह तक मार करने में सक्षम मिसाइल का एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के लॉन्च कॉम्प्लेक्स-चार से सुबह के 11 बजकर पांच मिनट पर मोबाइल प्रक्षेपण यान के जरिए परीक्षण किया गया। डीआरडीओ ने कहा कि इस मिसाइल ने अपने सभी लक्ष्यों को भेदने में सफलता प्राप्त की।
भारत अब इन देशों के क्लब में
इस मिसाइल के साथ ही भारत 5,000 से 5,5000 किलोमीटर की दूरी तक वार करने वाले बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस देशों के ग्रुप में शामिल हो जाएगा। अभी यह क्षमता अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन के पास है।
एसएफसी में शामिल हो सकेगी
रक्षा सूत्रों ने कहा कि इस सफल परीक्षण से सबसे शक्तिशाली भारतीय मिसाइल के प्रायोगिक परीक्षण और अंतिम तौर पर इसे स्पेशल फोर्सेस कमांड (एसएफसी) में शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है। वर्ष 2003 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने भारत के परमाणु बेड़े को मजबूत बनाने और इसके प्रबंधन के मकसद से एसएफसी का गठन किया था।
इसके पहले इतने परीक्षण
यह इस मिसाइल के विकास से जुड़ा चौथा और कैनिस्टर स्तर का दूसरा परीक्षण था। इससे पहले 19 अप्रैल, 2012 को इसका पहला, 15 सितंबर, 2013 को दूसरा और 31 जनवरी, 2015 को तीसरा परीक्षण किया गया। सूत्रों ने बताया कि अग्नि श्रृंखला का यह सबसे आधुनिक मिसाइल है, जिसमें नेविगेशन, गाइडेंस, वॉरहेड और इंजन से जुड़ी नई तकनीकों को शामिल किया गया है। देश में विकसित कई तकनीकों का इस मिसाइल में सफल परीक्षण किया गया।
आधुनीक तकनीकों का प्रयोग
मिसाइल में रिंग लेसर गायरो बेस्ड इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (रिन्स) और अत्याधुनिक आर सटीक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (मिंस) तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इससे मिसाइल को लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाने में मदद मिलती है।
अधिक गति से लौटती है
यह मिसाइल दागे जाने पर अपनी पूर्ण ऊंचाई के बाद धरती पर लौटते समय अधिक गुरत्वाकषर्षण बल के कारण अधिक तेजी से आती है। इंटरनल नेविगेशन सिस्टम और इसमें लगे कम्प्यूटर की मदद से यह अपने निर्धारित रास्ते का पालन करते हुए लक्ष्य भेदती है। धरती पर लौटते समय घषर्षण की वजह से मिसाइल का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। हालांकि स्वदेशी कार्बन परत आंतरिक तापमान 50 डिग्री बनाए रखती है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
अग्नि-5 की विशेषताएं
- 5,000 किलोमीटर तक मारक क्षमता
- 1 टन से ज्यादा परमाणु बम ले जाने में सक्षम
- 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी
- करीब 50 टन है वजन
पूर्व में हुए परीक्षण
- पहला : 19 अप्रैल, 2012
- दूसरा : 15 सितंबर, 2013
- तीसरा : 31 जनवरी, 2015
सेना में शामिल अग्नि मिसाइलें
- अग्नि-1 : मारक क्षमता 700 किमी
- अग्नि-2 : मारक क्षमता 2,000 किमी
- अग्नि-3 और अग्नि-4 : मारक क्षमता 2,500 से 3,500 किमी तक