Move to Jagran APP

मौसम के बदलावों से भारत को साल में साढ़े छह लाख करोड़ का नुकसान, चीन का नुकसान तीन गुना ज्यादा

मौसम के बदलावों से आ रहे समुद्री तूफानों बाढ़ और सूखे से भारत को हर साल करीब 87 अरब डालर (6.52 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान झेलना पड़ रहा है। यह बदलाव हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से वायुमंडल के बढ़ रहे तापमान से हो रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 09:58 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 10:25 PM (IST)
मौसम के बदलावों से भारत को साल में साढ़े छह लाख करोड़ का नुकसान, चीन का नुकसान तीन गुना ज्यादा
भारत को हर साल करीब 87 अरब डालर (6.52 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र, पीटीआइ। मौसम के बदलावों से आ रहे समुद्री तूफानों, बाढ़ और सूखे से भारत को हर साल करीब 87 अरब डालर (6.52 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान झेलना पड़ रहा है। मौसम में यह बदलाव हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से वायुमंडल के बढ़ रहे तापमान से हो रहा है। यह बात संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कही गई है। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा एशिया 2020 के शीर्षक जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में पूरे एशिया में मौसम और पर्यावरण की स्थिति में बड़ा बदलाव देखा गया।

loksabha election banner

करोड़ों हुए विस्‍थापित 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में मौसमी बदलाव के चलते हजारों लोगों की जान गई। करोड़ों लोग विस्थापित हुए। लाखों करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। इस सबका परिस्थितिकी तंत्र और आधारभूत ढांचे पर बड़ा असर हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनियोजित विकास खाद्यान्न और पानी को लेकर असुरक्षा पैदा कर रहा है। साथ ही स्वास्थ्य और पर्यावरण की स्थिति में गिरावट हो रही है।

पांच हजार लोगों ने गंवाई जान

इसी की वजह से प्राकृतिक आपदा आने का सिलसिला तेज हुआ है। इसके चलते एशिया में चीन, भारत और जापान ने 2020 में बड़ा नुकसान उठाया है। चीन को कुल 238 अरब डालर का, भारत को 87 अरब डालर का और जापान को 83 अरब डालर का नुकसान हुआ है। बीते साल बाढ़ और तूफान से पांच करोड़ लोग प्रभावित हुए और पांच हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई।

वादों की नहीं अब कार्य में जुटने की जरूरत : यादव

ग्लासगो में होने वाले वैश्विक पर्यावरण सम्मेलन से पहले भारत ने अहम बयान दिया है। कहा है कि पर्यावरण की स्थिति जिस तरह से बिगड़ रही है उससे वादों और संकल्पों से अब कुछ नहीं होना है। अगर हालात को काबू में लाना है तो प्रदूषण नियंत्रण के लिए धन, तकनीक और सहयोग अविलंब देना होगा। 

उपायों को तेज करने का वक्‍त 

पर्यावरण, वन और मौसम बदलाव मामलों के मंत्री भूपेंद्र यादव ने संयुक्त राष्ट्र में उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि अब सुधार के उपायों को तेज करने का समय आ गया है। अब इससे चूकने का समय नहीं है। यह कार्य दुनिया के संपन्न और विकसित देशों को करना होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.