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'अब पाकिस्‍तान से अपना बदला खुद लेने का वक्‍त है, अमेरिका का मुंह ताकना बंद करे भारत'

पुलवामा हमले के बाद पाकिस्‍तान के बालाकोट में हुई भारत की कार्रवाई को कई देशो ने सही करार दिया है। जानकार भी मानते हैं कि अब भारत को अपना बदला खुद लेना होगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 09:36 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 08:40 AM (IST)
'अब पाकिस्‍तान से अपना बदला खुद लेने का वक्‍त है, अमेरिका का मुंह ताकना बंद करे भारत'
'अब पाकिस्‍तान से अपना बदला खुद लेने का वक्‍त है, अमेरिका का मुंह ताकना बंद करे भारत'

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पुलवामा के बाद जिस तरह से भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्‍तान में खैबर पख्‍तूनख्‍वां के बालाकोट में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया उसने भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदलकर रख दिया है। यह भारत के लिए काफी हद तक सकारात्‍मक बदलाव है। बालाकोट में की गई एयर स्‍ट्राइक में जैश ए मुहम्‍मद के सरगना मसूद अजहर के करीबी रिश्‍तेदारों समेत कई आतंकियों को ढेर करने में भारत को अभूतपूर्व सफलता मिली है। वैश्विक समुदाय ने भारत के इस फैसले को जहां सही ठहराया वहीं दोनों देशों से संयंम बरतने की भी अपील की। लेकिन इस एयर स्‍ट्राइक ने कहीं न कहीं जवानों को आत्‍मविश्‍वास से लबरेज कर दिया है।

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रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा भी ऐसा ही मानते हैं। उनका कहना है कि पहले भारत इस बात का इंतजार करता था कि अमेरिका जैसे बड़े देश पाकिस्‍तान पर किसी तरह की कार्रवाई करेंगे। दूसरी तरफ से आश्‍वासन मिलने के बाद होता कुछ नहीं था, लिहाजा पाकिस्‍तान बार-बार भारत में हमले करता रहता था। अमेरिका बार-बार पाकिस्‍तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से बचता आया है। इसकी वजह अफगानिस्‍तान में अमेरिका की मौजूदगी के लिए पाकिस्‍तान बड़ी राहत है। यहां से ही उसकी सप्‍लाई भी आती है। यदि वह पाकिस्‍तान में कार्रवाई करता है तो वह अफगानिस्‍तान में फंस सकता है, जो वो नहीं चाहेगा। अनिल मानते हैं कि दूसरे देशों पर केवल सपोर्ट के लिए निर्भर हुआ जा सकता है, लेकिन जवाब भारत को खुद ही देना होगा। भारत को पाकिस्‍तान पर दबाव डालने के लिए कूटनीतिक तरीके का भी इस्‍तेमाल करना चाहिए।

एयर मार्शल चोपड़ा यह भी मानते हैं कि पाकिस्‍तान पर दबाव डालने का एक जरिया ये भी हो सकता है कि हम आतंकवादियों पर सीधी कार्रवाई के अलावा बलूचिस्‍तान में चल रही बलूचों की वर्षों पुरानी मुहिम को दुनिया के सामने जगजाहिर करें, उनका समर्थन करें। आपको बता दें कि बलूचिस्‍तान समेत सिंध में लोगों का पाकिस्‍तान के प्रति जबरदस्‍त गुस्‍सा है। भारत को इस गुस्‍से का फायदा पाकिस्‍तान पर दबाव बनाने के लिए उठाना चाहिए। इनके गुस्‍से की वजह पाकिस्‍तान में उनके सिर पर बैठी पंजाबी लॉबी है जिसने वर्षों से उसे दबाकर रखे हुआ है। अब भारत साठ वर्ष पुराना मुल्‍क नहीं रहा है। दुनिया मानती है कि भारत 2030 में दूसरी बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा। इसलिए भारत को चाहिए कि वह दूसरों का मुंह ताकना बंद करे और अपना बदला खुद ले, जैसे बालाकोट में लिया है।

उनका कहना है कि वार ऑन टेरर के हर देश के लिए अपने मायने हैं। अपने हितों के लिए देश इसको अपने हिसाब से सही गलत बताते हैं। वहीं यदि हम पाकिस्‍तान की बात करते हैं तो उसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि जिसमें पहले अमेरिका को फिर चीन को काफी दिलचस्‍पी है। आपको बता दें कि जिसको अमेरिका मिडिल ईस्‍ट या मध्‍य एशिया कहता है भारत उसको वेस्‍ट एशिया के नाम से पुकारता है। यहां पामीर नॉट एक ऐसी जगह है जहां पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान, चीन और तजाकिस्‍तान की सीमाएं आपस में मिलती हैं। यदि इस जगह पर गौर करें तो पता चलता है कि वेस्‍ट पाकिस्‍तान का इलाका ऐसा हैं जहां पर संघंर्ष का एक लंबा इतिहास है। खास बात ये है कि यहां पर कभी अंग्रेज भी अपना सिक्‍का नहीं जमा सके। न अमेरिका इस पर अपना वर्चस्‍व कायम कर सका। यहां पर रहने वाले की यही खासियत है कि यह किसी का हुक्‍म नहीं मानते और अपनी शर्तों पर जीवन जीते हैं। दूसरी खासियत यहां की ये है कि यहां के घरों में हथियारों का होना या बनाना आम बात है। इसलिए यहां के लोग बंदूकों की भाषा ज्‍यादा जानते हैं।

इन सभी के बावजूद इस जगह में चीन की भी अपनी दिलचस्‍पी है। इसकी वजह उसका व्‍यापार है। वह नहीं चाहता है कि समुद्र के रास्‍ते कई दिन खर्च कर वह अपने सामान की आपूर्ति मध्‍य एशिया मे कर सके। सड़क मार्ग वह ये काम कुछ ही दिनों में आसानी से कर सकता है। यही वजह है कि चीन इस इलाके से खुद को दूर नहीं कर सकता है। इसके लिए ही वह पाकिस्‍तान का इस्‍तेमाल कर रहा है। पहले यही इस्‍तेमाल अमेरिका ने किया था। जहां तक चीन और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों की बात है तो अमेरिका मे पेसलर संशोधन के बाद पाकिस्‍तान चीन के काफी करीब आया था। सऊदी अरब, यमन और ईरान के मद्देनजर भी चीन और अमेरिका के लिए पाकिस्‍तान की यह स्थिति काफी अच्‍छी है।

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