जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर चीन की हरकत से भारत हैरान
चीन ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर भारत की पीठ में छुरा घोंपकर पाकिस्तान से दोस्ती निभाई है। उसने पठानकोट हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकी सरगना मानने से इन्कार कर दिया।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर भारत की पीठ में छुरा घोंपकर पाकिस्तान से दोस्ती निभाई है। उसने पठानकोट हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकी सरगना मानने से इन्कार कर दिया। ऐसे में भारत आने वाले दिनों में न सिर्फ अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के जरिए पाबंदी लगाने की दूसरी कोशिश करेगा बल्कि इस बारे में चीन और पाकिस्तान के दोहरे रवैये का भी पर्दाफाश करेगा।
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि लियू जिएयी ने शनिवार को कहा कि मसूद अजहर आतंकी घोषित होने के लिए तय मानदंड पूरे नहीं करता, इसलिए उस पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध नहीं लगा सकता। लिहाजा उसने भारत के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल कर उसे बेअसर कर दिया।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद शुक्रवार को चीन ने अपने निर्णय के लंबित होने की बात कही थी। लेकिन स्थायी प्रतिनिधि ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रावधान के अनुसार मसूद अजहर आतंकी होने के मानदंडों को पूरा नहीं करता। जबकि संगठन के तौर पर प्रतिबंध के लिए मानदंड कुछ और हैं। परिषद के सदस्य देशों की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे तय मानदंडों का बारीकी से अध्ययन करके उनका पालन सुनिश्चित कराएं।
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उल्लेखनीय है कि दो जनवरी को पठानकोट एयरबेस पर हमले के बाद भारत ने मसूद अजहर और उसके संगठन जैश ए मुहम्मद पर प्रतिबंध लगाए जाने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर विचार को 15 में से 14 देश सहमत थे लेकिन चीन ने अपनी अलग राय दिखाते हुए भारतीय प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल कर दिया। यह दूसरा मौका है जब चीन ने पाकिस्तानी आतंकी को प्रतिबंध से बचाने में मदद दी है। भारत ने चीन के इस कदम की निंदा की है।
चीन के रवैये पर भारत का विरोध :
संयुक्त राष्ट्र में चीन ने भारत के प्रस्ताव को तकनीकी आधार पर सफल नहीं होने दिया। इसलिए अब उस पर अंतरराष्ट्रीय आतंकी होने की वजह से तमाम प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते। भारत ने इसका कड़ा विरोध किया। भारत ने कहा है संयुक्त राष्ट्र में इस तरह का रवैया वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता को प्रभावित करेगा। भारत ने इस पर आश्चर्य जताया है कि जब जैश को आतंकी संगठन माना जाता है तो उसके मुखिया और उसके लिए पैसा जुटाने वाले शख्स को अंतरराष्ट्रीय आतंकी मानने से क्यों मना किया जा रहा है।
अमेरिका की मदद से उठाएंगे कदम :
सूत्रों के मुताबिक चीन की तरफ से अड़ंगा लगाने के बावजूद जैश मुखिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने का रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। चूंकि जैश प्रमुख पहले से ही अमेरिका की तरफ से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित है इसलिए भारत की कोशिश होगी कि अमेरिका की मदद से आगे कदम उठाए जाएं।
पाक नहीं चाहता अजहर पर हो प्रतिबंध :
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जैश और मसूद अजहर को पाकिस्तान ने अपने एक अहम हथियार के तौर पर छिपा रखा है। उसे पिछले एक दशक से पाकिस्तान पाल रहा है। इसे न सिर्फ अपना नेटवर्क फैलाने की इजाजत मिली बल्कि कश्मीर के नाम पर उसे पूरे पाकिस्तान में चंदा वसूलने की भी छूट थी। पाकिस्तान सेना की देखरेख में उसने अलकायदा और तालिबान से ज्यादा करीबी रिश्ते बनाए। अब जबकि लश्कर-ए-तैयबा व इसके मुखिया हाफिज सईद की गतिविधियों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग गया तो पाकिस्तान के लिए अजहर की अहमियत ज्यादा बढ़ गई है। इसलिए वह अजहर पर संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगने नहीं देना चाहता।