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आइएनएस 'अरिहंत' से इंडियन नेवी को मिलेगी 'न्‍यूक्लियर ट्रायड' की ताकत

भारत के जल्‍द ही समुद्र के नीचे मौजूद पनडुब्‍बी से न्‍यूक्लियर मिसाइल दागने की क्षमता को प्राप्‍त कर लेगा। अरिहंत पनडुब्‍बी के जरिए भारत इस कामयाबी को प्राप्‍त कर लेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 18 Oct 2016 09:07 AM (IST)Updated: Tue, 18 Oct 2016 03:01 PM (IST)
आइएनएस 'अरिहंत' से इंडियन नेवी को मिलेगी 'न्‍यूक्लियर ट्रायड' की ताकत

नई दिल्ली(जेएनएन)। भारत को जल्द ही समुद्र के नीचे से परमाणु हमला करने की ताकत मिल जाएगी। दरअसल आने वाले कुछ समय में भारत के पास न्यूक्लियर ट्रायड तकनीक मौजूद होगी जिसके चलते भारत समुद्र के नीचे मौजूद अपनी पनडुब्बी से न्यूक्लियर मिसाइल दाग सकेगा। फिलहाल भारत के पास जमीन और हवा से परमाणु हमला करने की क्षमता है। लेकिन इसके बाद समुद्र से ही इस तरह का हमला करने की क्षमता भारत को मिल जाएगी, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि होगी।

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न्यूक्लियर ट्रायड से बढ़ेगी ताकत

गौरतलब है कि भारत के पास जमीन से लंबी दूरी के लक्ष्यों को निशाना बनाने वाली अग्नि मिसाइल काफी पहले से मौजूद है। इसके अलावा, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम फाइटर एयरक्राफ्ट्स भी मौजूद हैं। लेकिन अब न्यूक्लियर ट्रायड की क्षमता हासिल हो जाने के बाद भारत समुद्र से भी परमाणु हमला करने में सक्षम हो जाएगा। इसकी यह कमी भारत की पहली स्वदेश निर्मित न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिहंत से पूरी होगी जो इसी वर्ष अगस्त में नौसेना में शामिल की गई है। 83 मेगावॉट क्षमता वाले लाइट वॉटर रिएक्टर से चलने वाली इस पनडुब्बी का ट्रायल दिसंबर 2014 से ही चल रहा है।

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पहली न्यूक मिसाइल सबमरीन है 'अरिहंत'

अरिहंत नौसेना में शामिल की जाने वाली पांच न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन में से पहली है। इसे विशाखापट्टनम में बनाया गया है और वहीं इसका डीप सी डाइविंग टेस्ट परीक्षण भी किया गया। अरिहंत का वजन लगभग 6000 टन है। पिछले साल एक अक्टूबर को आया रूस का डाइविंग सपोर्ट शिप- आरएफएस एप्रन डीप सी डाइव और लॉन्च से जुड़े टेस्ट में अरिहंत के साथ था। आईएनएस अरिहंत में 750 किमी और 3500 किमी क्षमता वाली मिसाइलें हैं। हालांकि अमेरिका, रूस और चीन की तुलना में इनकी क्षमता कम है, क्योंंकि इनके पास 5000 किमी से ज्यादा क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल मौजूद हैं।

अरिहंत में लगी मिसाइल का कोडनेम है 'K'

हालांकि मीडिया में आई रिपोर्ट्स को मानें तो कुछ समय में अरिहंत पनडुब्बी में बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को लगाने में थोड़ा वक्त लगेगा। इन मिसाइलों को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर कोडनेम 'के' दिया गया है। इनमें दो तरह की मिसाइलें लगेंगी। पहली K-15 SLBM, जिसकी क्षमता 750 किमी है, जबकि दूसरी K-4 जो 3500 किमी दूर तक के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है। अरिहंत को 750 किलोमीटर रेंज वाली के 15 और 3,500 किलोमीटर रेंज वाली 4 बैलिस्टिक मिसाइलों से भी लैस किया जाएगा।

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