दुनिया में अंग प्रत्यारोपण के इच्छुकों में भारतीय दूसरे नंबर पर
इप्सोस मोरी की ग्लोबल व्यू ऑन हेल्थ केयर 2018 रिपोर्ट में सामने आया है कि दुनिया में अंगदान करने के इच्छुक लोगों के मामले में भारतीय दूसरे स्थान पर हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सर्वेक्षण और विश्लेषण करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था इप्सोस मोरी की ग्लोबल व्यू ऑन हेल्थ केयर 2018 रिपोर्ट में सामने आया है कि दुनिया में अंगदान करने के इच्छुक लोगों के मामले में भारतीय दूसरे स्थान पर हैं। यहां के लगभग तीन-चौथाई लोग आकस्मिक मृत्यु के समय अपने अंगों को दान करने पक्ष में हैं। 28 देशों की इस सूची में 30 फीसद इच्छुक लोगों के साथ रूस अंतिम पायदान पर है।
अंगदान बचाए जान
एक इंसान हृदय, फेफड़े, लिवर, अग्नाशय (पैनक्रियाज), किडनी और आंत जैसे 6 अंगों को दान करके 8 लोगों की जान बचा सकता है।
भारत में अंग प्रत्यारोपण की स्थिति
देश में तकरीबन पांच लाख लोग अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं। यहां किडनी, लिवर, हृदय और कॉर्निया जैसे अंगों की सबसे ज्यादा जरूरत है। हालांकि फिलहाल दुनिया में सबसे कम अंगदान यहीं होता है। प्रति दस लाख आबादी में से महज 0.34 लोग अपने अंग दान करते हैं।
अंगदान
किसी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर का कोई अंग दान करना अंगदान कहलाता है। यह अंग किसी दूसरे जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित (ट्रान्सप्लान्ट) किया जाता है। इस कार्य के लिये दाता के शरीर से दान किये हुए अंग को शल्यक्रिया द्वारा निकाला जाता है।
दिल के लिए
मरने से पहले दिल दान करने का फैसला लिया जा सकता है, अधिकतर लोगों का इस ओर ध्यान केवल तब जाता है जब किसी अपने को इसकी जरूरत पड़ती है।
अंगदान और प्रत्यारोपण लोगों के लिए पुनर्जीवन का आधार
अंगदान और प्रत्यारोपण हर वर्ष हजारों लोगों को जीवन का दूसरा अवसर प्रदान करता है। अमीर और गरीब के बीच भारी असमानता, मानव अंगों की मांग और देश में प्रौद्योगिकी की उपलब्धता जैसे कारणों से मानव अंगों का व्यापार जहां कुछ लोगों को धन प्रदान करता है वहीं अन्य लोगों को राहत पहुंचाता है।
अंगों का व्यापार निश्चित रूप से निर्धनता से ग्रस्त लोगों के शोषण को बढ़ावा देता है क्योंकि वे तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए धन के लालच में अंग बेचते हैं।