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किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद भारत सरकार ने बढ़ाई चावल और कपास की कीमतें

नए नियम के अनुसार 1 जुलाई से शुरू होने वाले स्थानीय किसानों को सामान्य ग्रेड धान चावल के लिए कीमतें 5.4 प्रतिशत दर से बढ़कर 1550 रूपये प्रति 100 किग्रा हो जाएंगी

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 12:53 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 01:04 PM (IST)
किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद भारत सरकार ने बढ़ाई चावल और कपास की कीमतें
किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद भारत सरकार ने बढ़ाई चावल और कपास की कीमतें

नई दिल्ली/मुंबई (रायटर्स)। देश के दो सबसे बड़े कृषि राज्य मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में चल रहे किसान विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद अब चावल, कपास और अन्य फसलों के लिए न्यूनतम खरीद की कीमतें बढ़ा दीं है। नए नियम के अनुसार, 1 जुलाई से शुरू होने वाले स्थानीय किसानों को सामान्य ग्रेड धान चावल के लिए कीमतें 5.4 प्रतिशत दर से बढ़कर 1,550 रूपये प्रति 100 किग्रा हो जाएंगी, जबकि कपास की कीमतें 3.8 प्रतिशत दर से बढ़कर 4,320 रुपए प्रति 100 किग्रा हो जाएंगी।

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चावल, कपास और अन्य फसलों के कीमतें बढ़ाने की मांग को लेकर दोनों भाजपा शाषित राज्यों के किसानों में असंतोष फैल गया था। किसान अपने कृषि उत्पादों के उच्च मूल्य और कर्ज राहत की मांग कर रहे थे। इस आंदोलन में मध्यप्रदेश में पांच प्रदर्शनकारी किसानों की मौत भी हो गई थी। दोनों राज्यों में फैली अशांति को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पांच सालों में किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया है। गौरतलब है कि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। यह स्थानीय किसानों को अनाधिकृत बिक्री से बचाने और उनके कल्याण कार्यक्रमों के लिए शेयरों का निर्माण करने के लिए उनसे अनाज खरीदता है।

सरकार दो दर्जन से अधिक कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम मूल्य तय करती है, हालांकि यह मुख्य रूप से गेहूं और चावल की खरीद करती है। अन्य फसलों जैसे कि प्याज, टमाटर और आलू कीमतों में भारी गिरावट और सरकारी खरीद की अनुपस्थिति को लेकर भी किसान विरोध कर रहे हैं। सरकार ने 1 जुलाई से प्रभावी सोयाबीन की कीमत 9.9 प्रतिशत दर से 3,050 रुपए प्रति 100 किलो कर दिया है, इसके अलावा अनाज को 7.1 प्रतिशत दर से बढ़ाकर 1,425 रूपये प्रति 100 किलो कर दिया है। साल 2012/13 के बाद से इन दो अनाजों में हुई सबसे बड़ी वृद्धि है।

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