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जस्टिस भंडारी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में फिर बढ़ाई भारत की धाक

दलवीर भंडारी 2012 में पहली बार आइसीजे के जज नियुक्त हुए थे। उनकी इस नियुक्ति से भारत की कूटनीति को बल मिलने की संभावना है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 12:11 PM (IST)
जस्टिस भंडारी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में फिर बढ़ाई भारत की धाक
जस्टिस भंडारी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में फिर बढ़ाई भारत की धाक

नई दिल्ली (जेएनएन)। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में दलवीर भंडारी के दूसरे कार्यकाल के लिए जज निर्वाचित होने से विश्व में भारत की धाक एक बार फिर बढ़ गई है। वह आइसीजे में नियुक्त होने वाले चौथे भारतीय हैं। भंडारी 2012 में पहली बार आइसीजे के जज नियुक्त हुए थे। उनकी इस नियुक्ति से भारत की कूटनीति को बल मिलने की संभावना है।

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1945 में हुई स्थापना : अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना जून 1945 में संयुक्त राष्ट्र के अधिकार पत्र के अनुसार हुई। आइसीजे ने अप्रैल 1946 से कार्य शुरू किया। इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है और 193 देश इसके सदस्य हैं। अंग्रेजी और फ्रांसीसी आधिकारिक भाषाएं हैं। रॉनी अब्राहम मौजूदा अध्यक्ष हैं।

विवादों की सुनवाई

आइसीजे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत देशों के बीच कानूनी विवादों पर सुनवाई करता है। इसके लिए देशों को इसमें अपील करनी पड़ती है। उनके लिए इसका निर्णय मानना अनिवार्य होता है। कोई भी सदस्य देश अपने किसी खास मामले की सुनवाई के लिए इसमें विशेष जज भी नियुक्त कर सकता है।

15 जजों की पीठ

आइसीजे में 15 जजों की पीठ होती है। इनमें से पांच जजों का चुनाव प्रत्येक तीन साल में होता है। सामान्य तौर पर किसी भी मामले की सुनवाई में 15 जजों की पीठ बैठती है। लेकिन कई मामलों में तीन या पांच जजों की पीठ भी सुनवाई कर सकती है।

2012 में पहुंचे आइसीजे

2011 में आन अल-खासावनेह ने जॉर्डन का प्रधानमंत्री बनने पर आइसीजे में जज के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस रिक्त पद के लिए भारत ने भंडारी की उम्मीदवारी जनवरी 2012 में घोषित की। 27 अप्रैल, 2012 को हुए चुनाव में भंडारी को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 122 वोट मिले। उन्होंने फिलीपींस के उम्मीदवार फ्लोरेंटिनो को हराया। 19 जून, 2012 को वह पहली बार आइसीजे में जज बने।

जटिल चुनावी प्रक्रिया

15 जजों का चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा देशों की ओर से स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) को सौंपी गई उम्मीदवारों की सूची से होता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद अलग-अलग मतदान करते हैं। उम्मीदवार को जीतने के लिए दोनों अंगों में बहुमत हासिल करना होता है। कभीकभी इसके लिए कई बार मतदान करना पड़ता है।

सफर : भंडारी का जन्म एक अक्टूबर, 1946 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ। 

-1966 में जोधपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक, 1968 में कानून की पढ़ाई की। 

-1968-70 और 1973-77 तक राजस्थान हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। 

-1971 में शिकागो की नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी से मास्टर्स ऑफ लॉ किया। 

-1991-2004 तक दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहे। 

-2004-05 तक बांबे हाईकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रहे। 

-2005-12 तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे। 

-2014 में पद्म भूषण से सम्मानित।

आइसीजे जा चुके भारतीय
बेनेगल नरसिंह राऊ (1952-53) नागेंद्र सिंह (1973-88), रघुनंदन स्वरूप पाठक (1989-91),
(1985-88 तक अध्यक्ष और 1976-79 तक उपाध्यक्ष भी रहे)

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