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हिमालय जितना ऊंचा और हिंद महासागर जितना गहरा है भारत-नेपाल का संबंध: CDS रावत

भारत-नेपाल के बीच मजबूत संबंध पर जोर देते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि दोनों देशों के बीच का संबंध हिमालय जितना ऊंचा और हिंद महासागर जितना गहरा है। साथ ही उन्‍होंने चीन से नेपाल को सतर्क रहने की सलाह दे डाली।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 02:01 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 02:01 PM (IST)
हिमालय जितना ऊंचा और हिंद महासागर जितना गहरा है भारत-नेपाल का संबंध: CDS रावत
नेपाल का संबंध है इतना मजबूत, CDS रावत ने बताया पैमाना

नई दिल्‍ली, एएनआइ। चीफ ऑफ डिफेंस जनरल बिपिन रावत ने पड़ोसी देश नेपाल व भारत के बीच मजबूत संबंध की तुलना हिमालय की ऊंचाई और हिंद महासागर की गहराई से की। साथ ही नेपाल को चीन से सतर्क रहने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ भारत की सद्भावना किसी डोर से नहीं जुड़ी है। उन्होंने नेपाल को सलाह दी कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में वह स्वतंत्र तौर पर कार्य कर सकता है। उसे श्रीलंका और उन अन्य देशों से सीखते हुए सतर्क रहना चाहिए। 

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जनरल रावत ने कहा कि नेपाल को दूसरे देशों से सीखना चाहिए, जिन्होंने इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी समझौते किए हैं।  भारत-नेपाल के बीच मजबूत संबंध पर जोर देते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा, 'दोनों देशों के बीच का संबंध हिमालय जितना ऊंचा और हिंद महासागर जितना गहरा है।' चीन का नाम लिए बगैर उन्‍होंने क्षेत्र में दूसरे देशों के साथ समझौता करने को लेकर काठमांडू को सतर्क किया और कहा कि दूसरे देशों के साथ समझौते पर हस्‍ताक्षर सोच समझ कर करे। 

निवेश की जहां तक बात आती है  तो नेपाल में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश का 30 फीसद से अधिक हिस्‍सेदारी भारत की है। साथ ही 150 भारतीय वेंचर का संचालन नेपाल के विभिन्‍न क्षेत्रों में किया जा रहा है। जैसे मैन्‍युफैक्‍चरिंग, सर्विसेज, बैंकिंग, इंश्‍योरेंस, एजुकेशन, टेलीकॉम, पावर सेक्‍टर और टूरिज्‍म इंडस्‍ट्री। CDS रावत ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की महत्‍ता को दोहराया और कहा कि भारत और नेपाल अद्वितीय हैं और सदियों से मौजूद हैं। इनके बीच काफी पवित्र और मजबूत संबंध हैं। 

उल्‍लेखनीय है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण गत मार्च महीने से भारत-नेपाल सीमा बंद पड़ी है और इसके अभी खुलने की कोई उम्मीद नहीं है। हालांकि दोनों देशों की ओर से भारतीय व नेपाली दूतावास में इसके लिए अपील की जा चुकी है।


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