Move to Jagran APP

नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने के लिए 2029 तक 540 अरब डॉलर की जरूरत, एसएंडपी ग्लोबल की सामने आई रिपोर्ट

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अक्षय ऊर्जा क्षमता में बढ़ोतरी कोयल के मुकाबले तेज है। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों से माहौल अनुकूल बना है और इस पूरे सेक्टर का नेतृत्व निजी क्षेत्र करेगा।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaPublished: Thu, 30 Mar 2023 07:32 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2023 07:32 PM (IST)
नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने के लिए 2029 तक 540 अरब डॉलर की जरूरत, एसएंडपी ग्लोबल की सामने आई रिपोर्ट
नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने के लिए 2029 तक 540 अरब डॉलर की जरूरत

नई दिल्ली, पीटीआई। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि नवीकरणीय ऊर्जा के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत को वर्ष 2020 से वर्ष 2029 के बीच 540 अरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। आधा निवेश नवीकरणीय ऊर्जा और बैटरी में होगा, जबकि निवेश का एक हिस्सा ग्रिड को मजबूत करने में खर्च होगा।

loksabha election banner

500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य

भारत 2070 तक अपने उत्सर्जन को शून्य तक लाने का लक्ष्य बनाकर चल रहा है। वह 2030 तक अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों के जरिये 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लेना चाहता है। अगर देश में उपयोग होने वाली आधी बिजली अक्षय ऊर्जा से मिलने लगे, तो उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी आएगी।

ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि अगर भारत को 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करना है, तो उसे ऊर्जा भंडार में 40 गीगावाट प्रति वर्ष की बढ़ोतरी करनी होगी। फिलहाल यह 10-15 गीगावाट प्रति वर्ष है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अक्षय ऊर्जा क्षमता में बढ़ोतरी कोयल के मुकाबले तेज है, लेकिन बिजली की मांग में वृद्धि और वैश्विक स्तर पर होने वाले व्यवधान के चलते कोयले का ना केवल उपयोग बढ़ा, बल्कि नए कोयला संयंत्र भी बन रहे हैं।

'एशिया-प्रशांत देशों को तय करना है लंबा रास्ता'

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों से माहौल अनुकूल बना है और इस पूरे सेक्टर का नेतृत्व निजी क्षेत्र करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत के देशों को अभी भी अपने महत्वाकांक्षी ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है।

चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद भारत चौथा देश है, जो कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे ज्यादा उत्सर्जन करता है। हालांकि, प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की बात करें, तो अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थों के मुकाबले बहुत कम है।

भारत में वर्ष 2019 में प्रति व्यक्ति 1.9 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन किया जबकि उसी वर्ष अमेरिका में यह आंकड़ा 15.5 टन और रूस में 12.5 टन था। शुद्ध शून्य या कार्बन न्यूट्रल बनने का अर्थ है वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि नहीं करना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.