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100 करोड़ टीकाकरण के लक्ष्य के पार पहुंचा भारत, जानें वैक्सीनेशन को लेकर क्या रहीं चुनौतियां

भारत कोरोना टीकाकरण के 100 करोड़ के लक्ष्य के पार पहुंच गया है लेकिन इस दौरान देश में कोविड वैक्सीनेशन को लेकर कई चुनौतियां सामने आईं। भारत के लिए बड़ी जनसंख्या सबसे बड़ी समस्या बनी है। ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में वैक्सीन लेकर पहुंचना भी एक चुनौती है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 12:36 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 10:08 AM (IST)
100 करोड़ टीकाकरण के लक्ष्य के पार पहुंचा भारत, जानें वैक्सीनेशन को लेकर क्या रहीं चुनौतियां
भारत में 100 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य पूरा।(फोटो: प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत में कोरोना टीकाकरण का आंकड़ा 100 करोड़ को पार कर चुका है। इस लक्ष्‍य को हासिल करने में भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। कोरोना महामारी से हमारी लड़ाई में वैक्सीन (Corona Vaccine) ही हमारा सबसे बड़ा हथियार है लेकिन भारत ऐसे देश में कोरोना टीकाकरण कई चुनौतियां लेकर आया। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में अब तक किन चुनौतियों का भारत को सामना करना पड़ा है और देश इन चुनौतियों से कैसे निपटा इसकी भी बात करेंगे।

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जनसंख्या सबसे बड़ी चुनौती

भारत के लिए कोरोना वैक्सीनेशन में सबसे बड़ी चुनौती जनसंख्या रही है। आबादी के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। विश्व के छोटे देशों के लिए टीकाकरण अपेक्षाकृत ज्यादा आसान है। 2.5 करोड़ से कम आबादी वाले कई देशों में टीकाकरण की स्थिति भारत से बेहतर है। यूएई को देखें जहां 81 फीसद आबादी को दोनों डोज लगाई जा चुकी है। कंबोडिया में यह आंकड़ा 63 फीसदी और स्विट्जरलैंड में 53 फीसदी है। ऐसे में भारत के लिए बड़ी जनसंख्या समस्या बनी है। ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में वैक्सीन लेकर पहुंचाना ही बड़ी चुनौती है। इससे भारत को आगे भी पार पाना होगा।

गलत सूचना और अफवाहों के कारण धीमा पड़ा था टीकाकरण

कोरोना महामारी को खत्म करने का एकमात्र विकल्प सभी नागरिकों का टीकाकरण करना है। लेकिन इस दौरान कई तरह की चुनौतियां सामने आईं जैसे- पहुंच की कमी, डिजिटल निरक्षरता, गलत सूचना और अफवाहों के कारण टीके की झिझक आदि जिस कारण ग्रामीण भारत में टीकाकरण का धीमा और असमान रोल आउट हुआ है। इसको कम करने के लिए ग्रामीण इलाकों में सरकार की ओर से गिव इंडिया मिशन टीकाकरण सभी के लिए शुरू किया है। यह मिशन कोरोना वैक्सीन से जुड़े मिथकों और गलत सूचनाओं के खिलाफ जागरुकता पैदा करने में मदद करेगा। वैक्सीन को लेकर नेताओं की ओर से दिए गए गलत बयानों की वजह से भी शुरुआत में कोरोना टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ी थी।

ग्रामीण इलाको में वैक्सीन ले जाना भी एक चुनौती

कोल्ड चेन प्रबंधन और वैक्सीन को ग्रामीण क्षेत्रों के दूर-दराज के हिस्सों में ले जाना एक मुख्य चुनौती बना हुआ है। इसके अलावा, दिव्यांगों, बुजुर्गों, और चलने फिरने में मुश्किल का सामना करने वाले लोगों को भी वैक्सीन लगाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।अपेक्षित तीसरी लहर उस समुदाय को कम प्रभावित करेगी जिसके पास अधिक वैक्सीन कवरेज है।

वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में सूचित करना जरूरी

वैक्सीन की नियमित आपूर्ति करना और प्रतिदिन लोगों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में सूचित करना, इन चुनौतियों का समाधान है। ग्रामीण भारत का एक बड़ा हिस्सा दैनिक मजदूरी पर निर्भर है और इसलिए उनके लिए स्वास्थ्य केंद्रों तक जाना आसान नहीं होता है। उन्हें अपनी दैनिक जीविका को छोड़कर बार-बार जाना पड़ता है, और इस कारण वह वैक्सीन लगवाने से कतराने लगे हैं।

रफ्तार बनी रहे और लोग आगे आकर लें वैक्सीन

देश में 16 जनवरी को पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीके दिए जाने के साथ टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी। फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए दो फरवरी से टीकाकरण शुरू हुआ था। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सरकारों की ओर से फ्री में वैक्सीन दी जा रही है तो ऐसे में लोगों को आगे आकर वैक्सीन की डोज लेने की जरूरत है। अगर वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज बनी रहे तो लक्ष्य को जल्दी हासिल किया जा सकता है।


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