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चीन को सबक सिखाने के लिए भारत ने LAC पर तैनात कीं मिसाइलें, सेना की तीन और डिवीजन भेजीं गई

India China News वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी लड़ाकू जेट और हेलिकॉप्टर दिखाई देने के बाद भारत अब अपने उच्च मारक क्षमता वाले हथियार एलएसी पर तैनात कर रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 05:21 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 06:40 AM (IST)
चीन को सबक सिखाने के लिए भारत ने LAC पर तैनात कीं मिसाइलें, सेना की तीन और डिवीजन भेजीं गई
चीन को सबक सिखाने के लिए भारत ने LAC पर तैनात कीं मिसाइलें, सेना की तीन और डिवीजन भेजीं गई

नई दिल्ली, जेएनएन। एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर चीनी लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत ने पूर्वी लद्दाख में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात कर दी है। इस प्रणाली में आकाश मिसाइल शामिल है जो किसी भी गुस्ताखी पर चीनी विमानों को पलक झपकते ध्वस्त करने में सक्षम है। इसके साथ ही सीमा पर बड़े पैमाने पर सैनिक साजोसामान पहुंचाया जा रहा है। सेना की तीन डिवीजन वहां और बढ़ा दी गई हैं। यह सारी तैयारी टकराव की नौबत आने पर चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए की जा रही है।

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एक सरकारी सूत्र ने बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए पूर्वी लद्दाख में सेना और वायुसेना दोनों के एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किए गए हैं। पिछले कुछ हफ्तों में चीन ने सुखोई-30 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हासिल किए हैं। इन्हें और दूसरे बमवर्षक विमानों को चीन ने फिलहाल सीमा से कहीं पीछे तैनात कर रखा है लेकिन अक्सर ये एलएसी पर मंडराते देखे गए हैं।

सूत्रों ने बताया कि भारत को एक मित्र देश से बहुत जल्द एक बहुत बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम मिलने वाला है। मिलते ही उसे तैनात किया जाएगा जिसके बाद भारत की क्षमता और बढ़ जाएगी।

टकराव वाले क्षेत्रों पर मंडरातें हैं चीनी हेलीकॉप्टर

सूत्रों ने बताया कि एलएसी के सभी टकराव वाले बिंदुओं पर चीन के हेलीकॉप्टर मंडराते रहते हैं। दौलत बेग ओल्डी, गलवन घाटी का पैट्रोलिंग प्वाइंट 14, पैट्रोलिंग प्वाइंट 15, पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 और पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 ए के ऊपर चीनी एयरक्राफ्ट लगातार नजर बनाए रखते हैं। इनकी काट के तौर पर भारत की ओर से तैनात किए गए एयर डिफेंस सिस्टम में शामिल आकाश मिसाइल कुछ ही सेकेंड में विमान, हेलीकॉप्टर या ड्रोन को तबाह कर सकता है। ऊंचाई वाले स्थान पर तैनाती के लिए इस सिस्टम में कई बदलाव भी किए गए हैं।

भारतीय मोर्चे को मजबूती देने के लिए एस-30 एमकेआइ लड़ाकू विमान आस-पास के एयर बेस से पूरी तरह लैस होकर कुछ ही मिनटों में यहां पहुंच सकते हैं। दुश्मन की निगरानी के लिए भी भारत ने अपनी जबर्दस्त तैयारी कर ली है। अब चीन का कोई भी विमान पकड़ में आए बगैर इधर से नहीं गुजर सकता।

क्या है एयर डिफेंस सिस्टम

- भारत के आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में उच्च दक्षता के एक चरण वाली सालिड रॉकेट प्रोपेल्ड आकाश मिसाइल शामिल है।

- सतह से हवा में मार करने वाला यह मिसाइल दुश्मन की किसी भी मिसाइल को 30 किमी की ऊंचाई पर भी इंटरसेप्ट कर सकती है।

- यह मिसाइल आंतरिक नैवीगेशन सिस्टम, आधुनिक कंप्यूटर और इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्टीवेटर से लैस होती है।

- इस मिसाइल को मुख्य रूप से ऐसी मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने के लिए विकसित किया गया है जो सुपरसोनिक गति से लक्ष्य भेदने आ रही हों।

- भारत के पास आकाश के अलावा अन्य मिसाइलों वाले एयर डिफेंस सिस्टम भी उपलब्ध हैं।

सेना ने बढ़ाई जवानों की संख्या

बढ़ते तनाव के बीच सेना ने एलएसी पर सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार सेना ने तीन डिवीजन बढ़ा दी हैं। इसके साथ ही उंचाई पर लड़ने में सक्षम एक विशेष डिवीजन को भी प्रशिक्षित कर 18 हजार की फीट पर तैनात किया गया है। रिजर्व फोर्स को अग्रिम मोर्चे पर तैनात किया गया है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम हर मोर्चे पर चीन के मुकाबले अपना बराबर का बल तैनात कर रहे हैं। सेना की भाषा में इसे मिरर डिप्लायमेंट कहते हैं। सेना के प्रवक्ता अमन आनंद इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए मौजूद नहीं थे। वहीं दूसरी तरफ वायुसेना और नौसेना ने भी जबर्दस्त तैयारियां शुरू कर रखी हैं। चीन को जवाब देने के लिए बारत कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

लद्दाख में मजबूत किया जा रहा संचार नेटवर्क होगा

चीन और पाकिस्तान की सरहद से सटे लद्दाख में सड़कों-पुलों के बाद संचार नेटवर्क को भी युद्ध स्तर पर मजबूत किया जा रहा है। लद्दाख के दूरदराज क्षेत्रों में 54 नए मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब डेमचोक में एक, लेह में 17, जंस्कार में 11, सात नुबरा और कारगिल में 19 टावर लगाए जा रहे हैं। लद्दाख के भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नांग्याल ने बताया कि केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 54 मोबाइल टावरों को लगाने की मंजूरी दी है।

एलएसी से सटे क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण तेज

एलएसी से सटे इलाकों में सड़कों का निर्माण भी तेज किया गया है। इससे सुरक्षाबलों के आवागमन में आसानी होगी। झारखंड से मजदूर लद्दाख पहुंच चुके हैं। स्थानीय मजदूरों की भी भर्ती की गई है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की सक्रियता से सड़क निर्माण में तेजी आई है। बीआरओ को करीब 15 हजार मजदूरों की आवश्यकता थी। इसीलिए झारखंड में विशेष भर्ती अभियान चलाया गया।


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