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भारत ने फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को बताया झूठा और भ्रामक, मंत्रालय ने कहा- चर्चा एवं विमर्श भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा

सूचना प्रसारण मंत्रालय ने रिपोर्ट में बताया कि लॉकडाउन की दिक्कत पत्रकारों पर खतरे आवाज दबाने की कोशिश जैसे सभी आरोपों पर बिंदुवार जवाब दिया है। मंत्रालय ने कहा कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 10:09 PM (IST)
भारत ने फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को बताया झूठा और भ्रामक, मंत्रालय ने कहा- चर्चा एवं विमर्श भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर की फाइल फोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत सरकार ने देश में लोकतंत्र की स्थिति पर अमेरिकी संस्था फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को भ्रामक और झूठा बताया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि बिना भेदभाव के सभी नागरिकों से समान व्यवहार, चर्चा एवं विमर्श भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा हैं। किसी जाति या समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। फ्रीडम हाउस ने 'डेमोक्रेसी अंडर सीज' रिपोर्ट में भारत का दर्जा स्वतंत्र राष्ट्र से आंशिक स्वतंत्र राष्ट्र करने की बात कही है।

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मंत्रालय ने रिपोर्ट में लॉकडाउन की दिक्कत, पत्रकारों पर खतरे, आवाज दबाने की कोशिश जैसे सभी आरोपों पर बिंदुवार जवाब दिया है। मंत्रालय ने कहा, 'कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था। इस अवधि में सरकार को मास्क, वेंटीलेटर और पीपीई किट कीभारत ने फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को बताया झूठा और भ्रामक, मंत्रालय ने कहा- चर्चा एवं विमर्श भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा

आबादी के आधार पर भारत सबसे कम कोरोना संक्रमितों वाला देश

उत्पादन क्षमता बढ़ाने का अवसर मिला। इन कदमों से महामारी से बेहतर तरीके से निपटना संभव हुआ। आबादी के आधार पर भारत सबसे कम कोरोना संक्रमितों वाला देश है।' आगे सरकार ने कहा कि विमर्श एवं वाद-विवाद भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा हैं। सरकार पत्रकारों समेत देश के सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्र सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को एडवाइजरी भी जारी की है। साथ ही उनसे पत्रकारों व मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों के कदमों पर मंत्रालय ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था संभालना राज्यों के अधिकार में आता है। जांच एजेंसियां लोगों की सुरक्षा को देखते हुए उचित कदम उठाती हैं। मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भी सरकार प्रतिबद्ध है।


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