चीन के टीके के बिना होगी जापानी बुखार से लड़ाई
जानलेवा जापानी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए अब हमें चीन का मुंह नहीं देखना होगा। सालाना एक करोड़ से ज्यादा बच्चों को बहुत जल्दी ही हिंदुस्तान में ही बने टीके लगाए जा सकेंगे। पहली बार भारत में बने ऐसे टीके खुले बाजार में बिक्री के लिए आ गए हैं। बहुत जल्दी ही राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) में वि
नई दिल्ली, मुकेश केजरीवाल। जानलेवा जापानी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए अब हमें चीन का मुंह नहीं देखना होगा। सालाना एक करोड़ से ज्यादा बच्चों को बहुत जल्दी ही हिंदुस्तान में ही बने टीके लगाए जा सकेंगे। पहली बार भारत में बने ऐसे टीके खुले बाजार में बिक्री के लिए आ गए हैं। बहुत जल्दी ही राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) में विकसित टीकों के उत्पादन शुरू होते ही सरकारी खरीद भी यहीं से हो पाएगी। इसके साथ ही इन टीकों के लिए चीन पर हमारी निर्भरता पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
इस समय जापानी बुखार प्रभावित 15 राज्यों के 113 जिलों के सभी बच्चों को छह माह की उम्र में यह टीका सरकार मुफ्त उपलब्ध करा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इसके लिए सारे टीके चीन से खरीदता आ रहा है लेकिन अब भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) की मंजूरी के बाद बायोलॉजिकल-ई नाम की कंपनी ने भारत में ही बने टीके बाजार में उतार दिए हैं। हालांकि, कंपनी ने यह टीका विदेशी कंपनी इंटरसेल एजी की साझेदारी में विकसित किया है और अभी अधिक मूल्य पर सिर्फ खुदरा बाजार में ही बेचना चाहती है।
डीसीजीआइ के अधिकारी बताते हैं कि तीन और कंपनियां इस दौड़ में हैं। इनमें भारत बायोटेक ने तो अंतिम चरण का क्लीनिकल ट्रायल भी पूरा कर लिया है। खास बात यह है कि यह स्वदेशी तकनीक का ही इस्तेमाल कर रही है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पुणे स्थित संस्थान एनआइवी ने इसे व्यावसायिक उत्पादन का अधिकार दिया है। अब कुछ माह में ही यह कंपनी इसका उत्पादन शुरू कर देगी। इसी तरह सनोफी पास्चर भारत में अंतिम दौर का क्लीनिकल ट्रायल कर रही है। राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआइआइ) की मदद से एक और भारतीय कंपनी पैनीशिया बायोटेक भी यह टीका बनाने की प्रक्रिया में है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि इस साल 1.17 करोड़ खुराक टीके खरीदे गए हैं। टीकाकरण का कवरेज बढ़ने के साथ ही इसकी मांग और बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में भारत में इन टीकों का बनना काफी फायदेमंद रहेगा। फिलहाल जो लोग बाजार से खरीदते हैं, उनके लिए तो विकल्प आ ही गया है।
जापानी बुखार का असर
- 15 राज्यों के 113 जिलों में प्रकोप
- सरकार के मुताबिक बीते साल 181, इस वर्ष 136 जानें गईं
- असम, यूपी और बिहार सबसे ज्यादा प्रभावित
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