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पाक-चीन की नई चाल, PoK में बस सेवा शुरू करने की योजना; भारत ने जताया विरोध

चीन और पाकिस्तान के बीच शुरू होने वाली बस सर्विस को लेकर भारत ने कड़ा विरोध जताया है। चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर के बीच शुरू होने वाली है।

By Arti YadavEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 03:09 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 03:09 PM (IST)
पाक-चीन की नई चाल, PoK में बस सेवा शुरू करने की योजना; भारत ने जताया विरोध
पाक-चीन की नई चाल, PoK में बस सेवा शुरू करने की योजना; भारत ने जताया विरोध

नई दिल्ली, एजेंसी। पाकिस्तान और चीन बस सेवा शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यह बस सेवा पाक अधिकृत कश्मीर और चीन के शिजियांग के बीच शुरू की जाएगी। भारत ने इस बस सेवा का पाकिस्तान और चीन दोनों के सामने विरोध दर्ज किया है। पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया के अनुसार, एक निजी प्राइवेट कंपनी 3 नवंबर से बस सेवा लॉन्च करने वाली है। बता दें कि भारत शुरू से ही इसका विरोध कर रहा है।

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यह बस चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) से गुजरेगी। सीपीईसी, पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगा। इसलिए भारत ने चीन-पाक के बीच प्रस्तावित इस बस सेवा पर आपत्ति जताई है। सीपीईसी के पीओके से गुजरने के चलते भारत पहले से इसका विरोध जताता रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान दस 1963 बॉउंड्री एग्रीमेंट को कभी भी मान्‍यता नहीं दी। चीन और पाकिस्तान के बीच शुरू होने वाली बस सेवा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन होगा।

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार इस बस सेवा का किराया 13 हज़ार रुपये और वापसी में 23 हजार रुपये होगा। पाकिस्तान की निजी कंपनी का ये भी कहना है कि बस पाकिस्तान स्थित लाहौर से काशगर तक हफ्ते में चार दिन चलेगी। खबर ये भी है कि लोगों ने इसके लिए बुकिंग करना शुरू कर दिया है।

चीन-पाक के बीच हुआ समझौता अवैध
रवीश कुमार के मुताबिक, '1963 में तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौता अवैध और अमान्य है और भारत सरकार द्वारा इसे कभी मान्यता नहीं मिली। अगर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से कोई बस सेवा शुरू होगी तो यह भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा।'

50 बिलियन डॉलर की लागत से बन रहा आर्थिक गलियार
पाकिस्तान के ग्वादर से चीन के काशगर तक 50 बिलियन डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है। इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। सीपीईसी के तहत चीन सड़क, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट काम कर रहा है।


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