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प्रवासी मजदूरों को लेकर बुधवार को फिर हो सकती है सुनवाई, SC को सरकारी हलफनामे का इंतजार

CJI ने कहा कि पहले हम सरकार की ओर से उस हलफनामे को देखना चाहते हैं जिसे दाखिल करना है फिर हम इस पर बुधवार को सुनवाई कर सकते हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 11:37 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 12:52 PM (IST)
प्रवासी मजदूरों को लेकर बुधवार को फिर हो सकती है सुनवाई, SC को सरकारी हलफनामे का इंतजार
प्रवासी मजदूरों को लेकर बुधवार को फिर हो सकती है सुनवाई, SC को सरकारी हलफनामे का इंतजार

नई दिल्ली, एजेंसियां। India Lockdown Day 6, देश में लॉकडाउन के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने उन हजारों प्रवासी मजदूरों के लिए राहत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की, जो कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन के बीच शहरों को छोड़कर अपने घर जा रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट ने वकील अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की।

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सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत के संघ और सभी राज्य सरकार स्थिति को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत किया कि वह वकील अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका का जवाब देते हुए एक हलफनामा दायर करना चाहते हैं।

CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव से कहा कि हम सब कुछ से निपट लेंगे, लेकिन केंद्र जो कर रहा है उससे नहीं। CJI ने कहा कि पहले हम सरकार  की ओर से  उस हलफनामे को देखना चाहते हैं, जिसे दाखिल करना है, फिर हम इस पर बुधवार को सुनवाई कर सकते हैं।

याचिका में क्या मांगा गया ?

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है।याचिका में इन लोगों को भोजन और मेडिकल सुविधा दिए जाने के साथ ही इन्हे सरकारी इमारतों में आश्रय देने की भी मांग की गई है।सुप्रीम कोर्ट में वकील आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर जनहित याचिका में मांग की गई है कि हजारों प्रवासी श्रमिक परिवारों- महिलाओं, छोटे बच्चों, बड़ों और अलग-अलग तरह के लोगों के हृदय की भयावह और अमानवीय दुर्दशा का निवारण करें। कोरोना वायरस संकट के बीच ये लोग सैकड़ों किलोमीटर तक पैदल चलकर शहरों से अपने गांवों तक बिना भोजन, पानी, गाड़ी, चिकित्सा के पहुंच रहे हैं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद बेरोजगारी और जीवन निर्वाह के लिए पैसों की कमी के कारण हजारों प्रवासी मजदू शहरों को छोड़कर पैदल ही अपने-अपने गांवों की ओर निकल दिए थे, क्योंकि लॉकडाउन के कारण सभी परिवहन सेवाएं रुकी हुई थीं।

इसके बाद सामने आई स्थितियों को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने अपने मूल कस्बों और गांवों तक बसें चलाने की व्यवस्था की। हालांकि, इस बीच सरकारों की  ये भी चिंताएं हैं कि ये सभी पलायन कर रहे प्रवासी मजदूर अपने गांवों तक कोरोना का संक्रमण फैला सकते हैं।

इस बीच गृह मंत्रालय ने रविवार को राज्य सरकारों को अपनी सीमाओं को सील करने और लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है। केंद्र ने प्रवासी मजदूरों सहित फंसे हुए लोगों को भोजन और आश्रय देने के लिए भी कहा है। साथ ही उन्हें उन लोगों को भी क्लारंटाइन में रखने को कहा गया है जो पहले से ही अपने गांव के लिए रवाना हो चुके हैं।


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