BrahMos Missile: भारत अगले हफ्ते ब्रह्मोस मिसाइल के 'एयर लॉन्च वर्जन' का कर सकता है परीक्षण
भारतीय वायुसेना और डीआरडीओ सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमान से दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एयर लॉन्च वर्जन के परीक्षण की योजना बना रहे हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत अगले हफ्ते ब्रह्मोस मिसाइल के एयर लॉन्च वर्जन का परीक्षण कर सकता है। भारतीय वायुसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमान से दुनिया की इस सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर लॉन्च वर्जन के परीक्षण की योजना बना रहे हैं। भारतीय वायु सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि वे 290 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली इस मिसाइल के तेज विकास को लेकर उत्सुक हैं। यह जमीन पर दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त कर सकती है। इसका इस्तेमाल बालाकोट जैसी एयर स्ट्राइक को अंजाम देने में किया जा सकता है। इसके लिए हमें सीमा पार करने की भी जरूरत नहीं होगी। सूत्रों की मानें तो अगले हफ्ते होने वाले इस परीक्षण को देश के दक्षिणी भाग में किए जाने की योजना है।
बता दें कि पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के दौरान भारतीय वायुसेना ने स्पाइस-2000 बमों का इस्तेमाल किया था। यह हमला मिराज-2000 विमानों के जरिए अंजाम दिया गया था। डीआरडीओ द्वारा विकसित ब्रह्मोस के उपलब्ध हो जाने से भारतीय वायुसेना 150 किलोमीटर भीतर से ही ऐसे हमले को अंजाम दे सकती है।
8.4 मीटर लंबी और 0.6 मीटर चौड़ी यह सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल आवाज की गति से 2.8 गुना तेज हमले को अंजाम देती है। यह घनी शहरी आबादी में भी छोटे लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सक्षम है। इस मिसाइल का पहला परीक्षण जुलाई, 2018 में सुखोई-30एमकेआई से बंगाल की खाड़ी में किया गया था। इस मिसाइल को किसी भी दिशा में लक्ष्य की तरफ मनचाहे तरीके से छोड़ा जा सकता है।
तीन हजार किलोग्राम वजनी इस मिसाइल को पानी के जहाज, हवाई जहाज, जमीन एवं मोबाइल लंचर से छोड़ा जा सकता है। इसलिए यह भारत को पाकिस्तान और चीन के जहाजों पर बढ़त दिलाती है। ब्रह्मोस मिसाइल दो चरणीय वाहन है। इसमें ठोस प्रोपेलेट बुस्टर तथा एक तरल प्रोपेलेट रैम जैम सिस्टम लगा हुआ है। यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही ध्वस्त करने में सक्षम है।