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चीन के सामने भारत, अमेरिका अौर जापान का संयुक्त दांव, जानिए- क्या है रोडमैप

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि सितंबर, 2017 में न्यूयार्क में विदेश मंत्रीय स्तर बातचीत के बाद भारत, जापान व अमेरिका के बीच इस दौरान लगातार चर्चा चल रही है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 08:23 PM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 10:08 AM (IST)
चीन के सामने भारत, अमेरिका अौर जापान का संयुक्त दांव, जानिए- क्या है रोडमैप
चीन के सामने भारत, अमेरिका अौर जापान का संयुक्त दांव, जानिए- क्या है रोडमैप

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिंद-प्रशांत (इंडो पैसिफिक) महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को लेकर भारत, अमेरिका और जापान का संयुक्त गठबंधन अब तेजी से आकार लेने लगा है। सितंबर, 2017 में इन तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद इस बारे में इनके बीच न सिर्फ तेजी से संवाद चल रहा है, बल्कि आगे का रोडमैप भी मूर्त रूप लेने लगा है। इस क्रम में नई दिल्ली में बुधवार को इन तीनों देशों के आला अधिकारियों की बैठक हुई। इस त्रिपक्षीय बैठक में वैसे तो तमाम वैश्विक व द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई है लेकिन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कनेक्टिविटी पर खास तौर पर बातचीत हुई।

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विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि सितंबर, 2017 में न्यूयार्क में विदेश मंत्रीय स्तर बातचीत के बाद भारत, जापान व अमेरिका के बीच इस दौरान लगातार चर्चा चल रही है। तीनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ढांचागत परियोजनाओं को लेकर एक कार्यसमूह भी गठित कर रखी है, जिसकी हाल ही में फरवरी, 2018 में बैठक हुई थी। इनके बीच यह सहमति बन गई है कि तीनों देश संयुक्त तौर इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं को बढ़ावा देंगे। कूटनीतिक सर्किल में माना जाता है कि ये परियोजनाओं पूरी तरह से चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिसिएिटिव (बीआरआइ- पुराना नाम: वन बेल्ट-वन रोड) के सामने एक चुनौती होगी। सनद रहे कि चीन की इस योजना को लेकर भारत, जापान और अमेरिका एक समान चिंताएं जता चुके हैं। माना जा रहा है कि बुधवार को हुई बैठक में तीनों देशों के सहयोग से शुरू होने वाली परियोजनाओं के खाके पर विचार हुआ है।

बैठक के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा भी कहा गया है कि, तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के निर्देशानुसार अधिकारियों ने बुधवार को इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, कनेक्टिविटी को सुधारने के प्रायोगिक कदमों पर विचार किया है। इसके अलावा आतंकरोधी उपायों व सामुद्रिक सुरक्षा के तमाम विषयों पर भी बातचीत हुई है। सभी पक्ष इस बात पर रजामंद हुए है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, संपन्न व शांतिपूर्ण बनाने के लिए इस क्षेत्र के सभी देशों के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। बैठक में तीनों देशों के विदेश मंत्रालयों के संयुक्त सचिव, महानिदेशक व सह-सचिव स्तर के अधिकारियों ने हिस्सा लिया है।

इस बैठक की अहमियत इसलिए भी बढ़ गई है कि इस महीने के मध्य में फ्लोरिडा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापान के पीएम शिंजो एबे के बीच शीर्ष बैठक होनी है। इस शीर्ष बैठक के एजेंडे में हिंद-प्रशांत महासागर की स्थिति सबसे ऊपर है।

इस बैठक से यह बात भी सामने आ गई है कि भारत, अमेरिका व जापान के बीच कूटनीतिक रिश्तों के केंद्र में इंडो पैसिफिक ही है। जब से साउथ चाइना सी को लेकर चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का फैसला आया है उसके बाद से ही इन तीनों देशों के रिश्तों के आयाम तेजी से बदलने लगे हैं। ये तीनों देशों ने एक अलग समूह आस्ट्रेलिया के साथ भी बनाया हुआ है। इन चारों देशों के अधिकारियों की एक बैठक पिछले वर्ष मनीला में हुई थी।


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