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एच-1बी वीजा पर प्रतिबंध को लेकर लगातार अमेरिका के संपर्क में है भारत, कोशिशें जारी

अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों को होने वाली असुविधा को कम करने की दिशा में भारत लगातार काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत एच1बी वीजा पर प्रतिबंध को लेकर लगातार अमेरिका के संपर्क में है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 11:14 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 11:14 AM (IST)
एच-1बी वीजा पर प्रतिबंध को लेकर लगातार अमेरिका के संपर्क में है भारत, कोशिशें जारी
एच1बी वीजा प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका के संपर्क में भारत। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत ने कहा है कि वह अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों को होने वाली असुविधा को कम करने के लिए वहां की सरकार के संपर्क में है। व्हाइट हाउस द्वारा आप्रवासियों और एच--1बी वीजा धारकों के प्रवेश पर प्रतिबंध ब़़ढाने का एलान किए जाने के बाद भारत ने यह बात कही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमने अमेरिका सरकार द्वारा आप्रवासियों और गैर प्रवासियों के प्रवेश पर तीन महीने के लिए प्रतिबंध ब़़ढाने के एलान पर ध्यान दिया है।

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भारत अमेरिका में रहने वाले अपने नागरिकों और वीजा चाहने वाले लोगों की असुविधाओं को कम करने के लिए अमेरिका सरकार के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका की साझेदारी में लोगों के बीच आपसी संबंधों का महत्वपूर्ण योगदान है। अमेरिका भी इस बात को मानता है कि कुशल भारतीय पेशेवरों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दिया है।

चीन के खिलाफ दक्षिण चीन सागर में अपनी ताकत बढ़ाएगा अमेरिका

अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए नई रणनीति तैयार की है। इसके तहत अमेरिका अगले एक दशक में इस क्षेत्र में अपनी समुद्री सेनाओं-नौसेना, मैरीन कोर और कोस्ट गार्ड को एकीकृत करेगा। हांगकांग से प्रकाशित होने वाले प्रमुख अखबार साउथ चाइन मॉर्निग पोस्ट ने यह जानकारी दी है। चीन को अमेरिका अपने लिए सबसे दीर्घकालिक खतरा मानता है। उसका मानना है कि दक्षिण चीन सागर में वह अपनी समुद्री सेनाओं को एकीकृत कर चीन की बढ़ती ताकत को रोक सकता है। 'एडवांटेज एट सी' शीर्षक से पिछले महीने प्रकाशित अमेरिका इस रणनीति में अमेरिकी नौसेना के उद्देश्यों को 'समुद्रों की स्वतंत्रता को संरक्षित करना, आक्रामकता को रोकना और युद्धों को जीतना' के रूप में परिभाषित किया गया है।

अमेरिका ने माना है कि चीन के व्यवहार और बढ़ती सैन्य ताकत को वह लंबे समय तक चुनौती देने में सक्षम नहीं होगा। इसके लिए जरूरी है कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी नौसेना भी अपनी रणनीति में बदलाव करे और अपनी क्षमता बढ़ाए। दक्षिण चीन सागर के 90 फीसद हिस्से पर चीन अपना दावा जताता है। चीन के इस दावे को उसके पड़ोसी वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई और मालदीव नहीं मानते और चुनौती देते हैं। 2016 में संयुक्त राष्ट्र के एक ट्रिब्यूनल ने भी चीन के इस दावे को खारिज कर दिया था, लेकिन चीन उसके फैसले को नहीं मानता।


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