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उच्च शिक्षा में भारत नई छलांग लगाने की तैयारी में, करेगा चीन और ब्राजील की बराबरी

उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर को बढ़ाने की इस मुहिम में दूरस्थ और आनलाइन शिक्षा पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 09:25 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 09:25 PM (IST)
उच्च शिक्षा में भारत नई छलांग लगाने की तैयारी में, करेगा चीन और ब्राजील की बराबरी
उच्च शिक्षा में भारत नई छलांग लगाने की तैयारी में, करेगा चीन और ब्राजील की बराबरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत अब एक नई छलांग लगाने की तैयारी में है। फिलहाल इसका पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। इसके तहत 2035 तक उच्च शिक्षा के सकल नामाकंन दर को 50 फीसद तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत भी ब्राजील और चीन जैसे विकासशील देशों के बराबर खड़ा हो जाएगा।

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ब्राजील में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन दर पचास फीसदी

मौजूदा समय में ब्राजील में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन दर पचास फीसदी है, जबकि चीन में 44 फीसद के आसपास है। जबकि देश में मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन दर 25 फीसद के आसपास है। यानि योजना के तहत अगले 16 सालों में नामांकन दर को दोगुना करना होगा।

2020 तक उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर को तीस फीसद तक पहुंचाने का लक्ष्य

खासबात यह है कि प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में भी इस योजना को प्रमुखता से शामिल किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक हालांकि इससे पहले अगले साल यानि 2020 तक उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर को तीस फीसद तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

नई शिक्षा नीति में 70 नए आदर्श डिग्री कालेज खोले जाएंगे

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) के तहत इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम शुरु हो चुका है। इसके तहत 70 नए आदर्श डिग्री कालेज और आठ नए व्यावसायिक कालेजों की स्थापना होनी है। साथ ही उच्च शिक्षा की नामांकन दर में पिछड़े विश्वविद्यालयों और कालेजों को भी उनके बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के मदद दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों के नामांकन दर में कमी की एक बड़ी वजह उनमें पढ़ाने वाले शिक्षकों और बुनियादी ढांचे की कमी है।

आठ सौ कालेजों के मूलभूल ढांचे में सुधार होगा

सरकार ने उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर को बढ़ाने में ऐसे संस्थानों को प्रमुखता से शामिल किया है। इसके तहत करीब आठ सौ कालेजों को मूलभूल ढांचे और गुणवत्ता में सुधार के लिए चिंहित किया गया है। इसके साथ 75 डिग्री कालेजों को आदर्श डिग्री कालेजों के रुप में उन्नयन भी किया जाएगा।

योजना पर दस हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक 2020 तक पूरी योजना पर फिलहाल करीब दस हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इनमें सात हजार करोड़ से ज्यादा राशि केंद्र देगी, जबकि करीब तीन हजार करोड़ रुपए राज्यों को खर्च करना होगा।

दूरस्थ और आनलाइन शिक्षा पर किया गया सबसे ज्यादा फोकस

उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर को बढ़ाने की इस मुहिम में दूरस्थ और आनलाइन शिक्षा पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है। हालांकि इनमें गुणवत्ता से किसी भी तरह की समझौता न करने का फैसला लिया गया है। यही वजह है कि उन्हीं विवि और कालेजों को दूरस्थ और आनलाइन शिक्षा देने की अनुमति दी गई है, जो राष्ट्रीय मूल्याकंन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की रैकिंग में बेहतर है। इसके साथ ही स्वयं पोर्टल का भी सहारा लिया गया है। जिसमें बेहतर शिक्षकों के वीडियो तैयार कराए जा रहे है।


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