Move to Jagran APP

दक्षिण एशिया में तेजी से बढ़ रही है HIV-Aids पीड़ितों की संख्या, भारत अव्वल

यह एक वायरस है, जो शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है और संक्रमणों के प्रति उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है। यह लाइलाज बीमारी एड्स का कारण है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 01 Dec 2018 12:17 PM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 12:28 PM (IST)
दक्षिण एशिया में तेजी से बढ़ रही है HIV-Aids पीड़ितों की संख्या, भारत अव्वल
दक्षिण एशिया में तेजी से बढ़ रही है HIV-Aids पीड़ितों की संख्या, भारत अव्वल

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। गुरुवार को आई यूनिसेफ की ‘चिल्ड्रेन, एचआइवी और एड्स द वल्र्ड इन 2030’ रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले साल करीब एक लाख 20 हजार बच्चे और किशोर एचआइवी संक्रमित पाए गए। यह संख्या दक्षिण एशिया के किसी भी देश की सर्वाधिक है। यूनिसेफ ने चेताया है कि अगर इसे रोकने की कोशिशें तेज नहीं की गईं तो 2030 तक हर दिन दुनियाभर में एड्स की वजह से 80 किशोरों की मौत हो सकती है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया ने बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और माताओं में एचआइवी की रोकथाम के लिए जरूरी प्रयास भी किए हैं।

loksabha election banner

नाकाफी प्रयास
रिपोर्ट के मुताबिक एड्स से संबंधित मौतों की गति धीमी हो रही है, लेकिन पुराने मामलों में कमी कम देखी जा रही है। यूनिसेफ प्रमुख हेनरिता फोरे ने कहा, रिपोर्ट से साफ होता है कि दुनिया का 2030 तक बच्चों और किशोरों के बीच एड्स को खत्म करने का प्रयास पटरी पर नहीं हैं।

पड़ोसियों से तुलना
भारत की तुलना में पड़ोसी देशों में किशोरों के संक्रमण का आंकड़ा बहुत कम है। पाकिस्तान में 5800, उसके बाद नेपाल में 1600 और बांग्लादेश में करीब 1,000 किशोर एचआइवी के शिकार हैं।

हुआ सुधार
2010 की तुलना में साल 2017 में पांच साल तक की आयु वाले एचआइवी संक्रमण बच्चों की संख्या में 43 फीसद की कमी आई है। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 35 फीसद रहा। पिछले आठ सालों में मां से बच्चे में फैलने वाले संक्रमण के मामलों की संख्या में लगभग 40 फीसद की गिरावट आई है। बड़े बच्चों के बीच संक्रमण की दर में गिरावट सबसे धीमी है।

इलाज का बढ़ा दायरा
2017 में ही 0 से 14 वर्ष के जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) पा रहे पीड़ितों का हिस्सा 73 फीसद था, जो 2010 के मुकाबले 50 फीसद ज्यादा है।

पहाड़ सी चुनौती
2030 तक वैश्विक स्तर पर एचआइवी संक्रमित बच्चों की संख्या में 14 लाख की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में इनकी अनुमानित संख्या 1.9 करोड़ है।

क्या है एचआइवी
यह एक वायरस है, जो शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है और संक्रमणों के प्रति उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है। यह लाइलाज बीमारी एड्स का कारण है। यह वायरस असुरक्षित यौन संबंध बनाने और संक्रमित रक्त के जरिए शरीर में फैलता है। एचआइवी संक्रमण को एड्स रोग बनने में 8 से 9 साल लग जाते हैं। इस वायरस का पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में अफ्रीका में पता चला। 1980 तक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन गया।

चिकित्सा विज्ञान ने खोली राह
शुरुआती दिनों में इसका कोई इलाज नहीं था। लेकिन अब ऐसी प्रायोगिक दवाएं मौजूद हैं, जो वायरस को शरीर से बाहर निकाल सकती हैं और उसे बेअसर कर सकती हैं। साल 2007 में टिमोथी रे ब्राउन पहले ऐसे व्यक्ति बने जिनका संक्रमण से पूरी तरह इलाज संभव हो सका। रक्त कैंसर के इलाज के क्रम में पहले उनके प्रतिरक्षी तंत्र को नष्ट किया गया, उसके बाद एक मरीज के स्टेम सेल को उनमें ट्रांसप्लांट किया गया। मरीज के प्रतिरक्षी तंत्र को मज़बूत बनाने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद भी ली जा सकती है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.