Move to Jagran APP

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलीकम्युनिकेशन मार्केट बन चुका है भारत

12-15 प्रतिशत तक की तेजी आई है देश के डाटा ट्रैफिक में 2021 तक देश में करीब 870000 नई नौकरियां सामने आने का अनुमान लगाया जा रहा है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 01:08 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 01:08 PM (IST)
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलीकम्युनिकेशन मार्केट बन चुका है भारत
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलीकम्युनिकेशन मार्केट बन चुका है भारत

नई दिल्ली [अंशु सिंह]। आज 1.17 अरब उपभोक्ताओं के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलीकम्युनिकेशन मार्केट बन चुका है भारत। यह इंडस्ट्री लगातार आगे बढ़ रही है। यहां तक कि लॉकडाउन के दौर में जब सबकुछ ठहर गया, तो लोगों के घरों में रहते हुए भी डिजिटली कामकाज को गति देने के लिए इसी सेक्टर ने कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने का कौशल दिखाया। जाहिर है कि इस क्षेत्र में आगे भी संभावनाएं बनी रहेंगी...

loksabha election banner

देश में मेडिकल, पुलिस, सुरक्षा सेवा की तरह टेलीकॉम सेक्टर को भी आवश्यक सेवा की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े सभी पेशेवरों ने कोविड अस्पतालों, पुलिस स्टेशनों, फायर र्सिवस ऑफिसेज आदि में निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित कराने का काम किया। कर्नाटक के गुलबर्ग का एक किस्सा तो बेहद प्रेरणादायी है। वहां जब कोविड-19 से पहली मौत हुई और रोड ब्लॉक आदि होने से वाहनों का परिचालन एकदम से थम गया, तो टेक्निशियन संतोष सारासंबी अपने कंधे पर डीजल कैन लेकर पैदल ही निकल पड़े आलंद तालुका स्थित एक साइट की ओर।

करीब डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद उन्होंने साइट पर मौजूद जेनरेटर्स में ईधन भरा, ताकि पांच हजार से अधिक यूजर्स की मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी बाधित न हो। कह सकते हैं कि टेक्निशियंस से लेकर टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स एवं इस सेक्टर से जुड़े अन्य लोग सातों दिन, 24 घंटे तक काम कर रहे हैं, ताकि देश के नागरिकों को निर्बाध रूप से इंटरनेट और नेटवर्क कनेक्टिविटी की सेवा मिल सके। यह दर्शाता है कि जिस सेक्टर में जज्बे एवं मेहनतकश लोग हों, वह कैसे विकास की ओर अग्रसर रहता है। 

डाटा खपत से बढ़ती उम्मीदें: 

लॉकडाउन के बावजूद अगर लोग एक-दूसरे से फोन व इंटरनेट के जरिए जुड़े हैं, पेशेवर वर्क फ्रॉम होम, स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लासेज, टेलीमेडिसिन के एक्सपट्र्स अपनी सेवाएं या फिर आम लोग ऑनलाइन मनोरंजन कर पा रहे हैं, तो इसमें टेलीकम्युनिकेशन क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों का बड़ा रोल रहा है।

कह सकते हैं कि संकट के इस दौर में लोगों की जीवनरेखा बनकर उभरा है टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर। एक अनुमान के अनुसार, देश में डाटा ट्रैफिक में अचानक 12 से 15 प्रतिशत तक की तेजी आई है और इसी अनुपात में रेवेन्यू भी बढ़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2023 तक प्रति स्मार्टफोन डाटा खपत 3.9 जीबी से बढ़कर 18 जीबी तक पहुंच जाएगी। हालांकि अभी स्लो नेटवर्क स्पीड में सुधार लाना बाकी है।

रोजगार की संभावनाएं: 

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) के डीजी राजन एस मैथ्यूज के अनुसार, मार्च 2018 तक देश में 49.39 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता थे। लेकिन मोबाइल फोन के विस्तार और डाटा दरों के कम होने के साथ अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में 50 करोड़ इंटरनेट यूजर और जुड़ जाएंगे, जिससे बिजनेस के नए अवसर र्नििमत होंगे।

इसके अलावा, 5जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ऑगमेंटेड रियलिटी व वर्चुअल रियलिटी को बढ़ावा मिलने से भी इस सेक्टर में आमदनी के अनेक अवसर पैदा होंगे और यह रोजगार पैदा करने वाले शीर्ष पांच सेक्टर में से एक होगा। कुछ समय पूर्व ही टेलीकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल ने भी उम्मीद जतायी थी कि वर्ष 2021 तक देश में करीब 8,70,000 नई नौकरियां सामने आएंगी। 

बेसिक स्किल्स/शैक्षिक योग्यता: 

टेलीकम्युनिकेशन एक तकनीकी क्षेत्र है, जिसके लिए टेक्निकल स्किल्स होना अतिआवश्यक है। साथ ही, कम्युनिकेशन स्किल, कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्किंग, टेक्निकल राइटिंग जैसी स्किल्स होनी चाहिए। वैसे, टेलीकम्युनिकेशन में स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा स्तर के कोर्स उपलब्ध हैं।

बीई या बीटेक में प्रवेश के लिए स्टूडेंट्स को 12वीं परीक्षा पीसीएम समूह से उत्तीर्ण होना आवश्यक है, जबकि दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के लिए उसी स्ट्रीम में बीई या बीटेक की डिग्री आवश्यक है। डिप्लोमा अथवा पीजी डिप्लोमा के लिए भी छात्र का स्नातक होना आवश्यक है। स्टूडेंट्स नेटवर्किंग, वायरलेस कम्युनिकेशन, वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल, नेटवर्क सिक्योरिटी जैसे कोर्स करके भी आगे बढ़ सकते हैं।

स्किल्ड मैनपावर की होगी जरूरत 

वैश्विक संकट की इस घड़ी में भी टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्री में वर्कफोर्स में किसी प्रकार की छंटनी नहीं हुई, बल्कि हमने कुशल लोगों को मौके दिए। डाटा की बढ़ती खपत एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार को देखते हुए आने वाले समय में भी हमें नए टॉवर्स लगाने होंगे, ऑप्टिकल फाइबर्स का विस्तार करना होगा, जिसके लिए स्किल्ड मैनपावर की जरूरत होगी।

मैं मानता हूं कि टेलीकॉम सेक्टर में अभी काफी विस्तार होना है। हमें कंस्ट्रक्शन (सेल टॉवर लगाना), इलेक्ट्रॉनिक्स (इंस्टॉलेशन आदि), फाइबर लेइंग, फाइबर इम्प्लीमेंटेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कंप्यूटिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स व विशेषज्ञों की जरूरत होगी। हां, लोगों को ट्रेनिंग देने में थोड़ा समय लग सकता है।

लेकिन उम्मीद करता हूं कि देश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों से हमें पर्याप्त ह्यूमन टैलेंट मिल सकेगा। वैसे, हमारे टेलीकॉम सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस, डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी विभिन्न आइआइटी, आइआइएम के साथ मिलकर स्टूडेंट्स को स्किल्ड बनाने जैसे काम भी कर रहे हैं।

राजन एस मैथ्यूस, डीजी, सीओएआइ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.