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आयातित प्लास्टिक कचरा बढ़ा रहा भारत की मुश्किल

25 देशों से आयात किया जाता है एक लाख 21 हजार मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा कंपनियां नहीं कर पातीं पूरे वेस्ट को रिसाइकल।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 12:13 PM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 12:13 PM (IST)
आयातित प्लास्टिक कचरा बढ़ा रहा भारत की मुश्किल
आयातित प्लास्टिक कचरा बढ़ा रहा भारत की मुश्किल

नई दिल्ली, प्रेट्र। प्लास्टिक प्रदूषण पूरे विश्व के लिए चिंता का कारण बना हुआ है क्योंकि यह खुद-ब-खुद खत्म नहीं होता पाता। भारत में भी प्लास्टिक वेस्ट (कचरा) का निपटान एक चुनौती बनती जा रही है। हालांकि विश्व में सबसे ज्यादा प्लास्टिक रिसाइकल करने वाले देशों की सूची में भारत का नाम भी शामिल है। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत में हर साल रिसाइकल होने के लिए एक लाख 21 हजार मीट्रिक टन (एमटी) प्लास्टिक वेस्ट कंपनियों द्वारा आयात किया जाता है। लेकिन इसका समुचित निपटान न होने के कारण यह सरकार के प्लास्टिक प्रदूषण पर अंकुश लगाने के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच (पीडीयूएसएम) नामक एक गैर-सरकारी संस्था के अध्ययन में बताया गया है कि भारत में लगभग 25 देशों से प्लास्टिक कचरा आयात किया जाता है, जिसमें मध्य-पूर्व यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे शामिल हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत में लगभग 55 हजार मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा आयात किया जा रहा है। अध्ययन में बताया गया है कि भारतीय रिसाइकलर्स और प्लास्टिक कंपनियां आयातित कचरे में बहुत कम कचरे को रिसाइकल कर अन्य सामग्रियां बना पाती हैं। बचे हुए कचरे को वह या तो लैंडफिल में फेंक देते हैं या महासागरों में डाल देते हैं। इससे समुद्री जीवों के लिए भी संकट उत्पन्न होने लगा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये आंकड़े वर्ष अप्रैल 2018 से फरवरी 2019 के बीच किए गए एक अध्ययन पर आधारित हैं। 

अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली में 19 हजार मीट्रिक टन से अधिक प्लास्टिक कचरे का आयात किया जा रहा है। रिसाइकलर प्लास्टिक के गुच्छों को आयात करना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यह स्थानीय उत्पादित कचरे को इकट्ठा करने और उसे रिसाइकल करने की तुलना में सस्ता पड़ता है। बढ़ते आयात पर चिंता जताते हुए अध्ययन में कहा गया है कि यह प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर सकता है। यदि रिसाइकलिंग के लिए बाहरी देशों से भारत में आने वाले कचरे पर रोक नहीं लगाई जाती है तो भविष्य में भारत प्लास्टिक कचरे का डंपिंग ग्राउंड बन सकता है। इस पर रोक लगाने से हम रिसाइकलिंग उद्योग को स्थानीय प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने और उसके पुनर्चक्रण (रिसाइकलिंग) के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि प्लास्टिक कचरे का आयात प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने में सरकार के प्रयासों को प्रभावित कर रहा है। यह हमारे पर्यावरण के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।

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