पुणे के पास हादसे के बाद लड़ाकू विमान सुखोई की उड़ानों पर रोक
भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 [एसयू-30 एमकेआइ] लड़ाकू विमानों की उड़ानों पर रोक लगा दी गई है। 14 अक्टूबर को पुणे के पास सुखोई विमान के हादसे के मद्देनजर वायुसेना के बेड़े में शामिल सभी 200 विमानों की तकनीकी जांच की जाएगी। जांच में उपयुक्त पाए जाने पर ही दो इंजनों वाले इन विमानों की दोबारा उड़ान शुरू हो सकें
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 [एसयू-30 एमकेआइ] लड़ाकू विमानों की उड़ानों पर रोक लगा दी गई है। 14 अक्टूबर को पुणे के पास सुखोई विमान के हादसे के मद्देनजर वायुसेना के बेड़े में शामिल सभी 200 विमानों की तकनीकी जांच की जाएगी। जांच में उपयुक्त पाए जाने पर ही दो इंजनों वाले इन विमानों की दोबारा उड़ान शुरू हो सकेंगी।
पुणे के पास हादसे के वक्त विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में दोनों पायलट बाल-बाल बच गए थे। रनवे से 20 किमी दूर यह हादसा हुआ था दुर्घटना के तत्काल बाद कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी शुरू हो गई थी ताकि हादसे का कारण पता लगाया जा सके।
वायु सेना के प्रवक्ता विंग कमांडर सिमरनपाल सिंह बिर्दी ने कहा कि पुणे में हाल में हुई दुर्घटना के बाद बेड़े की उड़ान रोक दी है और इसकी गहन तकनीकी जांच की जा रही है। हादसे के बाद उड़ानें रोकना सामान्य प्रक्रिया है। जांच पूरी होने के बाद उड़ानें फिर शुरू हो जाएंगी।
लड़ाकू विमानों में एक तिहाई हैं सुखोई
देश के लड़ाकू विमानों के बेड़े में करीब एक तिहाई हिस्सा सुखोई 30 विमानों का है। वायुसेना के पास 34 कॉम्बेट स्क्वाड्रन हैं, जबकि मान्य संख्या 44 है। प्रत्येक स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान होते हैं।
पुणे में पांचवा हादसा था
प्रारंभिक जांच में पता चला कि पुणे हादसा मानवीय त्रुटि के कारण नहीं बल्कि फ्लाई बाई तार प्रणाली में समस्या के चलते हुआ था। संयोगवश पुणे हादसे के शिकार सुखोई विमान का एक पायलट पूर्व में हुए सुखोई हादसे में भी शामिल था। पुणे हादसा 2009 के बाद से एसयू-30 एमकेआई की पांचवीं दुर्घटना थी। पहले भी दो बार सुखोई बेड़े की उड़ानों पर रोक लगाई गई थी।