आतंकवाद के खिलाफ और मजबूत होगा भारत-फ्रांस का गठजोड़, हर तरह की मदद देने की हुई पेशकश
भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला अभी पेरिस में ही है और गुरुवार को नीस शहर के चर्च में हुए हमले के कुछ ही घंटे बाद उनकी राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रां के कूटनीतिक सलाहकार और रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों से मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कुछ दिनों के भीतर दो हिंसक आतंकी हमले से त्रस्त फ्रांस को यूरोप के बाहर के किसी देश से अगर खुल कर समर्थन मिल रहा है तो वह भारत है। भारत ने दो दिनों में चार बार अपने इस रणनीतिक साझेदार देश के पक्ष में उतरा है और उसे हर तरह की मदद देने की पेशकश की है। संकेत यह है कि फ्रांस और भारत के बीच पहले से ही मजबूत आतंकवाद रोधी ढांचे को और मजबूत बनाया जाएगा। भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला अभी पेरिस में ही है और गुरुवार को नीस शहर के चर्च में हुए हमले के कुछ ही घंटे बाद उनकी राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रां के कूटनीतिक सलाहकार और रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों से मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि श्रृंगला की फ्रांस के अधिकारियों से होने वाली मुलाकात में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग एक अहम मुद्दा है। इस बारे में शनिवार को विस्तृत जानकारी देने की तैयारी है। श्रृंगला ने राष्ट्रपति मैक्रां के सलाहकार एमानुएल बोन के साथ मुलाकात कर पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हरसंभव सहयोग देने का संदेश दिया है। पीएम मोदी नीस में हुए हमला की बेहद कड़ी शब्दों में निंदा की है। असलियत में मोदी इस हमले की सबसे पहले निंदा करने वाले राष्ट्राध्यक्षों में हैं। इस बैठक के बाद श्रृंगला ने रक्षा क्षेत्र में फ्रांस के सबसे बड़े थिंक टैंक आईएफआरआई की तरफ से आयोजित एक समारोह में भारत के गुस्से का इजहार किया। उन्होने कहा कि, हाल के दिनों में फ्रांस में किया गया दोनों आतंकी हमला बेहद चिंताजनक है। इसमें से एक हमले का उद्गम स्थल हमारा पश्चिमी पड़ोसी पाकिस्तान है। हम देख रहे हैं कि बेकाबू कट्टरपन किस तरह के हालात पैदा कर सकता है।
आतंकवाद के मुद्दे पर फ्रांस को पूरा समर्थन देने का भरोसा
मोदी से पहले विदेश मंत्रालय ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए राष्ट्रपति मैक्रां के खिलाफ कुछ देशों में चलाये जा रहे अभियान को गलत करार दिया था और आतंकवाद के मुद्दे पर फ्रांस को पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया था। मैक्रां के खिलाफ तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगेन ने हाल के दिनों में कई बार आपत्तिजनक बयान दिये हैं। पाकिस्तान के भी कई नेताओं ने फ्रांस व राष्ट्रपति मैक्रां के खिलाफ गलतबयानी की है। सनद रहे कि हाल के दिनों में फ्रांस भारत का सबसे करीबी साझेदार देशों में शुमार होने लगा है। उसे भारत का नया 'सोवियत रूस' (जैसे रूस पहले हर मुद्दे पर समर्थन करता था) कहा जाने लगा है।
आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की हुई थी बात
सूत्रों के मुताबिक फ्रांस और भारत के बीच पहले से ही आतंकवाद से जुड़ा एक कार्य दल गठित किया गया है जिसके बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने की बातचीत चल रही है। फरवरी, 2020 में इस कार्य दल की अंतिम बैठक हुई थी। बैठक के बाद दोनो पक्षों की तरफ से बताया गया था कि वे साझा तौर पर कट्टरता को रोकने के खिलाफ सबसे सफल पद्धति बनाने की कोशिश करेंगे। आतंकवादियों व उनके संगठन को फंडिंग को रोकने के लिए भी दोनो देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की बात हुई थी। असलियत में फाइनेंसिएशल एक्शन टाक्स फोर्स (FATA) की बैठकों में भी दोनो देशों के बीच तालमेल होता है। दोनो देशों आतंकवादियों की तरफ से अपनी गतिविधियों के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल को रोकने की व्यवस्था विकसित करने में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।