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अरुणाचल में सेना को मिले विशेष अधिकार

केंद्र ने सेना को तिब्बत से लगती अरुणाचल प्रदेश में मुठभेड़ के दौरान उग्रवादियों को देखते ही मार गिराने का अधिकार दिया है। इस इलाके पर चीन भी अपना दावा करता रहता है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में सेना को पहले से ही 'विशेष शक्तियां' प्राप्त हैं। सरकार ने अब

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2015 06:26 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2015 06:30 PM (IST)
अरुणाचल में सेना को मिले विशेष अधिकार

नई दिल्ली। केंद्र ने सेना को तिब्बत से लगती अरुणाचल प्रदेश में मुठभेड़ के दौरान उग्रवादियों को देखते ही मार गिराने का अधिकार दिया है। इस इलाके पर चीन भी अपना दावा करता रहता है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में सेना को पहले से ही 'विशेष शक्तियां' प्राप्त हैं। सरकार ने अब अफस्पा के तहत अरुणाचल प्रदेश में सेना को विशेष अधिकार दे दिए हैं।

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दरअसल पूर्वोत्तर के राज्यों में कई अलगाववादी, उग्रवादी और आदिवासी संगठन बगावती गतिविधियों में लिप्त हैं, लेकिन अब तक अरुणाचल प्रदेश अपेक्षाकृत शांत रहा था। हालांकि गत महीने, प्रदेश में हुए एक उग्रवादी हमले में तीन सैनिक शहीद हो गए थे। सेना ने नगा उग्रवादियों पर हमला करने का आरोप लगाया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि विद्रोही संगठनों ने प्रदेश की सीमा से बाहर अपने शिविर लगा रखे हैं। यही वजह है कि गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में सेना को विशेष शक्तियां दी हैं। इसके तहत सेना उग्रवादियों पर हमले के लिए पड़ोसी राज्य असम में अपना शिविर बना सकती है। पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे अधिक असम ही अशांत रहता है।

मंत्रालय ने गत 27 मार्च को दिए आदेश में सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को अरुणाचल प्रदेश के सभी जिलों में लागू कर दिया है। उसका तर्क है कि इसकी सीमा असम से लगती है, जिससे प्रदेश के 13 लाख लोगों का जीवन प्रभावित होता है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'पूर्वोत्तर राज्यों में तेजी से बढ़ रही हिंसक घटनाओं के कारण हम अफस्पा के न्यायाधिकार क्षेत्र के विस्तार को मजबूर हैं। अलगाववादी संगठन पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं।'

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