नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। सिख रेजीमेंट का ध्येय वाक्य है 'निश्चै कर अपनी जीत करो’ यानी दृढ़ संकल्प से मैं जीतूंगा। अलग-अलग सेनाओं और रेजीमेंट के ध्येय वाक्य दर्शाते हैं कि भारतीय सैनिक अजेय हैं। उन्होंने देश की सरहदों को शत्रु से हमेशा महफूज रखा है। इसीलिए भारतीय सेना हमेशा से पैराकमांडो के ध्येय वाक्य ‘शत्रुजीत’ के अनुरूप पराक्रम, शौर्य और अदम्य साहस की जीती-जागती मिसाल है। बीते कुछ दशकों से भारत में नया डिफेंस इकोसिस्टम विकसित किया जा रहा है। वैश्विक मंचों पर भारत की छवि डिफेंस के मामले में सशक्त होती जा रही है। मेक इन इंडिया पर जोर देने से आज देश में ही स्वदेशी हथियार से लेकर लड़ाकू विमान तक बनाए जा रहे हैं। बीते एक दशक में भारत का रक्षा निर्यात 25 गुना यानी करीब 2400 फीसद बढ़ चुका है। यही नहीं लोवी इंस्टीट्यूट पावर इंडेक्स की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि डिफेंस सेक्टर में भारत दुनिया के सिरमौर देशों की कतार में गर्व और इज्जत के साथ खड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार सैन्य क्षमता के पांच पैमानों और प्रतिरोध क्षमता के पांच पैमानों में भारत चौथे स्थान पर है।

1962 से अब तक हुए काफी मजबूत

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी कहते हैं कि आजादी के समय भारत कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा था। 1962 की लड़ाई में हमारी सेनाओं के पास अच्छे कपड़े और हथियार तक नहीं थे। लेकिन आज स्थितियां बहुत अलग हैं। आज भातीय सेना को चुनौती देने से पहले कोई भी देश कई बार सोचेगा। आज भारत की नौसेना, वायुसेना और थल सेना आधुनिक हथियारों से लैस है। मिसाइल टेक्नॉलॉजी में आज हम दुनिया के शीर्ष देशों में गिने जाते हैं। हमारा डिफेंस सिस्टम काफी मजबूत है।

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस. सोढ़ी कहते हैं कि 75 सालों में हमारी सैन्य शक्ति में काफी इजाफा हुआ है। भारतीय सेना रेजीमेंटेशन में काफी मजबूत हुई है। वहां का इकोसिस्टम और माहौल ऐसा सक्षम बनाया गया है कि सैनिक जान देने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। यही नहीं, हमारी ट्रेनिंग दुनिया की सर्वोत्तम ट्रेनिंग में से एक है। हमारी सेना का अनुशासन सर्वोत्तम है।

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी कहते हैं कि पाकिस्तान भारत की क्षमताओं के आगे कहीं टिकता ही नहीं है। चीन की बात करें तो भारतीय सेना के आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम के आगे चीन की सेना कहीं नहीं टिकती। गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच बढ़े विवाद के बाद आज चीन के लिए हालात काफी मुश्किल हो चुके हैं। रही बात चीन की बड़ी सेना की तो आज के समय में युद्ध बड़ी सेना से नहीं बल्कि बेहतर रणनीति, आधुनिक तकनीक और आत्मविश्वास से जीते जाते हैं। चीन की तुलना में भारत के पास युद्ध लड़ने का अनुभव कहीं अधिक है।

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल सोढ़ी भी इस बात की तस्दीक करते हैं और कहते हैं कि हमारी सेना के जज्बे, जोश और जुनून के आगे चीनी सेना कहीं नहीं टिकती। गलवान में हमारे सैनिकों ने इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है। सोढ़ी कहते हैं कि पाकिस्तान भारत के सामने कहीं खड़ा ही नहीं होता है। हमने हर बार उसे पटकनी दी है।

पावर इंडेक्स में चौथे स्थान पर भारत

लोवी इंस्टीट्यूट पावर इंडेक्स के अनुसार डिफेंस सेक्टर में भारत दुनिया के शीर्ष देशों की पंक्ति में खड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार सैन्य क्षमता के पांच पैमानों और प्रतिरोध क्षमता के पांच पैमानों में भारत चौथे स्थान पर है। सैन्य क्षमता में अमेरिका पहले, रुस दूसरे, चीन तीसरे और भारत चौथे स्थान पर है। सैन्य क्षमता में रक्षा खर्च, आर्म्ड फोर्सेज, हथियार और प्लेटफॉर्म्स, सिग्नेचर कैपिबिलिटीज और एशियन मिलिट्री पॉश्चर को शामिल किया गया है। प्रतिरोध क्षमता में आंतरिक स्थिरता, संसाधनों की सुरक्षा, भू-आर्थिक सुरक्षा, भू-राजनैतिक सुरक्षा और न्यूक्लियर डेटेरेंस जैसे मानक शामिल हैं।

छह दशकों में लगातार बढ़ा सैन्य खर्च

भारत ने बीते छह दशकों में सैन्य खर्च में काफी बढ़ोतरी की है। सैन्य खर्च के मामले में भारत सार्क देशों के मुकाबले काफी आगे है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 1960 के बाद से भारत ने लगातार अपने सैन्य खर्च में वृद्धि की है। यही नहीं, विश्व के इतिहास में पहली बार भारत और चीन दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले चोटी के तीन देशों की सूची में शामिल हो गए हैं। सैन्य खर्च की यह रिपोर्ट स्टॉकहॉम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) ने बनाई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब रिपोर्ट में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले तीन देशों में दो देश एशिया के ही हैं।

विश्व बैंक ने सैन्य खर्च की परिभाषा में आर्म्ड फोर्सेज पर सभी तरह के खर्च, पीसकीपिंग फोर्स का बजट, रक्षा मंत्रालय और रक्षा के काम से जुड़ी एजेंसियों का बजट, मिलिट्री स्पेस एक्टिविटी, वेतन और पेंशन खर्च सबको शामिल किया है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। इस रिपोर्ट में पड़ोसी देश पाकिस्तान का नाम टॉप 15 सैन्य खर्च वाले देशों में शामिल नहीं हैं। पाकिस्तान का सैन्य खर्च 9.93 अरब डॉलर (2016) के करीब है जबकि भारत का सैन्य खर्च 52.5 अरब डॉलर (2016) है।

रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया

भारतीय वायुसेना को तेजस लड़ाकू विमानों से लैस करने के लिए सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड  के साथ बड़ा करार किया है। सरकार ने 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान खरीदने के लिए एचएएल को 48 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है। ये रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा 'मेक इन इंडिया' ऑर्डर है। भारतीय वायुसेना को तेजस एलसीए की आपूर्ति मार्च 2024 से शुरू हो जाएगी। कुल 83 विमानों की आपूर्ति पूरी होने तक सालाना करीब 16 विमानों की आपूर्ति की जाएगी। कई दूसरे मुल्कों ने भी तेजस विमान खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।

आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य

लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस. सोढ़ी कहते हैं कि अगले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी तीनों सेनाओं को आधुनिकतम हथियारों से लैस करने का लक्ष्य रखा है, तो साथ ही मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का भी मिशन है। मौजूदा समय में देश रक्षा उपकरणों के निर्यात के मामले में शीर्ष 20 देशों में आ चुका है।

सोढ़ी कहते हैं, वर्तमान में केंद्र सरकार का फोकस भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना भी कि भविष्य में भारत एक बड़ा रक्षा निर्यातक बने। वह कहते हैं कि एक दौर था जब हम रक्षा के साजो-सामान आयात करते थे, लेकिन अब निर्यातक बन गए हैं। सोढ़ी के अनुसार IANS विक्रांत देश में बना एयरक्राफ्ट करियर है। यह वास्तव में गर्व की बात है कि भारत दुनिया के उन चंद देशों में शुमार है जो यह एयरक्राफ्ट करियर बना चुका है।

वायुसेना के लिए 56 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने का करार

आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत भारतीय वायु सेना के लिए 22,000 करोड़ रुपये की लागत से 56 C-295MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट देश में ही निर्माण करने के लिए टाटा एडवांस सिस्टम और एयरबस डिफेंस के बीच करार हुआ है। यह रक्षा मंत्रालय की तरफ से निजी क्षेत्र को दिए गए सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट में से एक है। इस सौदे के जरिये देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को नया बल मिलने वाला है।

C-295MW को शामिल करना भारतीय वायु सेना के ट्रांसपोर्ट बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। C-295MW विमान खरीदने की वजह उम्रदराज हो चुके AVRO फ्लीट को बदलने की कवायद है। 56 में से चालीस विमान भारत में टाटा कंसोर्टियम द्वारा बनाए जाएंगे। लाइट और मीडियम सेगमेंट में C-295MW को एक न्यू जनरेशन टेक्टिवल एयरलिफ्टर के तौर पर देखा जाता है। इसे टैंकर एयरक्राफ्ट में भी बदला जा सकता है जिसमें 6000 किलो ईंधन की ढुलाई की जा सकती है। यह एयरक्राफ्ट कठिन परिस्थितियों में भी उड़ान भर सकता है।

तेजस में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया की भी दिलचस्पी

भारत पिछले कुछ सालों से हथियारों के अपने देश में ही निर्माण पर जोर दे रहा है। सुपरपावर अमेरिका भी भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस में दिलचस्पी दिखा रहा है। अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी तेजस में दिलचस्पी दिखाई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड चीन के साथ लगती सीमाओं पर निगरानी के लिए एआई संचालित मल्टीरोल ड्रोन भी विकसित कर रहा है।

एक दशक में रक्षा निर्यात में आया जबरदस्त उछाल

तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अगस्त 2015 में संसद में लिखित जवाब में कहा था कि 2011-12 में रक्षा निर्यात 512.48 करोड़ रुपये था। यह अब बढ़कर करीब 13,000 हजार करोड़ के करीब पहुंच चुका है। इसमें करीब 25 गुना यानी करीब 2400 गुना का इजाफा हो चुका है।

देश में ही बनेगी ब्रह्मोस मिसाइल, बन रहे हैं डिफेंस कॉरिडोर

रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में डिफेंस कॉरिडोर का खासा महत्व है। डिफेंस कॉरिडोर में कई शहर शामिल हैं। इन शहरों में सेना के काम आने वाले सामान के निर्माण के लिए इंडस्ट्री विकसित होगी। इस कॉरिडोर में बड़ी सरकारी और निजी कंपनियों के साथ एमएसएई कंपनियां भी हिस्सा लेंगी। उत्तर प्रदेश में आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, झांसी, कानपुर और लखनऊ इस कॉरिडोर में शामिल हैं। वहीं, तमिलनाडु में चेन्नई, होसुर, सलेम, कोयंबटूर और तिरुचिरापल्ली शहरों को शामिल किया गया है। ब्रह्मोस मिसाइलें अब देश में ही बनाई जाएंगी।

1947 में रियासतों का विलय और कश्मीर में चुनौती

भारत रक्षा क्षेत्र में अनेक चुनौतियों का सामना करने के बाद इस स्थान पर पहुंचा है। आजादी के कुछ समय बाद ही अक्टूबर 1947 में भारत-पाक युद्ध, जिसे प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है, शुरू हो गया। कबाइलियों के हमले के नापाक मंसूबे को चकनाचूर करते हुए हमारी सेना ने पूरे कश्मीर पर कब्जा कर लिया था।

आजादी के बाद सेना का आधुनिकीकरण शुरू किया गया। देश में 21 और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की स्थापना की गई। 1956 में एचएएल कंपनी ने भारत के पहले फाइटर, HF-24 Marut को प्रसिद्ध जर्मन डिजाइनर कर्ट टैंक के नेतृत्व में डिजाइन करना शुरू किया था। एचएएल ने लाइसेंस के तहत फोलैंड ग्नैट का भी निर्माण किया। वह पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध के दौरान अमेरिकी मूल के एफ-86 सबर्स पर अपनी श्रेष्ठता के लिए प्रसिद्ध हुआ, जिसे उस युग का सबसे अच्छा डॉगफाइटर माना जाता था।

1971 का पराक्रम और 1974 में पोखरण

1971 में भारत की सेना ने 14 दिनों में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये। 92000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस युद्ध के बाद एक नया देश बांग्लादेश अस्तित्व में आया। यह भारत के लिए एक बड़ी जीत थी। इसके बाद 1974 में भारत ने पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण कर दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। मेजर जनरल ( रिटायर्ड) पी.के. सहगल कहते हैं कि 1971 में केवल 14 दिनों के युद्ध में भारत ने एक नया देश खड़ा कर दिया। देशवासियों को फौज के ऊपर भरोसा है, ये सबसे बड़ी उपलब्धि है।

1980 के दशक में मिसाइलें विकसित

दुश्मन पाकिस्तान ने 80 के दशक में पहले पंजाब में फिर उसके बाद कश्मीर में आतंकियों के जरिये छद्म युद्ध छेड़ दिया। पर जल्द ही भारत ने दोनों छद्म युद्ध जीत लिए। पंजाब से खालिस्तान समर्थकों और कश्मीर से आतंकियों का सफाया हुआ। वहीं दूसरी ओर 1983 में मिसाइल कार्यक्रम पर तेजी से काम हुआ। 1983 में डीआरडीओ के तत्वावधान और पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) में विभिन्न भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को एक साथ लाया गया। लंबी दूरी की मिसाइल अग्नि 1989 में विकसित की गई।

दूसरा परमाणु परीक्षण और कारगिल की जीत

2 मई 1998 को भारत ने पांच परमाणु बमों का परीक्षण कर एक बार फिर पूरी दुनिया में मजबूत संदेश दिया। भारत की कामयाबियों से चिढ़ कर एक साल बाद ही 1999 में पाकिस्तान ने कारगिल में घुसपैठ कर दी। लेकिन हमारे शूरवीरों ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया। भारत ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक भी की। फिर 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद वायु सेना ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट में चल रही आतंक की फैक्ट्री तबाह कर दी।

भारतीय सेना की ताकत

ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग 2020 के अनुसार चीन की सेना में 21.83 लाख सैनिक हैं, जबकि भारत के पास कुल 14.44 लाख जवान हैं। इस तरह ये दोनों देश मिलिट्री मैन पॉवर के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े देश हैं। यह संस्था दुनिया की सैन्य शक्तियों की रैंकिंग जारी करती है। यह रैंकिंग कुल सैन्य ताकत (जमीन, जल और आसमान में जंग करने की क्षमता), मिलिट्री मैनपॉवर, हथियार, वित्त, प्राकृतिक संसाधन और भौगोलिक स्थिति की अलग-अलग श्रेणी में समय-समय पर जारी की जाती है।

थल सेना- एक शक्तिशाली और बड़ी फोर्स

ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय थल सेना के पास कुल 4292 टैंक हैं। इसके अलावा कुल 8686 हथियारबंद वाहन और 4060 तोपें हैं। राकेट प्रोजेक्टर की संख्या 266 बताई गई है।

लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी कहते हैं कि भारत में सेनाओं का विस्तार 1971 के बाद शुरू हुआ। आज हम दुनिया की एक शक्तिशाली और बड़ी फोर्स हैं। आज थल सेना की क्षमता 13 लाख, एयरफोर्स की एक लाख 40 हजार और नेवी की 68 हजार सैनिकों के करीब है। तीनों सेनाओं की गिनती दुनिया में उत्कृष्ट सेनाओं में होती है।

वायु सेना- राफेल और मिराज से भारत का परचम

आई वर्ल्ड एयर फोर्स रिपोर्ट 2021 के मुताबिक भारत में 2119 युद्धक विमान हैं। इस तरह हमारा देश वायुसेना के लिहाज से चौथा सबसे ताकतवर देश बन जाता है। भारत के बेड़े में एचएएल तेजस, सुखोई-30, मिग-21, मिग-29, फ्रांस के राफेल और मिराज जैसे शक्तिशाली विमान शामिल हैं। ब्रिटेन-फ्रांस के जगुआर, पी-8 पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट और अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर भी हैं।

नौसेना की ताकत

ग्लोबल फायरपावर रिपोर्ट के मुताबिक हमारे पास कुल 285 जहाज हैं। इसमें एक विमानवाहक पोत, 10 डेस्ट्रायर, 13 युद्धपोत हैं। वहीं 16 पनडुब्बियां, 139 पेट्रोलिंग नौकाएं हैं। इसके अलावा 19 जंगी जहाज और 3 माइन वारफेयर हैं।

नाभिकीय हथियारों की क्षमता में भी वृद्धि

भारत परमाणु हथियारों के मामले में भी अपनी क्षमता लगातार बढ़ा रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की रिपोर्ट भी इस बात को साबित करती है। इस समय परमाणु हथियार वाले देशों में अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं।