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India Covid-19 Second Wave: दोबारा कोरोना संक्रमण का रहस्य सुलझा रहे विज्ञानी

जब कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है तो उसके शरीर में स्थायी इम्यूनिटी विकसित होती है या वह कुछ समय बाद दोबारा संक्रमित हो सकता है। दोबारा संक्रमित होने की आशंकाओं का पता लगाना इसलिए भी जरूरी है ताकि इस महामारी से मजबूती के साथ लड़ा जा सके।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 09:11 AM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 09:43 AM (IST)
India Covid-19 Second Wave: दोबारा कोरोना संक्रमण का रहस्य सुलझा रहे विज्ञानी
भारत समेत दुनियाभर में दोबारा संक्रमण के मामले आ रहे है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। India Covid-19 Second Wave भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने अपने तरह के पहले अभ्यास के अंतर्गत देश में कोविड-19 से दोबारा संक्रमित होने वालों की पहचान का प्रयास किया है। इपिडेमियोलॉजी एंड इंफेक्शन नामक पत्रिका ने इसके प्रकाशन की सहमति दे दी है।

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ऐसे होता है निर्धारण

विज्ञानी दोबारा संक्रमण के प्रमाण के लिए वायरस के नमूनों के जिनोम विश्लेषण पर गौर करते हैं। चूंकि वायरस में लगातार बदलाव हो रहे हैं, इसलिए दो नमूनों के जिनोम सिक्वेंस में भी कुछ अंतर होना चाहिए। हालांकि, सभी संक्रमितों के नमूनों का जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए संग्रह नहीं किया जा रहा है, क्योंकि यह बहुत बड़ी चुनौती होगी। महज कुछ लोगों के नमूमों को अध्ययन के लिए भेजा जाता है।

ऐसे हुआ अध्ययन

1,300 वैसे लोगों पर अध्ययन किया गया जो दोबारा संक्रमित हुए थे। पाया गया कि इनमें से 58 यानी 4.5 फीसद को वास्तव में दोबारा संक्रमितों की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये 102 दिनों के भीतर दूसरी बार संक्रमित हुए। बीच में भी उनकी जांच कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इनकी उम्र 20-40 वर्ष थी और 12 स्वास्थ्य कर्मी थे। आइसीएमआर के विज्ञानियों ने जिनोम विश्लेषण के बजाय मरीज की कम से कम 102 दिनों के बीच की दोनों रिपोर्ट का अध्ययन किया। अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का मानना है कि वायरल शेडिंग (शरीर में वायरस के विस्तार) में करीब 90 दिन लगते हैं। वायरल शेडिंग की आशंकाओं से निपटने के लिए विज्ञानियों ने 102 दिनों के भीतर एक अन्य जांच करवाई थी, जो निगेटिव निकली। हालांकि, जिनोम विश्लेषण के अभाव में इन 58 को दोबारा संक्रमण का पुष्ट मामला नहीं माना जाएगा।

क्यों है उपयोगी

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जब कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है तो उसके शरीर में स्थायी इम्यूनिटी विकसित होती है या वह कुछ समय बाद दोबारा संक्रमित हो सकता है। दोबारा संक्रमित होने की आशंकाओं का पता लगाना इसलिए भी जरूरी है ताकि इस महामारी से मजबूती के साथ लड़ा जा सके। इससे न सिर्फ महामारी से लड़ाई की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह समझना भी आसान हो सकेगा कि लोगों को और कितने समय तक मास्क व शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते रहना होगा। यह टीकाकरण अभियान में भी मददगार साबित होगा। भारत समेत दुनियाभर में दोबारा संक्रमण के मामले आ रहे हैं, लेकिन सभी इस श्रेणी में नहीं रखे जा सकते।


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