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India China Tension: भारतीय नौसेना के लिए छह परमाणु पनडुब्बी का होगा निर्माण, 55 हजार करोड़ की परियोजना के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू

भारतीय नौसेना की छह परमाणु पनडुब्बी बनाने के साथ ही 24 नई पनडुब्बियां हासिल करने की योजना है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 06:15 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 08:08 AM (IST)
India China Tension: भारतीय नौसेना के लिए छह परमाणु पनडुब्बी का होगा निर्माण, 55 हजार करोड़ की परियोजना के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू
India China Tension: भारतीय नौसेना के लिए छह परमाणु पनडुब्बी का होगा निर्माण, 55 हजार करोड़ की परियोजना के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू

नई दिल्ली, प्रेट्र। चीन की नौसैनिक शक्ति का मुकाबला करने के लिए भारत अगले महीने नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों के निर्माण 55 हजार करोड़ रुपये की परियोजना के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू कर देगा।

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उल्लेखनीय है कि भारतीय नौसेना की छह परमाणु पनडुब्बी बनाने के साथ ही 24 नई पनडुब्बियां हासिल करने की योजना है। जल क्षेत्र के अंदर अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए नौसेना ने यह कदम उठाया है। फिलहाल नौसेना के पास 15 परंपरागत पनडुब्बियां और दो परमाणु पनडुब्बियां है।

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सरकारी सूत्रों के अनुसार रणनीतिक साझेदारी के तहत पनडुब्बियों का निर्माण होगा। इसमें बड़ी विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर कई भारतीय कंपनियों को साझेदारी में पनडुब्बियों के निर्माण की अनुमति होगी। ऐसी ही साझेदारियों के दम पर देश में उच्च स्तरीय सैन्य साजोसामान के उत्पादन का विशाल प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा और रक्षा आयात की निर्भरता को कम किया जाएगा। इस परियोजना के संबंध में प्रस्ताव का प्रतिवेदन (आरएफपी) अक्टूबर में जारी किया जाएगा। 

दो भारतीय पोत कारखानों को चुना लिया

मेक इन इंडिया अभियान के तहत रक्षा मंत्रालय ने इन छह पनडुब्बियों के निर्माण के लिए दो भारतीय पोत कारखानों (शिपयार्ड) को चुन लिया है। इसके अलावा पांच बड़ी विदेशी रक्षा कंपनियों को भी विकल्प के तौर पर रखा गया है। यह भारत सरकार का मेक इन इंडिया के तहत सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। चयनित भारतीय कंपनी में लार्सन एंड टूब्रो और सरकारी कंपनी में मजागांव डाक्स लिमिटेड (एमडीएल) शामिल हैं। जबकि चयनित विदेशी कंपनियों में थायसीन क्रुप मरीन सिस्टम्स (जर्मनी), नवानतिया (स्पेन) और नेवल ग्रुप (फ्रांस) हैं।

सूत्रों का कहना है कि शुरुआत में रक्षा मंत्रालय एमडीएल व एल एंड टी और दो अन्य कंपनियों के लिए आरएफपी जारी करेगा। इन सभी को बोली की प्रक्रिया में अपनी बोली का ब्योरा देना होगा। चीन के हिंद महासागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की कोशिशों के बीच भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। भारत के रणनीतिक हितों के लिए भारतीय नौसेना का हिंद महासागर की रक्षा करना बेहद जरूरी है।

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