India China Tension: चीन पर लगेगी नकेल, खिलौना बाजार पर बीआइएस मार्क की शर्त
आयातित खिलौनों को आकर्षक बनाने में खतरनाक रसायन थाइलेट आर्सेनिक शीशा और पारा का प्रयोग किया जाता है। इससे बच्चों के लीवर व किडनी पर बुरा असर पड़ता है। इसके कारण बच्चों की हड्डियों के विकास में कमी आती है।
राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। भारत-चीन के बीच बिगड़ते रिश्ते का असर खिलौना बाजार पर भी दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार ने देशभर के आयातकों और थोक व्यापारियों को निर्देश दिए हैं कि बीआइएस मार्क (भारतीय मानक ब्यूरो) वाले खिलौनों का ही कारोबार करें। घरेलू उत्पादकों को भी बीआइएस द्वारा तय मानक के अनुरूप खिलौने बनाने तथा खुदरा दुकानदारों को यही खिलौने बेचने के निर्देश दिए गए हैं। स्टाकिस्टों का कहना है कि आयातित खिलौनों में 60 फीसद हिस्सेदारी चीन की होती है। थाईलैंड और फिलीपींस से भी खिलौने आयात किए जाते हैं। समझा जा रहा है कि बीआइएस मार्क सुनिश्चित किए जाने से चीन से खिलौनों के आयात पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंध लग जाएगा।
बीआइएस मार्क के बिना विदेशी खिलौने की आयात की अनुमति नहीं होगी
आयातित खिलौनों को आकर्षक बनाने में खतरनाक रसायन थाइलेट, आर्सेनिक, शीशा और पारा का प्रयोग किया जाता है। इससे बच्चों के लीवर व किडनी पर बुरा असर पड़ता है। इसके कारण बच्चों की हड्डियों के विकास में कमी आती है। सस्ते के चक्कर में कारोबारी गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखते। केंद्र सरकार के दिशानिर्देश से स्वमेव गड़बडियां रुक जाएंगी। थोक व्यापारियों के लिए भी बीआइएस मार्क के बिना विदेशी खिलौने की आयात की अनुमति नहीं होगी।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्टाकिस्ट विवेक देवांगन ने कहा कि बीआइएस मार्क वाले खिलौनों की खरीदी बिक्री के निर्देश केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए हैं। बिना मार्क वाले खिलौनों की खरीदारी व आपूर्ति प्रतिबंधित है। दुकानदारों को इस संबंध में जानकारी दी जा रही है।
उधर, इस बार दीपावली पर चीन को सबक सिखाने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गाय के गोबर से 33 करोड़ दीयों को बनाकर बाजार में उतारेगा। यह जानकारी आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने दी। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य चीन निर्मित दीयों को खारिज कर मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है।
तीन लाख दीये अयोध्या में जलाए जाएंगे
इस अभियान में शामिल होने के लिए 15 से अधिक राज्यों ने सहमति दी है। उन्होंने कहा कि इसमें से लगभग तीन लाख दीये पवित्र शहर अयोध्या में जलाए जाएंगे, जबकि वाराणसी में एक लाख दीये जलाए जाएंगे। दीपावली तक 33 करोड़ दीये बनाने के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। कहा कि इस अभियान से आर्थिक रूप से परेशान गोशालाओं को बहुत मदद मिलेगी।