India-China clash: सीमा पर बार-बार टकराव की स्थिति, जानें- क्यों बौखलाया है चीन
अपनी सीमा में जैसे-जैसे भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा चीन की ओर से ऐसी और घटनाएं देखने का मिल सकती हैं।
जेएनएन, नई दिल्ली । पिछले कुछ वर्षो में चीन के साथ सीमा पर कई बार टकराव की स्थिति बनी है। सूत्रों का कहना है कि असल में यह टकराव भारत की ओर से पैट्रोलिंग में सुधार और सीमाई क्षेत्रों में मजबूत होते इन्फ्रास्ट्रक्चर से चीन की बौखलाहट का नतीजा है। बार-बार टकराव होना सैन्य कमजोरी या संबंध बिगड़ने का नहीं, बल्कि भारतीय सेना की निगरानी क्षमता बढ़ने और चीनी सेना की ओर से अतिक्रमण की किसी भी कोशिश पर त्वरित प्रतिक्रिया का परिणाम है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं में तेजी चीन को चुभ रही
जानकारों का कहना है कि अपनी सीमा में जैसे-जैसे भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा, चीन की ओर से ऐसी और घटनाएं देखने का मिल सकती हैं। सूत्रों ने बताया कि 2014 में सरकार संभालने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण पर जोर दिया है। इस मामले में मोदी सरकार की गति निसंदेह पिछली सरकारों से तेज रही है। बात चाहे सड़क निर्माण की हो, बाड़ लगाने की हो या सुरंग और पुल निर्माण की, हर मोर्चे पर काम को गति दी गई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं में यही तेजी चीन को चुभ रही है।
सीमा पर हुए निर्माण भी सरकार की प्रतिबद्धता की गवाही
सूत्रों ने कहा कि सीमाई क्षेत्रों में निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पर्यावरण संबंधी मंजूरियों के कारण परियोजनाओं में देरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए पीएम ने अपने हाथ में कमान ले ली थी। सरकार ने निर्माण के आधुनिक उपकरणों की खरीद को भी गति दी है। पिछले कुछ वर्षो में सीमा पर हुए निर्माण भी सरकार की प्रतिबद्धता की गवाही देते हैं। 2014 से 2020 के बीच चीन सीमा पर छह सुरंगों का काम पूरा कर लिया गया है और 19 का काम चल रहा है। इसी अवधि में 14,450 मीटर के पुल बनाए जा चुके हैं और 4,764 किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ है।