भारत-चीन एक दूसरे को नहीं हरा सकते : दलाई लामा
1951 में तिब्बत की स्थानीय सरकार और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच तिब्बत की शांतिपूर्ण स्वाधीनता के लिए 17 सूत्रीय समझौता हुआ था।
मुंबई, प्रेट्र : तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का मानना है कि भारत और चीन एक दूसरे को पराजित नहीं कर सकते क्योंकि दोनों ही देश सैन्य मामले में शक्तिशाली हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पार से फायरिंग की कुछ छिटपुट घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता। दोनों ही देशों को पड़ोसी के रूप में साथ रहना है, लिहाजा 'हिंदी-चीनी भाई भाई' की भावना ही आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता है।
यहां एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सवालों के जवाब में दलाई लामा ने कहा कि 1951 में तिब्बत की स्थानीय सरकार और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच तिब्बत की शांतिपूर्ण स्वाधीनता के लिए 17 सूत्रीय समझौता हुआ था। लेकिन, आज चीन बदल रहा है और वह सबसे ज्यादा बौद्ध आबादी वाला देश बन गया है। वहां साम्यवादी सरकार है, लेकिन व्यापक तौर पर बौद्ध धर्म को माना जाता है।
तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने सुझाव दिया कि भारत को चीनी बौद्ध अनुयायियों के लिए तीर्थस्थलों का विकास करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमें यह समझना होगा कि बौद्ध धर्म के चीनी अनुयायी वास्तव में भारतीय बौद्ध धर्म का ही पालन कर रहे हैं। लिहाजा, ये लोग बोध गया जैसे स्थानों पर आ सकते हैं। इस तरह वे भावानात्मक रूप से भी भारत के करीब आएंगे।'
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