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India China Border Tension: भारत ने कहा, चीन ने बार-बार किया एलएसी का उल्लंघन, सेना ने की अपने हितों की रक्षा

विदेश मंत्रालय का कहना है कि चीन के सैनिकों ने 29 व 30 अगस्त और 31 अगस्त को पूर्वी लद्दाख के प्योंग त्सो झील के दक्षिणी इलाके में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 08:16 AM (IST)
India China Border Tension: भारत ने कहा, चीन ने बार-बार किया एलएसी का उल्लंघन, सेना ने की अपने हितों की रक्षा
India China Border Tension: भारत ने कहा, चीन ने बार-बार किया एलएसी का उल्लंघन, सेना ने की अपने हितों की रक्षा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख सीमा पर स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों की तरफ से बार- बार शांति भंग करने की कोशिशों पर भारत ने चीन को सख्त चेतावनी दी है कि वह भड़काऊ रवैये को छोड़ कर तनाव दूर करने के शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करे। भारत ने यह भी कहा है कि दोनो देशों के विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा पर अमन-शांति बहाली को लेकर जो सहमति बनी थी, उसका चीन बार- बार उल्लंघन कर रहा है। भारत का यह बयान तब आया है जब प्योंग त्सो झील के पास पिछले दो दिनों के भीतर दो बार भारतीय सैनिकों से मुठभेड़ की धमक बीजिंग तक सुनाई दे रही है।

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चीन ने 24 घंटे में दिए तीन बयान, भारत पर लगाया आरोप

भारत के साथ सैन्य तनाव पर अभी तक तोल-तोल कर बोलने वाले चीन की तरफ से पिछले 24 घंटे में तीन बयान आ चुके हैं। वैसे इन सभी बयानों में 30 अगस्त की रात के घटनाक्रम की पूरी जिम्मेदारी भारत पर डाली जा रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि चीन के सैनिकों ने 29 व 30 अगस्त और 31 अगस्त को पूर्वी लद्दाख के प्योंग त्सो झील के दक्षिणी इलाके में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की, जिसे भारतीय सैनिकों ने असफल कर दिया है। भारत ने आरोप लगाया है कि 30 अगस्त की घटना के बाद जब दोनो देशों के बीच हालात को सामान्य करने की बातचीत चल रही थी, तब भी चीनी सैनिकों ने आक्रामक रवैया दिखाया था जिसे असफल किया गया।

भारतीय सैनिकों ने आवश्यक रक्षात्मक कदम उठाये

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव के मुताबिक, ''चीनी सैनिकों के भड़काऊ कदम को देखते हुए भारतीय सैनिकों ने आवश्यक रक्षात्मक कदम उठाये, ताकि अपने हितों और भौगोलिक संप्रभुता की रक्षा की जा सके।'' पिछले दो दिनों और इसके पहले चीनी सैनिकों का रवैया पूरी तरह से द्विपक्षीय समझौतों व एलएसी पर अमन-शांति स्थापित करने की कोशिशों के खिलाफ है। साथ ही यह दोनो देशों के विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति का उल्लंघन है।

श्रीवास्ताव ने आगे कहा है कि, ''भारत ने चीनी पक्ष के समक्ष उनके इस भड़काऊ और आक्रामक रवैये को कूटनीतिक व सैन्य तरीके से उठाया है व उनसे आग्रह किया है कि अपनी तैनात सैनिकों को इस तरह का आक्रामक रवैया नहीं अपनाने के लिए तैयार करे।''

चीन ने कहा, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश

उधर, चीन के विदेश मंत्रालय और नई दिल्ली स्थित उसके राजदूत की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि, प्योंग त्सो झील के दक्षिणी हिस्से में भारतीय सेना की तरफ से एक बार फिर अतिक्रमण किया गया है और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की गई है। भारत का यह कदम चीन की संप्रभुता का बड़ा उल्लंघन है व चीन के साथ किये गये हर समझौते का उल्लंघन है।

इसने भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन-शांति को काफी नुकसान पहुंचाया है। इससे दोनो पक्षों के बीच तनाव को खत्म करने की जो कोशिशें हो रही थी उसे भी धक्का पहुंचा है। इसके बाद चीन की तरफ से भारत सरकार से आग्रह किया गया है कि वह सीमा पर तैनात अपने सैनिकों को नियंत्रण में रखे और हर तरह के उकसावे की कार्रवाई को बंद करे ताकि हालात और नियंत्रण से बाहर ना हो।

ज्ञात हो कि चीन की हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है। सेना के के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, घुसपैठ की चीनी कोशिश को विफल करने के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगे सभी क्षेत्रों में समग्र निगरानी तंत्र को और मजबूत किया गया है। शीर्ष सैन्य एवं रक्षा प्राधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में पूरी स्थिति की समीक्षा की है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने ताजा टकराव को लेकर शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की।

सूत्रों ने बताया कि वायुसेना से भी पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने को कहा गया। ऐसी रिपोर्ट है कि चीन ने उसके रणनीतिक रूप से अहम होतान एयरबेस पर लंबी दूरी के लड़ाकू विमान जे-20 और कुछ अन्य एसेट तैनात किए हैं। पिछले तीन महीने में भारतीय वायुसेना ने सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों जैसे जगुआर, सुखोई-30 एमकेआइ और मिराज-2000 पूर्वी लद्दाख के प्रमुख सीमावर्ती एयरबेस पर तैनात किए हैं।


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