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India-China Border News: युद्ध हुआ तो चीन चुकाएगा बड़ी कीमत, भारत के साथ होंगे बड़े देश

India China Border News यदि चीन ने भारत के साथ युद्ध की हिमाकत की तो यह उसके लिए किसी बुरे स्वप्न की तरह होगा जो उसकी आने वाली पीढ़ियों तक को सालता रहेगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 11:06 AM (IST)
India-China Border News: युद्ध हुआ तो चीन चुकाएगा बड़ी कीमत, भारत के साथ होंगे बड़े देश
India-China Border News: युद्ध हुआ तो चीन चुकाएगा बड़ी कीमत, भारत के साथ होंगे बड़े देश

नई दिल्‍ली, जेएनएन। India China Border News आक्रामकता और दुनिया को अपने क्षेत्र में मिला लेने की बेचैनी चीन को महंगी पड़ेगी। चीन जिस विस्तारवादी नीति को लेकर आगे बढ़ रहा है, वही उसके लिए बड़ी मुसीबत का कारण बन सकती है। दुनिया के बड़े देश इस बात को बखूबी समझ रहे हैं कि दुनिया में चीन इकलौता देश है, जिसे रोकना हर किसी के लिए जरूरी है।

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फिर चाहे वह अमेरिका हो या ब्रिटेन, फ्रांस, आस्टे्रलिया या फिर जापान। इन देशों के साथ चीन का किसी न किसी मुद्दे पर विरोध है। ऐसे में चीन भारत के खिलाफ आक्रामकता का प्रदर्शन कर रहा है, जिसके जरिये वह नासमझी और मूर्खता के नए पैमाने गढ़ रहा है। यदि चीन ने भारत के साथ युद्ध की हिमाकत की तो यह उसके लिए किसी बुरे स्वप्न की तरह होगा जो उसकी आने वाली पीढ़ियों तक को सालता रहेगा।

भारतीय सैनिकों ने गलवन में दिया था चीन को मुंहतोड़ जवाब: युद्ध हुआ तो दुनिया की सबसे बड़ी सेना के सामने दुनिया की सबसे पेशेवर और पराक्रमी सेना से मुकाबले की चुनौती होगी। 2017 में डोकलाम विवाद में चीन को पीछे हटना पड़ा था और ताजा मामला गलवन का है। जहां भारतीय सैनिकों ने अपने 20 शहीदों का बदला लेने के लिए 40 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मार गिराया था। इतना बड़ा नुकसान होने के बावजूद चीन मरने वाले अपने सैनिकों की संख्या तक बताने का साहस नहीं कर सका। यह बताता है कि चीन आक्रामकता का प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर डरा हुआ है। वह जानता है कि युद्ध हुआ तो उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी।

युद्ध के लिए तैयार है भारत: 1962 के युद्ध में भारत की हार को चीनी सरकार के पिट्ठू अक्सर उठाते रहे हैं। इसके जरिये वे भारत को चीन के सामने बौना करने की कोशिश में रहते हैं। हालांकि 2020 की परिस्थितियां बिलकुल विपरीत है। रणनीतिक लिहाज से भारत अब चीन का सामना करने के लिए तैयार है। उस पर एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र पर हमला करना चीन के लिए तेजाब में हाथ डालने जैसा होगा। भारत के समक्ष अब न हथियारों की समस्या है और न ही दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों में से एक में लड़ने के लिए उसके सैनिकों के पास कौशल की कमी है। भारत ने पिछले कुछ सालों में सीमावर्ती इलाकों में अपनी रणनीति को बदला है और वहां पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण निर्माण कार्य किए हैं। जिनमें लड़ाकू विमान उतारने के लिए हवाई पट्टियों से रणनीतिक महत्व की सड़कों का जाल बिछाने तक बहुत सी चीजें शामिल हैं।

दक्षिण चीन सागर में चीन का दबदबा कम करने की चुनौती: एक अनुमान के मुताबिक, वैश्विक व्यापार का करीब 3.37 लाख करोड़ डॉलर का वार्षिक व्यापार दक्षिण चीन सागर से होता है। यह वैश्विक समुद्री व्यापार का करीब एक तिहाई है। चीन के कुल व्यापार का 39.5 फीसद और ऊर्जा आयात का 80 फीसद यहीं से होता है। विश्व व्यापार पर अपनी पकड़ खो रहा अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि इस व्यापार मार्ग पर चीन का दबदबा मजबूत हो। भारत और चीन के बीच यदि युद्ध हुआ और यदि इसमें चीन जीतता है (हालांकि आज की परिस्थितियों में यह असंभव है) तो चीन और मजबूत होगा और इस पर उसके दावे को चुनौती देना किसी के लिए भी संभव नहीं होगा। अमेरिका सहित अन्य देशों के लिए निर्बाध व्यापार के लिए चीन का दबदबा कम होना जरूरी है। ऐसे में दुनिया के शक्ति संपन्न देशों का साथ भारत को मिल सकता है।

कई देश चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान: चीन के अपने पड़ोसी देशों से संबंध कभी भी ठीक नहीं रहे हैं। विस्तारवादी नीति के कारण भारत के साथ ही रूस, जापान, नेपाल, भूटान, वियतनाम, ताइवान, दक्षिण कोरिया, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, मंगोलिया सहित लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ चीन का सीमा विवाद है। ऐसे में रूस को छोड़कर कोई भी देश ऐसा नहीं है जो चीन को माकूल जवाब दे सके। यही कारण है कि चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन को जवाब देने की ताकत किसी देश के पास है तो वो भारत ही है। यदि युद्ध हुआ तो इन देशों के पास भारत के साथ मिलकर चीन को चुनौती देने या भारत की जीत का ख्वाब देखने के अलावा कोई चारा नहीं है। चीन का मजबूत होना इन देशों के लिए मुश्किल हालात पैदा कर सकता है।


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