India-China Border News: भारतीय चौकी के पास रॉड और धारदार हथियारों से लैस होकर आए थे चीनी सैनिक, खतरनाक थे इरादे
करीब 50 चीनी सैनिक हथियारों से लैस होकर रेजांग ला के पास उन चोटियों पर आने की कोशिश कर थे जिन पर भारतीय सैनिक तैनात हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख में सोमवार को गलवान घाटी जैसे कहानी को दोहराने की चीन की कोशिशों को भातीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया था। रेजांग ला के उत्तर स्थित मुखपुरी में धारदार हथियारों से लैस करीब 50 चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में चोटी पर कब्जा करने की कोशिश की थी, जिस पर भारतीय सैनिकों ने हवा में फायरिंग कर उन्हें आगाह करने के बाद उन्हें वापस लौटने को मजबूर कर दिया।
इस बारे में चीन ने फिर झूठी कहानी गढ़ते हुए कहा था कि उसके सैनिक बातचीत के लिए गए थे और भारतीय सैनिकों ने उकसावे की कार्रवाई की है। वहीं दूसरी तरफ अब ऐसी तस्वीरें आई हैं जो न केवल चीन के झूठ का पर्दा उठाती हैं बल्कि उनके खतरनाक मंसूबों का इजहार करती है। चीन की इन हरकतों को एलएसी पर तनाव बढ़ाने और भड़काने वाली कार्रवाई बताते हुए भारत ने हा कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को उनकी पोजीशन चौकी से हटाने की नीयत से यह हरकत की। भारतीय सैनिकों की ओर से कोई फायरिंग नहीं की गई। चीन के झूठे दावों को खारिज करते हुए भारत ने साफ कहा कि चीनी सेना पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) की भड़काने वाली हरकतों के बावजूद भारतीय सेना ने बेहद संयम और दृढ़ता दिखाई।
चीन के नापाक इरादों की पोल खोल रहीं हैं तस्वीरें
सोमवार को जारी की गई तस्वीरों में दिख रहा है कि सोमवार को करीब 50 चीनी सैनिक हथियारों से लैस होकर रेजांग ला के पास उन चोटियों पर आने की कोशिश कर थे, जिन पर भारतीय सैनिक तैनात हैं। तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि चीनी सैनिकों के पास धारदार हथियार है। वे भारतीय सैनिकों से महज 200 मीटर की दूरी पर हैं। 14-15 जून को गलवान घाटी में जिस तरह उन्होंने भारतीय सैनिकों पर धारदार हथियारों और कील लगे डंडों से हमला किया था, वैसे ही कहानी दोहराने के लिए वे तैयारी के साथ आए थे। चीनी सैनिक भारतीय चोटियों पर कब्जे की फिराक में थे। ये चोटियां रणनीतिक स्तर पर काफी अहम मानी जाती हैं। चीनी सैनिकों ने 10-15 राउंड फायरिंग भी की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया। 45 साल बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गोली चली थी।
चीनी मार्शल आर्ट में इस्तेमाल होते हैं हथियार
चीन के सैनिकों के पास जो हथियार दिखाई दे रहा है, उसे गुआंडाओ कहा जाता है। उनका इस्तेमाल आम तौर पर चीनी मार्शल आर्ट में किया जाता है। इसमें एक 5-6 फीट लंबे पोल पर ब्लेड लगी होती है। यह ब्लेड एक तरफ पीछे की तरफ भी मुड़ी होती है। यह भारतीय हथियार बर्छी से मिलता जुलता है। इसे बर्छी और भाले का संयुक्त रूप कहा जा सकता है।
रेजांग ला में भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने
पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पिछले तीन दिनों से चीनी सेना भारत की फॉरवर्ड पोजिशन के नजदीक आने की कोशिश कर रही है। अभी भी रेजांग ला के पास की चोटियों के करीब भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। मौके पर तनाव चरम पर है। भारतीय सैनिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए तैयार है।
चीन को सख्त संदेश
चीन को सख्त संदेश देते हुए सेना ने उसे भड़काने वाली हरकतों से बाज आने को कहा। साथ ही दो टूक कहा कि भारतीय सेना शांति और विश्वास बहाली के लिए प्रतिबद्ध है मगर देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए भी वह दृढ़ निश्चयी है। सेना ने कहा कि चीनी सेना लगातार समझौते का उल्लंघन कर आक्रामक हरकतें कर रही है। वह भी तब जब सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर गतिरोध को लेकर बातचीत हो रही है।
चीन ने भारत पर तोहमत लगाई
गौरतलब है कि चीन की पश्चिमी थियेटर कमांड के प्रवक्ता ने सोमवार देर रात बयान जारी कर भारतीय सैनिकों पर एलएसी का उल्लंघन कर हवाई फायरिंग करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि चीनी सेना ने इसी के जवाब में हवाई फायरिंग की। चीनी सेना की इस हरकत से एलएसी पर तनाव की गंभीर स्थिति बनी हुई है। 1975 के बाद बीते 45 साल में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच फायरिंग की घटना पहली बार हुई है जो सीमा पर दोनों देशों के बीच जारी सैन्य तनातनी की गंभीरता को दर्शाता है। 29-30 और 31 अगस्त की रात चीनी सैनिकों की पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की पहाड़ी चोटियों पर घुसपैठ की ताजा कोशिशों ने इस तनाव को और भी बढ़ाया है।
1975 में चली थी गोली
सोमवार देर रात दोनों देशों के बीच 45 साल बाद फायरिंग की घटना हुई। पिछली बार 1975 में गोलियां चली थीं। उस समय अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर हमला हुआ था, जिसमें कई जवान शहीद हुए थे। 1993 में भारत और चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें सहमति बनी थी दोनों देश सीमा पर फायरिंग नहीं करेंगे। इसी समझौते के चलते 15 जून को गलवन घाटी में हिंसक झड़प के बावजूद गोली नहीं चली थी।
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