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ऑपरेशन बुद्धा: जब दुनिया की सभी सीक्रेट एजेंसियां भारत के इस ऑपरेशन से रह गई थी हैरान, किसी को नहीं लगी थी भनक

Operation Smiling Buddha इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में देश ने यह उपलब्धि हासिल की थी। इस परीक्षण के लिए कोड वर्ड तय किए गए थे। वैज्ञानिकों ने इसे स्माइलिंग बुद्धा भारतीय सेना ने हैप्पी कृष्णा और ऑफिशियल डॉक्युमेंट में इसे पोखरण-1 कोडनेम दिया गया।

By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashPublished: Wed, 17 May 2023 04:26 PM (IST)Updated: Wed, 17 May 2023 04:26 PM (IST)
ऑपरेशन बुद्धा: जब दुनिया की सभी सीक्रेट एजेंसियां भारत के इस ऑपरेशन से रह गई थी हैरान, किसी को नहीं लगी थी भनक
जब दुनिया की सभी सीक्रेट एजेंसियां भारत के इस ऑपरेशन से रह गई थी हैरान

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। India Become Nuclear Power: 18 मई, 1974, बुद्ध पूर्णिमा का दिन और ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा। भारत के इतिहास में इस दिन को हमेशा याद रखा जाएगा। इस दिन ही देश का पहला परमाणु परीक्षण (Nuclear Tests) राजस्थान की पोखरण टेस्ट रेंज में किया गया था।

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आज से 49 साल पहले किए गए इस परीक्षण से दुनिया चकित रह गई थी। भारत ने अपने पहले परीक्षण के साथ यह भी साफ कर दिया था कि यह परीक्षण पूरी तरह से शांति के लिए था। चीन, रूस, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन के यूएनएससी के स्थाई सदस्य के बाद भारत इकलौता राष्ट्र बन गया था, जिसने ये उपलब्धि हासिल की थी।

परमाणु परीक्षण में इन दो ने निभाई बड़ी भूमिका

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के तत्कालीन निदेशक डॉ राजा रमन्ना और देश के जाने-माने भौतिक विज्ञानी पी के अयंगर की निगरानी में इस परीक्षण को अंजाम दिया गया था।

जहां डॉ. राजा रमन्ना इसके प्रोजेक्ट हेड थे, तो वहीं इस परमाणु हथि‍यार को डॉ. पी के अयंगर ने डिजाइन और तैयार किया था। दुनिया की नजरों से बचाने के लिए इस सीक्रेट मिशन को एक कोडनेम दिया गया, जो था- स्माइलिंग बुद्धा। जब तक परमाणु का सफलतापूर्वक परीक्षण नहीं कर लिया गया, तब तक पी के अयंगर ने इस ऑपरेशन को गोपनीय रखा।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन परीक्षण करने की थी बड़ी वजह

सवाल है कि इस परीक्षण का नाम स्माइलिंग बुद्धा ही क्यों रखा गया। इसके दो कारण थे। पहला- जिस दिन यह परीक्षण हो रहा था उस दिन बुद्ध पूर्णिमा थी और दूसरा कारण- भारत इसी दिन यह परीक्षण कर दुनिया में शांति का संदेश देना चाहता था।

'बुद्ध मुस्करा रहे हैं' (Budha Is Smiling)

इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में देश ने यह उपलब्धि हासिल की थी। इस परीक्षण के लिए कोड वर्ड तय किए गए थे। वैज्ञानिकों ने इसे स्माइलिंग बुद्धा, भारतीय सेना ने हैप्पी कृष्णा और ऑफिशियल तौर पर इसे पोखरण-1 कोडनेम दिया गया।

वैज्ञानिकों ने पहले परीक्षण के लिए जो कोड वर्ड तय किया था वो था ‘बुद्धा इज स्‍माइलिंग’। कहा जाता है कि साल 1974 में जब यह परमाणु परीक्षण सफल हुआ तो इसकी सूचना डा रमन्ना ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को दी थी। उन्होंने फोन कर इंदिरा को कहा था कि बुद्ध मुस्कुरा रहे हैं। इस सीक्रेट मिशन के लिए 75 वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने 1967 से लेकर 1974 तक कड़ी मेहनत की थी। इस सफल टेस्ट के बाद इंदिरा गांधी ने भी उस जगह का दौरा किया था।

अमेरिका को भी नहीं लगी थी भनक

जब भारत ने खुद को परमाणु शक्ति संपन्‍न देश घोषित किया, तो इससे अमेरिका तिलमिला उठा था। अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता उस समय यह थी कि खुफिया एजेंसियों और सैटेलाइट को इस बात की भनक कैसे नहीं लगी। इसका कारण यह हो सकता है कि भारत जिस समय यह परीक्षण कर रहा था, उस वक्त अमेरिका खुद वियतनाम युद्ध में उलझा हुआ था। इस परीक्षण का नतीजा यह रहा कि अमेरिका और कई अन्य देशों ने भारत पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा के बाद भारत ने साल 1998 में पांच और परमाणु परीक्षण किए। इसमें से तीन 11 मई और अन्य दो 13 मई को किए गए थे। ये परीक्षण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अगुवाई में किए गए थे।


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