भारतीय सेना ने पाक के दुष्प्रचार की खोली पोल, कहा- दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी कर रहा है पाकिस्तान
भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे राज्य प्रायोजित दुष्प्रचार की पोल खोलते हुए कड़ी फटकार लगाई है। सेना ने कहा कि वह एक धर्मनिरपेक्ष संगठन है जिसके सभी अधिकारी और जवान धर्म जाति से ऊपर उठकर देश की सेवा करते हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे राज्य प्रायोजित दुष्प्रचार की पोल खोलते हुए कड़ी फटकार लगाई है। सेना ने कहा कि वह एक धर्मनिरपेक्ष संगठन है जिसके सभी अधिकारी और जवान धर्म, जाति और लिंगभेद की परवाह न कर देश की सेवा करते हैं।
भारतीय सेना ने कहा कि पाकिस्तान पिछले कई दिनों से भारतीय सेना और खासकर सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) में तैनात लेफ्टीनेंट जनरल तरनजीत सिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कर रहा है। उन पर एक खास समुदाय के प्रति दुर्भावना रखने का आरोप लगाया जा रहा है। खास बात यह कि यह पूरा अभियान पाकिस्तानी हूकूमत के इशारे पर चल रहा है।
सेना ने कहा कि पाकिस्तान जब भारत में विभिन्न धर्मो के लोगों के बीच मनमुटाव पैदा करने में नाकाम रहा तो अब झुंझलाहट में भारतीय सेना में फूट डालने की कोशिश कर रहा है। भारतीय सेना पाकिस्तान की इस करतूत की कड़ी निंदा करती है।
पाक की आलोचना खारिज की
ढांचा ध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले की पाकिस्तान द्वारा आलोचना करने का भारत ने कड़ाई से प्रतिवाद करते हुए कहा कि पड़ोसी देश के लिए लोकतंत्र और कानून के शासन को समझना कठिन है जहां 'दमन तंत्र' है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इस मामले में सभी आरोपियों के बरी किए जाने की निंदा की थी और भारत सरकार से आग्रह किया था कि अल्पसंख्यकों और खासकर मुस्लिमों और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, भारत परिपक्व लोकतंत्र है। भारत की सरकार और लोग अदालत के फैसले का पालन करते हैं और कानून का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि दमन तंत्र वाली व्यवस्था को इस तरह के लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में समझना कठिन होगा जहां प्रतिष्ठान की इच्छा पर लोगों और अदालतों को दबाया जाता है। उल्लेखनीय है ढांचा ध्वंस मामले में बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था।