हिंद प्रशांत क्षेत्र में चौतरफा सहयोग को भारत और ईयू राजी, नौसैनिक सहयोग समेत कई अहम मुद्दों पर हुई बात
ईयू के तीन सदस्य देशों जर्मनी फ्रांस और नीदरलैंड की तरफ से अपनी अलग से हिंद प्रशांत रणनीति का एलान किया गया है। पहली बार ईयू के देशों ने ऐसी बातें कहनी शुरू की हैं जिससे चीन की परेशानी बढ़ सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के सभी सदस्य देशों के बीच हुई पहली शिखर बैठक में मुख्य तौर पर वार्ता के केंद्र में कोरोना और कारोबार ही रहा है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच भावी रणनीति को लेकर कुछ ऐसी भी बातें हुई हैं जो पड़ोसी देश चीन को नागवार गुजर सकती हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया के साथ भारत का क्वाड गठबंधन पहले से ही चीन की आंख में खटक रहा है, लेकिन शनिवार को हुई बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान से साफ है कि भारत-ईयू इस क्षेत्र में भी साझा हित देख रहे हैं। बयान में हिंद प्रशांत क्षेत्र का सात बार जिक्र है और दोनों तरफ से इस संदर्भ में नौसैनिक सहयोग बढ़ाने से लेकर यहां स्थित तीसरे देशों में साझा परियोजना चलाने की भी बात है। यह भी कहा गया है कि हिंद प्रशांत रणनीतिक नीति के तहत मौजूदा रिश्तों को और करीब लाया जाएगा।
बताते चलें कि भारत के साथ शिखर बैठक से ठीक पहले ईयू ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी रणनीति की घोषणा की। पहली बार ईयू ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका के लिए तैयार है। ईयू के तीन सदस्य देशों जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड की तरफ से अपनी अलग से हिंद प्रशांत रणनीति का एलान किया गया है। पहली बार ईयू के देशों ने ऐसी बातें कहनी शुरू की हैं जिससे चीन की परेशानी बढ़ सकती है। अभी तक ईयू ने चीन के बढ़ते वर्चस्व को लेकर चुप रहने की नीति अख्तियार की थी।
साझा तौर पर तलाशेंगे परियोजना लगाने की संभावना
भारत और ईयू ने कहा है कि वे अफ्रीका, मध्य एशिया और हिंद प्रशांत क्षेत्र में डिजिटल, एनर्जी, ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में दूसरे देशों में साझा तौर पर परियोजना लगाने की संभावना तलाशेंगे। इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) का विकल्प तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह भी उल्लेखनीय है कि भारत तीसरे देशों में परियोजना शुरू करने को लेकर जापान, फ्रांस व अमेरिका से भी अलग-अलग स्तर पर बात कर रहा है। भारत व ईयू के बीच हाल ही में सामुद्रिक सुरक्षा व सहयोग पर वार्ता शुरू की गई है। इसको और मजबूत बनाने के संकेत दोनों पक्षों की तरफ दिए गए हैं। बयान में हिंद प्रशांत क्षेत्र को सभी देशों के लिए समान अवसर वाला व कानून सम्मत बनाने को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है। यह भाषा काफी हद तक क्वाड देशों की तरफ से जारी बयान जैसी ही है। ईयू ने भारत की तरफ से शुरू किए गए इंडो पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव का समर्थन किया है।