Move to Jagran APP

रेड अलर्ट- अमेरिकी और चीनी हैकर्स के निशाने पर भारत और भारतीय; सुरक्षा, डाटा और पैसा खतरे में

चीन और अमेरिका समेत कई बड़े देश भारत की अभेद्य साइबर सुरक्षा चक्र को भेदने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इससे भारत की सुरक्षा लोगों-सरकार का डाटा और पैसा खतरे में है। कई रिपोर्ट्स सरकारी और विभिन्न एजेंसियों से संबद्ध साइबर एक्सपर्ट्स इस बात की पुष्टि करते हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 08:48 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 08:49 AM (IST)
रेड अलर्ट- अमेरिकी और चीनी हैकर्स के निशाने पर भारत और भारतीय; सुरक्षा, डाटा और पैसा खतरे में
साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल के अनुसार साइबर हमलों के जरिए कुछ देश भारत की तरक्की को धीमा करना चाहते हैं।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/मनीष कुमार। भारत और भारतीय, दोनों हैकर्स के निशाने पर हैं। चीन और अमेरिका समेत दुनिया भर के कई बड़े देश भारत की अभेद्य साइबर सुरक्षा चक्र को भेदने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इससे भारत की सुरक्षा, लोगों-सरकार का डाटा और पैसा खतरे में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आई कई रिपोर्ट्स, सरकारी और विभिन्न एजेंसियों से संबद्ध साइबर एक्सपर्ट्स इस बात की पुष्टि करते हैं।

loksabha election banner

प्रधानमंत्री कार्यालय में नेशनल साइबर सिक्योरिटी कॉर्डिनेटर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) राजेश पंत ने बताया कि 40% हमले अमेरिका से हो रहे हैं। साइबर हमले 3 -4 आईपी एड्रेस से किये जाते हैं। पर अक्सर अंतिम आईपी एड्रेस अमेरिका का होता है। साइबर अपराधी ने वहां गूगल या एमेजॉन सर्वर की वर्चुअल मशीन हायर की हुई है। इसमें स्टेट और नॉन स्टेट हैकर दोनों हो सकते हैं। खास बात है कि अमेरिका में अपने नागरिकों का डाटा तो कानून के जरिए सुरक्षित है। एप्पल जैसी कंपनी भी अमेरिकी सरकार को डाटा नहीं देती है लेकिन वहां के हैकर दूसरे देशों पर निशाना बना देते हैं।

विदेशी सरकारों ने भारत पर हमले के लिए बना रखे हैं साइबर स्लीपर सेल

साइबर विशेषज्ञ संग्राम ने बताया कि साइबर इस दुनिया के युद्ध का नया क्षेत्र है। अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश भारत पर हमले करते हैं। ये हमले सरकार समर्थित और गैर समर्थित दोनों हो सकते हैं। इसका मकसद प्रभुत्व हासिल करने का होता है और वे हमारी साइबर खामियां पता करना चाहते हैं। खामियां पता चलने के बाद भविष्य में ये हम पर बड़ा अटैक कर सकते हैं। ये साइबर स्लीपर सेल की तरह काम करते हैं। यह बिल्कुल ऐसा ही है जैसा आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए स्लीपर सेल होते हैं। जो दीमक की तरह आपकी सुरक्षा में सेंध लगाते रहते हैं।

संग्राम कहते हैं कि भारतीय विदेशी सामान जैसे मोबाइल, लैपटॉप और गैजेट आदि का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। ऐसे में उनके साइबर हमले का शिकार होने की आशंका ज्यादा होती है क्योंकि उपकरण बनाने वाले देश उनकी खामियों को बेहतर तरीके से जानते हैं। साथ ही वह उनके डाटा और तकनीकी जानकारियों को साझा नहीं करते हैं।

भारत की तरक्की से घबरा रहा है चीन, इसलिए कर रहा हमला- पवन दुग्गल

साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल के अनुसार चीन और अमेरिका से हमले होने की सीधी सी बात ये है कि भारत एक बहुत बड़ी ई कॉमर्स मार्केट के तौर पर उभरा है। साइबर हमलों के जरिए भारत की तरक्की को धीमा करना चाहते हैं। साइबर हमलों का उद्देश्य बहुत साफ है। उनका मकसद है कि भारत का डिजिटल इको सिस्टम ध्वस्त हो जाए। साइबर क्रिमिनल भारत के लोगों का डेटा चुरा कर बाहर ले जाकर उसका दुरुपयोग करते हैं। इस डाटा का इस्तेमाल कर वे भारत की सिक्योरिटी, प्राइवेसी और आर्थिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाते हैं।

देश पर रोजाना होते हैं साढ़े तीन हजार हमले

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने बताया है कि 2020 में भारत में 13 लाख साइबर अटैक के मामले आए। यानी हम रोजाना करीब साढ़े तीन हजार साइबर हमलों का सामना करते हैं। यानी हर घंटे में औसतन 150 हमले होते हैं। पर आपको साल में मात्र 8 या 10 बार ही पता चला होगा कि कोई बड़ा अटैक हुआ है।

साइबर हमलों में सबसे ज्यादा पैसा खो रहे भारतीय-माइक्रोसॉफ्ट

माइक्रोसॉफ्ट की 'ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम रिसर्च' की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में टेक सपोर्ट स्कैम के जरिए अपना पैसा खोने वाले लोगों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है। टेक सपोर्ट स्कैम के जरिए एक तिहाई भारतीयों ने अपना पैसा खोया है।

साल 2018 में 14 फीसदी की तुलना में 2021 में 31 फीसदी भारतीयों ने अधिक पैसा खो दिया। 2018 में वैश्विक औसत 6 फीसदी था, जो 2021 में बढ़कर 7 प्रतिशत हो गया। भारत के बाद सबसे ज्यादा अमेरिका, मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने टेक सपोर्ट स्कैम के जरिए अपना खोया है।

भरोसा करना भारतीयों की कमजोरी

इस सर्वे से पता चला है कि 2021 में 47 फीसदी भारतीयों ने बहुत या कुछ हद तक अवांछित संपर्क पर भरोसा किया। साल 2018 में ये आंकड़ा 32 फीसदी था। बता दें, ये सर्वे 6-17 मई 2021 के बीच दुनियाभर के 16 देशों के 16,254 वयस्क इंटरनेट यूजर्स पर किया गया था।

फोन स्कैम मामलों की बढ़ोतरी

-रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में 51 फीसदी भारतीयों को मोबाइल पर पॉप-अप विंडो या विज्ञापन मिला।

-इनमें से 48 फीसदी ने क्लिक किया और उन्हें एक वेबसाइट पर रीडायरेक्ट कर दिया गया।

- 42 फीसदी भारतीयों को अनचाहा ईमेल भी मिला।

-31 फीसदी भारतीयों को अनचाही कॉल रिसीव हुई।

पॉवर ग्रिड, टेलीकॉम से लेकर एयरपोर्ट तक खतरे में

पूर्व आईटी टेलीकॉम सचिव और नैसकॉम के पूर्व प्रेसिडेंट आर चंद्रशेखर कहते हैं कि पावर ग्रिड, एयरपोर्ट एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, साइबर सर्वर, डाटा फाइनेंशियल पर और पैसे पर जो हमला होता है वो विदेशों से होता है। इसके पीछे वहां की सरकार और सरकार की एजेंसियां होती हैं। हमारी इन इंस्टॉलेशन पर सिक्योरिटी बढ़ानी चाहिये। लेकिन फिलहाल अभी उतना ध्यान नहीं दिया जाता है। कुछ एजेंसियों का काम ही हैं कि वे ध्यान दें कहां से अटैक आ रहा है, जिसमें सीईआरटी जो NTRO के अंदर आता प्रमुख है। टेलीकॉम, पावर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर में हमेशा ऑडिट होते रहने चाहिये।

बैंकिंग नेटवर्क पर हो रहे धुंआधार हमले

पवन दुग्गल के मुताबिक आजकल भारतीय नेटवर्क और वेबसाइटों पर बड़े पैमाने पर हमले किए जा रहे हैं। बैंकिंग नेटवर्क पर लगातार हमले हो रहे हैं। कोविड के बाद से साइबर हमलों का स्वर्णिम युग आ गया है। आज हमें हर पल सजग रहने की जरूरत है। किसी को ये नहीं सोचना चाहिए कि हम साइबर हमले का शिकार नहीं होंगे।

एप्स के रूप में आपके मोबाइल में बैठा है जासूस

एटलस वीपीएन टीम द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार 60 फीसद से अधिक एंड्राइड एप्स में है सिक्योरिटी से जुड़ी खामियां है। यह एप्स आपकी सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित बन सकते हैं। यही नहीं इससे आपकी वित्तीय जानकारियों के लीक होने, प्राइवेसी को खतरा बढ़ सकता है।

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक अगर आप एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको यह पता होना चाहिए की एंड्रॉयड फोन पूरी तरह से असुरक्षित हैं। हर साल लाखों साइबर हमले एंड्राइड फोन पर होते हैं। प्ले स्टोर की सुरक्षा का खासा ध्यान नहीं रखा जाता। ऐसे में आप कोई संदिग्ध ऐप डाउनलोड करने पर किसी साइबर ठगी के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में एंड्रॉयड फोन का इस्तेमाल और ऐप डाउनलोड करते समय काफी सावधानी बरतें।

रोजाना बन रहे नए मालवेयर, टेक्नोलॉजी में लगातार बदलाव जरूरी

अमित दुबे के मुताबिक टेक्नोलॉजी हर समय चेंज हो रही होती है। इसलिए साइबर हमले भी होते रहेंगे। यह कोई ऐसी बात नहीं है कि आपने चीन की दीवार बना ली तो आप हमेशा बचे रहेंगे यहां हर दिन नए तरीके के अटैक होते रहते हैं अभी पेगासस की चर्चा हो रही है कल को दूसरे तरीके के मालवेयर आ जाएंगे जो लोगों को टारगेट करते हैं। भारत टॉप टेन कंट्री में है जो साइबर अटैक को रोकने में सक्षम है।

अमित दुबे कहते हैं कि 13 लाख में से 99.9 फीसदी अटैक को रोकना बड़ी बात है। हमारे सिक्योरिटी सिस्टम अपडेट हो रहे हैं 24 घंटे हमारे क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की निगरानी की जा रही है जो भी सर्विसेज है चाहे टैक्सेशन से जुड़ा हो या कम्युनिकेशन से जुड़ा हो उस पर इंटरनेट ट्रैफिकिंग पर नजर रखी जाती है ऐसी कोई गतिविधि बाहर से होती है उस पर नजर रखी जाती है और कोई भी अटैक की कोशिश होती है तो उसे विफल कर दिया जाता है आपको याद होगा कि मुंबई में ग्रेट पर जब साइबर अटैक किया गया उसके बाद हैदराबाद में भी किया गया था लेकिन उसे समय रहते विफल कर दिया गया।

एक मजबूत साइबर कानून चाहिए

फिलहाल भारत में साइबर हमलों से बचने की कोई ठोस स्ट्रेटजी नहीं दिखती। भारत में कोई साइबर सुरक्षा कानून नहीं है। भारत में जो सूचना प्रौद्योगिकी कानून है वो साइबर सुरक्षा का कानून नहीं है। भारत में 2013 में साइबर सुरक्षा नीति बनाई थी। लेकिन इसे पूरी तरह से लागू नहीं कर पाया गया।

पवन दुग्गल के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा साइबर सुरक्षा हमले उन देशों से होते हैं जहां मजबूत साइबर कानून नहीं होता है। साइबर क्रिमिनल चाहते हैं कि हम वहां से हमले करें जहां अगर पुलिस उन तक पहुंच भी जाए तो सुरक्षा कानून की कमी के चलते उनपर कोई एक्शन न हो सके। बहुत से ऐसे देश हैं तो आपको बहुत से टूल इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं जो साइबर क्रिमिनलों को अपनी पहचान को छुपाने में मदद करते हैं। अब डार्क नेट पर बहुत से ऐसे साइबर क्रिमिनल काम कर रहे हैं तो पैसे ले कर साइबर हमले करते हैं।

जयपुर पुलिस के साइबर एक्सपर्ट मुकेश चौधरी कहते हैं कि हमारे देश ने साइबर सुरक्षा को लेकर भी काफी कमजोर कानून हैं। ऐसे में साइबर अपराधियों का हौसला बढ़ता है। सरकार को साइबर सुरक्षा पर जल्द से जल्द सख्त कानून लाने चाहिए। वहीं साइबर हमलों को रोकने के लिए बेहद जरूरी है कि लोग इसे लेकर जागरूक हों। ऐसे में बच्चों के पाठ्यक्रम में भी साइबर सिक्योरिटी को शामिल किया जाए और ओरिजिनल सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए।

नई साइबर नीति में साइबर सुरक्षा को बनाया जाएगा अचूक

साइबर सुरक्षा के महत्व पर नेशनल साइबर सिक्योरिटी कॉर्डिनेटर लेफ्टिनेंट जनरल ( रिटायर्ड) राजेश पंत ने कहा कि नई साइबर पालिसी में सामरिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण संस्थाओं की कड़े साइबर ऑडिटिंग पर जोर दिया जाएगा।

विशेषज्ञों का पैनल होगा जिसमें साइबर ऑडिटर शामिल होंगे और वे अति महत्वपूर्ण संस्थाओं की साइबर सुरक्षा पर ध्यान देंगे। खामियों को उजागर करने के लिए नियमित रूप से साइबर संकट प्रबंधन अभ्यास पर जोर दिया जाएगा। सरकार नई राजेश पंत के मुताबिक साइबर रणनीति के अलावा आईटी अधिनियम में संशोधन पर भी विचार कर रही है जिस पर काम किया जा रहा है। वहीं 2013 के बाद बनने वाली नई साइबर पालिसी देश के पूरे साइबर स्पेस के मौजूदा ढांचे को कवर करेगी। नई साइबर पालिसी का उद्देश्य सुरक्षित, लचीला, जीवंत और विश्वसनीय साइबर स्पेस सुनिश्चित करना है। नई पालिसी का फोकस देश में डेटा को राष्ट्रीय संसाधन मानते हुए उसे सुरक्षित बनाना है। ऑडिट के जरिये साइबर जागरूकता और साइबर सुरक्षा में सुधार की कोशिश की जाएगी। साइबर सुरक्षा के लिए एक अलग बजट का भी प्रावधान संभव है।

(इनपुट-विवेक तिवारी और विनीत शरण) 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.