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एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच अब हर हफ्ते होगी बातचीत

India and China Tension पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने को लेकर तरीके खोजने के लिए अब भारत और चीन हर हफ्ते बातचीत करेंगे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 06:09 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 04:45 AM (IST)
एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच अब हर हफ्ते होगी बातचीत
एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच अब हर हफ्ते होगी बातचीत

नई दिल्‍ली, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख के गलवन घाटी में चीन के साथ तनाव बढ़ा हुआ है। दोनों ही देशों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के पास सैनिकों की तैनाती कर दी है। लेकिन समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, अब दोनों देशों के बीच बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति बनी है। सूत्रों का कहना है कि एलएसी पर तनाव कम करने को लेकर तरीके खोजने के लिए अब भारत और चीन के बीच हर हफ्ते वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोर्डिनेशन (Working Mechanism for Consultation and Coordination, WMCC) स्‍तर की बातचीत होगी। यह बैठक वर्चुअल होगी जिसमें भारतीय पक्ष से विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और सुरक्षा बलों समेत कई मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

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गलवन में हुई झड़प पर हुई थी चर्चा 

सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते भी पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के मसले पर चर्चा के लिए डब्ल्यूएमसीसी की बैठक हुई थी और मसलों को सुलझाने के लिए कदम उठाए गए थे। बातचीत के दौरान गलवन घाटी में 15 जून को हुई सैनिकों की हिंसक झड़प के मसले पर भी चर्चा हुई थी जिसमें चीनी पक्ष ने अपने सैनिकों के मारे जाने पर चुप्‍पी साध रखी थी। हालांकि भारतीय पक्ष ने वार्ता में सैनिकों के बलिदान की घटना का उल्‍लेख किया था। सूत्रों की मानें तो भारतीय इंटरसेप्‍ट से पता चला है कि इस झड़प में चीन के 43 सैनिक मारे गए थे या गंभीर रूप से घायल हुए थे।

इंटरसेप्‍ट से हुआ बड़ा खुलासा

सूत्रों ने बताया कि भारतीय इंटरसेप्‍ट से खुलासा हुआ है कि 15-16 जून की झड़प के बाद चीनी सैनिकों को ले जाने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया। इस बैठक में चीनी पक्ष ने हिंसक झड़प के लिए उल्‍टे भारत को ही जिम्‍मेदार ठहराया था। यहां बता देना जरूरी है कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने बीते दिनों अपने प्रेस वार्ता में साफ शब्‍दों में इस वाकए के लिए चीनी पक्ष को जिम्‍मेदार ठहराया था। भारत ने कहा था कि चीन ने गलवन घाटी में स्थितियों को बदलने की कोशिश की जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था।  

बेतुके दावों को भारत ने किया खारिज 

सूत्रों ने बताया कि इस बातचीत में चीनी पक्ष गतिरोध के समाधान के लिए साल 1959 में उसके द्वारा दिए गए नक्शों के अनुपालन की बात कर रहा है जिसे भारतीय पक्ष ने खारिज कर दिया है। सनद रहे कि 1962 की लड़ाई से पहले भी चीन ने नक्शे के अनुपालन की बात कही थी जिसे भारत की ओर से नकार दिया गया था। हालांकि सन 1962 में इसी मसले पर दोनों देशों के बीच लड़ाई भी हुई थी। चीनी पक्ष का कहना है कि मौजूदा तनाव को खत्‍म करने के लिए उसकी ओर से एक प्रस्‍ताव सौंपा गया है जिस पर भारत को जवाब देना चाहिए। 

वापस जाओ, इससे कम मंजूर नहीं 

इस बातचीत के दौरान चीन के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया गया जिसमें नेपाल के साथ सीमाई मसले को उठाते हुए भारत को विस्‍तारवादी देश बताया गया था। दरअसल, चीन पहले भी झूठे आरोप लगाकर अपने मंसूबों को कामयाब बनाने की कोशिशें करता रहा है लेकिन इस बार उसकी हर कोशिश बेकार जा रही है। यही वजह है कि बौखलाया चीन उलझने की नित नई तरकीबें निकाल रहा है। भारत ने इस बार बिल्‍कुल साफ कर दिया है कि एलएसी पर जब तक पूर्व की स्थिति बहाल नहीं हो जाती वह चीन को चैन नहीं लेने देगा। 


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