Move to Jagran APP

भारत-चीन के बीच 13 घंटे चली कोर कमांडर वार्ता, शीर्ष नेतृत्व को आज जानकारी देंगे अधिकारी

भारतीय दल की अगुआई सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरजिंदर सिंह ने की। उनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी इस वार्ता का हिस्सा थें जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिणी जिनजियांग क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 09:55 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 12:30 PM (IST)
भारत-चीन के बीच 13 घंटे चली कोर कमांडर वार्ता, शीर्ष नेतृत्व को आज जानकारी देंगे अधिकारी
भारत-चीन के बीच सुबह 10 बजे शुरू हुई बातचीत रात 11 बजे खत्म हुई। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत और चीन के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार को छठे दौर की वार्ता हुई। चीन की तरफ मोल्दो में सुबह 10 बजे शुरू हुई बातचीत 13 घंटे बाद रात 11 बजे खत्म हुई। इस दौरान सैन्य एलएससी से सैनिकों को हटाने के एजेंडे पर चर्चा हुई। बैठक में शामिल विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि आज वरिष्ठ अधिकारियों को चीन के साथ हुई चर्चा के बारे में जानकारी देंगे।

loksabha election banner

बता दें कि सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी नवीन श्रीवास्तव को भी शामिल किया गया था। सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरजिंदर सिंह ने बातचीत में भारतीय दल की अगुआई की। उनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी इस वार्ता का हिस्सा थें, जबकि, चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिणी जिनजियांग क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया।

कमांडर स्तर के छठे दौर की वार्ता के नतीजों को लेकर दोनों पक्षों की ओर से अभी कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। हालांकि सरकारी सूत्रों ने यह जरूर कहा कि एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव घटाने और गतिरोध खत्म करने के लिए सैनिकों को पीछे हटाना सबसे अहम है और बातचीत का एजेंडा इसी पर केंद्रित है।

मालूम हो कि मास्को में दोनों विदेश मंत्रियों ने सीमा पर जारी टकराव के बीच सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए पांच बिंदुओं पर सहमति जताई थी। इसमें कहा गया था कि इन पांच सूत्री बातों पर दोनों देश आगे बढ़े तो एलएसी का गतिरोध खत्म हो सकता है और सीमा पर शांति बहाली संभव है। हालांकि इस सहमति के बाद भी सैन्य कमांडर वार्ता के लिए दस दिन लग गए। इसके अलावा मास्को में ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की चीनी विदेशमंत्री से बातचीत भी हुई मगर इसमें कोई नतीजा नहीं निकला।

गौरतलब है कि 29-30 और 31 अगस्त की रात चीनी सैनिकों ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की चोटियों पर रणनीतिक रूप से काबिज हो चुके भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए घुसपैठ के कई प्रयास किए। चीनी सैनिकों ने धारदार और नुकीले हथियार जैसे बरछी, भाले आदि लेकर गलवन घाटी जैसी घटना दोहराने की कोशिश की मगर भारतीय सैनिकों ने उनके इरादों को नाकाम कर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.