Move to Jagran APP

भारत-चीन के बीच सैन्य विवाद खात्मे के लिए एक और वार्ता संपन्न, विशेषज्ञ बोले- ड्रैगन की मंशा साफ नहीं

विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि सीमा विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच विचार-विमर्श जारी रहेगा। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की मंशा साफ नहीं है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 09:08 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 07:26 AM (IST)
भारत-चीन के बीच सैन्य विवाद खात्मे के लिए एक और वार्ता संपन्न, विशेषज्ञ बोले- ड्रैगन की मंशा साफ नहीं
भारत-चीन के बीच सैन्य विवाद खात्मे के लिए एक और वार्ता संपन्न, विशेषज्ञ बोले- ड्रैगन की मंशा साफ नहीं

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख सीमा पर सैन्य तनाव खत्म करने को लेकर शुक्रवार को फिर भारत और चीन के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की अहम बैठक हुई, लेकिन संकेत साफ है कि इन बैठकों का जल्द कोई परिणाम नहीं निकलने की संभावना कम है। सीमा मामलों पर समन्वय व समझौते करने के लिए गठित वर्किंग मेकेनिज्म (डब्लूएमसीसी) के तहत यह मई, 2020 में चीनी सैनिकों के अतिक्रमण के बाद तीसरी बैठक थी। इसके अलावा सैन्य स्तर की भी चार बैठकें हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की मंशा साफ नहीं है। भारत के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए वर्ष 1981 से ही किसी न किसी रूप में वार्ता हो रही है, लेकिन अभी इसका कोई नतीजा नहीं निकला है।

loksabha election banner

फिर सैनिकों की शीघ्र वापसी पर सहमति

पूर्व की बैठकों की भांति इस बार भी दोनों पक्ष ने पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पूरी तरह से सैनिकों की शीघ्र वापसी पर सहमति जताई। साथ ही दोनों पक्षों ने फिर कहा है कि द्विपक्षीय रिश्तों की बेहतरी के लिए सीमा पर अमन-शांति जरूरी है। लेकिन सैनिकों की वापसी कब तक होगी, इस पर दोनों पक्षों ने चुप्पी साधी हुई है। डब्लूएमसीसी की पहले की दोनों बैठकों का मिजाज भी कुछ ऐसा ही था। साफ है सैन्य वापसी का मामला फंस गया है। गतिरोध दूर करने के लिए अब हो सकता है कि फिर विदेश मंत्रियों या विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत हो।

अब तक चार स्तर पर सैन्य कमांडरों की वार्ता हुई , चीन कर रहा आनाकानी

विदेश मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी जरूर दी गई है कि सीमा विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच विचार-विमर्श जारी रहेगा। एक बार कूटनीतिक स्तर की वार्ता हो रही है और उसके बाद सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत हो रही है। 14 जुलाई को सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत थी जिसका कोई खास नतीजा अभी तक नहीं निकला है। अब तक चार स्तर पर सैन्य कमांडरों की वार्ता हो चुकी है। जमीनी तौर पर जो रिपोर्ट आ रही है उसके मुताबिक, शुरुआत में कुछ जगहों से अपने सैनिकों को वापस लेने के बाद चीन अब आनाकानी कर रहा है। चीन की स्थिति को देखते हुए भारत भी अपने सैनिकों को आगे के मोर्चे पर तैनात किये हुए है। वैसे भारत लगातार यह कह रहा है कि वह एलएसी पर वर्षों से चली आ रही परंपरा का पालन कर रहा है और वह किसी भी तरह से एलएसी का उल्लंघन नहीं करना चाहता।

विदेश मंत्रालय ने दी ये जानकारी

विदेश मंत्रालय ने बताया है कि 24 जुलाई, 2020 को संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) और चीन के विदेश मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल (बाउंड्री व ओसियन डिपार्टमेंट) की अगुवाई में हुई बैठक में पश्चिमी सेक्टर पर एलएसी की स्थिति पर चर्चा हुई। हम एलएसी पर तनाव को खत्म करने और जल्द से जल्द सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के लिए सहमत हैं। दोनों पक्ष यह मानते हैं कि 5 जुलाई, 2020 को दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई टेलीफोन वार्ता के मुताबिक, सैनिकों की पूरी तरह से वापसी होनी चाहिए। दोनों पक्ष यह मानते हैं कि वरिष्‍ठ कमांडरों के बीच हुई वार्ता में बनी सहमति को भी गंभीरता से लागू किया जाना चाहिए। सीमावर्ती इलाकों में तनाव घटाने व सैनिकों की वापसी का काम को आगे बढ़ाने के लिए जल्द ही सैन्य कमांडरों की फिर वार्ता होगी।

विशेषज्ञों बोले- चीन की मंशा साफ नहीं

अगर देखा जाए तो विदेश मंत्रालय का यह बयान पूर्व में डब्लूएमसीसी की बैठक के बाद जारी बयान से जरा अभी अलग नहीं है। यही वजह है कि देश के सीनियर रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की मंशा साफ नहीं है। वह बातचीत को लंबा खींचने की रणनीति पर काम कर रहा है। प्रमुख रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है, 'चीन की आर्मी के साथ डिप्लोमेसी करने का मतलब है कि उन्हें अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए और समय देना।' देखा जाए तो चीन और भारत के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए वर्ष 1981 से ही किसी न किसी रूप में वार्ता हो रही है, लेकिन अभी इसका कोई नतीजा नहीं निकला है। विशेष प्रतिनिधियों (जिसकी अध्यक्षता अभी एनएसए अजीत डोभाल व चीनी विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं) की वार्ता भी वर्ष 2003 से हो रही है, लेकिन अभी तक चीन ने अपनी प्रमुख मांगों को भी भारतीय पक्षकारों के सामने प्रस्तुत नहीं किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.