कैंसर का सस्ता इलाज खोजने के लिए जुटेंगे भारत और ब्रिटेन
कैंसर के सस्ते इलाज को लेकर सरकार ने इसलिए भी मुस्तैदी दिखाई है।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। देश में कैंसर पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देख सरकार ने अब इसका सस्ता और सुलभ इलाज खोजने की योजना पर तेजी से काम शुरु किया है। भारत ने इससे निपटने के लिए ब्रिटेन के साथ हाथ मिलाया है। दोनों देशों के वैज्ञानिक अब इस दिशा में एक साथ मिलकर काम करेंगे। इस पूरी योजना पर अगले पांच सालों में करीब 90 करोड़ रुपए खर्च होंगे। दोनों ही देश इसके लिए 45-45 करोड़ रुपए देंगे।
कैंसर का सस्ता ईलाज उपलब्ध कराने की यह पहल सरकार ने उस समय शुरू की, जब देश में हर साल सात लाख से ज्यादा कैंसर पीडित सामने आ रहे है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक देश में यह संख्या 17 लाख से ज्यादा हो जाएगी। मौजूदा समय में कैंसर के ईलाज पर औसतन खर्च करीब चार लाख रुपए आता है, जो एक सामान्य परिवार के लिए काफी मंहगा होता है। यही वजह है कि ईलाज के अभाव में कैंसर पीडि़तों में से 60 फीसद से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस चुनौती से निपटने के लिए ब्रिटेन की संस्था कैंसर रिसर्च यूनाइडेट किंगडम( सीआरयूके) के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई है। फिलहाल मौजूदा उपलब्ध शोध के मुताबिक लोगों में कैंसर बढ़ने के पीछे जीवनशैली में तेजी से आ रहे बदलाव को बड़ी वजह है। सरकार की कोशिश है कि इसे लेकर भी लोगों को जागरूक किया जाए।
2040 तक कैंसर पीड़ितों की संख्या में 63 फीसद का होगा इजाफा
कैंसर के सस्ते इलाज को लेकर सरकार ने इसलिए भी मुस्तैदी दिखाई है, क्योंकि 2040 तक कैंसर पीड़ितों की संख्या में करीब 63 फीसद तक की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है। ऐसे में देश की एक बड़ी आबादी के कैंसर की चपेट में आने का खतरा है। वैसे भी देश में मौजूदा समय में कैंसर का ईलाज इतना मंहगा है, कि सभी के लिए इसका खर्च उठाना संभव नहीं है। खासबात यह है कि भारत की तरह ब्रिटेन भी कैंसर पीड़ितों की बढ़ती संख्या से चिंतित है।